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प्रदेश की राजनीति में बढ़ा महिलाओं दबदबा, जानिए यमकेश्वर सीट का इतिहास - Yamkeshwar MLA Renu Bisht

उत्तराखंड में पहली बार किसी सरकार के गठन में महिलाओं के वोट को निर्णायक माना गया है. हालांकि, महिला वोटर्स हमेशा ही निर्णायक भूमिका में रहती हैं लेकिन इस बार मतदान केंद्रों पर महिला वोटर्स को भाजपा सरकार के प्रचंड बहुमत से आने के पीछे बड़ा कारण माना गया है. वैसे उत्तराखंड की एक विधानसभा सीट ऐसी भी है, जिसने महिलाओं को हमेशा तवज्जो दी है. राज्य स्थापना के बाद से ही इस विधानसभा सीट में केवल महिला प्रतिनिधि को ही चुना गया है.

Women dominance in Uttarakhand
उत्तराखंड
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Published : Mar 21, 2022, 4:32 PM IST

देहरादून: प्रदेश में महिलाओं की राजनीति को लेकर सामाजिक रूप से अहम भूमिका पर बहस के बीच उत्तराखंड की एक ऐसी विधानसभा सीट भी है, जहां महिलाएं हमेशा प्राथमिकता में रही हैं. पौड़ी जिले की यमकेश्वर विधानसभा सीट राज्य स्थापना के बाद से ही महिलाओं को ही प्रतिनिधित्व देती आई है. राज्य में अब तक हुए 5 विधानसभा चुनावों में हमेशा इस सीट पर महिला प्रत्याशी ने ही बाजी मारी है. खास बात यह है कि भाजपा की महिला नेताओं ने इस सीट को भाजपा का गढ़ बनाने में कामयाबी हासिल की है. इस सीट पर 5 विधानसभा चुनाव में अब तक तीन महिलाओं ने जीत हासिल कर विधानसभा का रुख किया है.

साल 2002 से लेकर 2017 तक 3 बार इस विधानसभा सीट में भाजपा नेता विजया बड़थ्वाल ने विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व किया है. साल 2017 में पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी रितु खंडूरी ने इस सीट पर जीत हासिल की, जबकि 2022 में इस चुनाव के दौरान फिर भाजपा की रेनू बिष्ट ने चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की है. इस तरह देखा जाए तो इस सीट पर महिला नेताओं का दबदबा रहा है.

इस सीट से शैलेंद्र रावत जैसे दिग्गज नेता भी महिला प्रत्याशियों के सामने नहीं टिक पाए. यमकेश्वर विधानसभा सीट में कुल 90,636 मतदाता हैं, जिसमें 48,533 पुरुष और 42,103 महिला मतदाता हैं. वैसे तो अब पुरुष मतदाताओं की संख्या महिलाओं से करीब 6 हजार ज्यादा है लेकिन साल 2012 के चुनाव से पहले एक समय ऐसा था, जब इस सीट पर महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा थी. इसीलिए राज्य स्थापना के बाद से इस सीट पर राजनीतिक दलों की तरफ से महिला प्रत्याशियों को तवज्जो दी जाती थी.

हालांकि, अभी इस सीट पर पुरुष मतदाताओं की संख्या बढ़ गई है. बावजूद इसके महिला प्रत्याशियों का जीतना जारी है. महिलाओं के लिहाज से महत्वपूर्ण इस विधानसभा सीट को लेकर भाजपा नेताओं का कहना है कि महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलना ही चाहिए. उन्हें उम्मीद है कि सरकार में भी भाजपा महिलाओं को अच्छा प्रतिनिधित्व देगी.
पढ़ें- स्क्रिप्ट-स्क्रीनप्ले सब तैयार, कुछ घंटों में CM फेस का ऐलान, धामी रेस में सबसे आगे!, राजनाथ, मीनाक्षी दून पहुंचे

महिला प्रतिनिधित्व हमेशा रहा बहस का मुद्दा: उत्तराखंड की विधानसभा में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर हमेशा एक बहस छिड़ी रहती है. यही कारण है कि टिकट बंटवारे के दौरान राष्ट्रीय दलों में भी महिला मोर्चा हमेशा महिलाओं के प्रतिनिधित्व में बढ़ोतरी की मांग करती रहा है. हालांकि, प्रदेश में महिला प्रतिनिधित्व कभी 10 फीसदी तक भी नहीं पहुंच पाया लेकिन इस बार यह पहला मौका है जब प्रदेश में विधानसभा के अंदर महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी को पार कर गया है. राज्य में इस बार 8 महिलाएं चुनाव में जीतकर विधानसभा पहुंची हैं. शायद ही कारण है कि सत्ताधारी भाजपा से लेकर कांग्रेस से जुड़ी महिलाएं भी किसी महिला को ही मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही हैं.

देहरादून: प्रदेश में महिलाओं की राजनीति को लेकर सामाजिक रूप से अहम भूमिका पर बहस के बीच उत्तराखंड की एक ऐसी विधानसभा सीट भी है, जहां महिलाएं हमेशा प्राथमिकता में रही हैं. पौड़ी जिले की यमकेश्वर विधानसभा सीट राज्य स्थापना के बाद से ही महिलाओं को ही प्रतिनिधित्व देती आई है. राज्य में अब तक हुए 5 विधानसभा चुनावों में हमेशा इस सीट पर महिला प्रत्याशी ने ही बाजी मारी है. खास बात यह है कि भाजपा की महिला नेताओं ने इस सीट को भाजपा का गढ़ बनाने में कामयाबी हासिल की है. इस सीट पर 5 विधानसभा चुनाव में अब तक तीन महिलाओं ने जीत हासिल कर विधानसभा का रुख किया है.

साल 2002 से लेकर 2017 तक 3 बार इस विधानसभा सीट में भाजपा नेता विजया बड़थ्वाल ने विधायक के रूप में प्रतिनिधित्व किया है. साल 2017 में पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी रितु खंडूरी ने इस सीट पर जीत हासिल की, जबकि 2022 में इस चुनाव के दौरान फिर भाजपा की रेनू बिष्ट ने चुनाव जीतने में कामयाबी हासिल की है. इस तरह देखा जाए तो इस सीट पर महिला नेताओं का दबदबा रहा है.

इस सीट से शैलेंद्र रावत जैसे दिग्गज नेता भी महिला प्रत्याशियों के सामने नहीं टिक पाए. यमकेश्वर विधानसभा सीट में कुल 90,636 मतदाता हैं, जिसमें 48,533 पुरुष और 42,103 महिला मतदाता हैं. वैसे तो अब पुरुष मतदाताओं की संख्या महिलाओं से करीब 6 हजार ज्यादा है लेकिन साल 2012 के चुनाव से पहले एक समय ऐसा था, जब इस सीट पर महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा थी. इसीलिए राज्य स्थापना के बाद से इस सीट पर राजनीतिक दलों की तरफ से महिला प्रत्याशियों को तवज्जो दी जाती थी.

हालांकि, अभी इस सीट पर पुरुष मतदाताओं की संख्या बढ़ गई है. बावजूद इसके महिला प्रत्याशियों का जीतना जारी है. महिलाओं के लिहाज से महत्वपूर्ण इस विधानसभा सीट को लेकर भाजपा नेताओं का कहना है कि महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलना ही चाहिए. उन्हें उम्मीद है कि सरकार में भी भाजपा महिलाओं को अच्छा प्रतिनिधित्व देगी.
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महिला प्रतिनिधित्व हमेशा रहा बहस का मुद्दा: उत्तराखंड की विधानसभा में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर हमेशा एक बहस छिड़ी रहती है. यही कारण है कि टिकट बंटवारे के दौरान राष्ट्रीय दलों में भी महिला मोर्चा हमेशा महिलाओं के प्रतिनिधित्व में बढ़ोतरी की मांग करती रहा है. हालांकि, प्रदेश में महिला प्रतिनिधित्व कभी 10 फीसदी तक भी नहीं पहुंच पाया लेकिन इस बार यह पहला मौका है जब प्रदेश में विधानसभा के अंदर महिलाओं का प्रतिनिधित्व 10 फीसदी को पार कर गया है. राज्य में इस बार 8 महिलाएं चुनाव में जीतकर विधानसभा पहुंची हैं. शायद ही कारण है कि सत्ताधारी भाजपा से लेकर कांग्रेस से जुड़ी महिलाएं भी किसी महिला को ही मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही हैं.

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