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उत्तराखंड में रोज इंसानों पर हमला कर रहे वन्य जीव, शहरी क्षेत्रों में हिंसक जीवों के आने से हड़कंप

Wild animals attacking people in cities in Uttarakhand उत्तराखंड में मानव वन्य जीव संघर्ष के आंकड़े यह बताने के लिए काफी हैं, कि राज्य में औसतन हर दिन एक या इससे ज्यादा हमले वन्य जीवों द्वारा इंसानों पर किए जा रहे हैं. सबसे बड़ी चिंता अब गुलदार को लेकर शुरू हो गयी है. गुलदार ग्रामीण क्षेत्रों से निकलकर अब शहरी क्षेत्रों के लिए भी आतंक का पर्याय बन गए हैं. चौकाने वाली बात यह है कि विभाग के लिए सिरदर्द बने गुलदारों का विभाग के पास ना तो कोई सटीक अध्ययन रिकॉर्ड है और ना ही जिलेवार गुलदारों की स्पष्ट जानकारी.

Uttarakhand wild life attack
उत्तराखंड मानव वन्य जीव संघर्ष
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jan 19, 2024, 10:31 AM IST

Updated : Jan 19, 2024, 2:04 PM IST

रोज इंसानों पर हमला कर रहे वन्य जीव

देहरादून: उत्तराखंड में वैसे तो मानव वन्य जीव संघर्ष के रूप में सबसे ज्यादा नुकसान इंसानों को जहरीले सांपों से हो रहा है. लेकिन पिछले कुछ समय में गुलदारों का आतंक राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी बढ़ गया है. स्थिति यह है कि अब गुलदार देहरादून के रिहायसी इलाकों तक भी पहुंच कर हमला करने लगे हैं. वन विभाग मानव वन्य जीव संघर्ष के आंकड़ों में पिछले सालों की तुलना में कुछ कमी आने का दावा कर रहा है. इस कमी के बावजूद अब भी औसतन हर दिन मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले सामने आ रहे हैं. जानिए क्या कहते हैं आंकड़े.

मानव वन्य जीव संघर्ष के आंकड़े
साल 2022 में उत्तराखंड में 407 मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले सामने आए
साल 2022 में ही कुल घटनाओं में 325 लोग घायल हुए और 82 लोगों की जान चली गई
साल 2023 में 383 मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं हुई
साल 2023 की घटनाओं में 317 लोग घायल हुए और 66 लोगों को जान गंवानी पड़ी
साल 2024 में अब तक कुल 11 घटनाएं हो चुकी हैं
इसमें तीन लोगों को वन्य जीवों ने मार गिराया तो आठ लोग इसमें घायल हो गए

देहरादून के राजपुर में बच्चे पर किया था गुलदार ने हमला: देहरादून के राजपुर क्षेत्र में 12 साल के बच्चे पर गुलदार के हमले की घटना ने वन विभाग को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. हालांकि इस घटना के बाद विभाग अलर्ट मोड में है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस पूरे मामले को खुद बारीकी से देख रहे हैं. उधर हमला करने वाले गुलदार का अब भी कोई पता नहीं चल पाया है. वन विभाग की चिंता केवल देहरादून में हुई घटना ही नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में गुलदार के आक्रामक रुख ने महकमे की नींद हराम कर दी है.

human wildlife conflict
मानव वन्य जीव संघर्ष

वन विभाग के अनुसार 3,100 गुलदार मौजूद: इन्हीं हालातों के बीच अब वन विभाग जंगलों में वन्य जीवों की धारण क्षमता को लेकर अध्ययन की जरूरत महसूस करने लगा है. हैरानी की बात यह है कि इतने सालों में गुलदार या दूसरे वन्यजीवों से संबंधित धारण क्षमता पर कोई सटीक अध्ययन ही अबतक नहीं हो पाया है. इतना ही नहीं राज्य में वन विभाग को इतनी भी जानकारी नहीं है कि जिलेवार गुलदार की संख्या इस समय क्या है. हालांकि चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन डॉ समीर सिन्हा कहते हैं कि राज्य में इस समय कुल 3,100 गुलदार मौजूद हैं. जल्द ही जनपद स्तर पर गुलदारों की संख्या को लेकर जानकारी भारतीय वन्यजीव संस्थान की तरफ से महकमे को दी जाएगी.

साल 2020 में पहली बार गुलदार की हुई रेडियो कॉलरिंग: ऐसा नहीं है कि गुलदार से इंसानों को होने वाले खतरे का अंदेशा वन विभाग को पहले से ही नहीं था. जिस तरह गुलदार शहरी क्षेत्रों में घुसकर इंसानी बस्तियों में हमलावर रुख अपना रहे थे, उसे देखते हुए पहले भी गुलदार की गतिविधियों को जानने की कोशिश की गई थी. इसके लिए कई गुलदारों पर रेडियो कॉलरिग भी की गई थी. लेकिन हरिद्वार, टिहरी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और बागेश्वर समेत दूसरे कई जिलों में गुलदारों पर रेडियो कॉलरिंग का क्या लाभ मिला और इससे किए गए अध्ययन की रिपोर्ट कहां है, इसका कोई जवाब विभाग के पास नहीं है.

human wildlife conflict
गांवों से शहर तक पहुंचे गुलदार

उत्तराखंड में है मानव वन्य जीव संघर्ष रोकथाम प्रकोष्ठ: उत्तराखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां मानव वन्य जीव संघर्ष रोकने के लिए एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया है. जिसके जरिए तमाम आंकड़ों को इकट्ठा कर वैज्ञानिक विश्लेषण करने की कोशिश की जा रही है. इसमें विभिन्न घटनाओं और वन्यजीवों की गतिविधियों का रिकॉर्ड जुटाया जा रहा है. कोशिश यह है कि इन आंकड़ों के माध्यम से वन्यजीवों के व्यवहार में आ रहे अंतर, संवेदनशील क्षेत्र की पहचान और घटनाओं के कारणों को जाना जा सके, ताकि इसके लिए कोई कार्य योजना तैयार की जा सके.

मानव वन्य जीव संघर्ष रोकने के लिए 11 करोड़ का बजट: राज्य में अब तक संरक्षित वन क्षेत्र में ही वन विभाग तमाम उपकरणों का उपयोग करता था, लेकिन अब पहली बार संरक्षित क्षेत्र के अलावा बाकी वन क्षेत्र में भी मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने और वन्य जीवों पर निगरानी के लिए उपकरणों की खरीद की जा रही है. इसमें ट्रेंकुलाइजर गन, एनाइटजर, सैटेलाइट कॉलर, ड्रोन, रेस्क्यू व्हीकल, रेस्क्यू उपकरण, कैमरा ट्रैप और सेफ्टी उपकरण की भी खरीद की कोशिश हो रही है. पहले जहां इसके लिए 7 करोड़ रुपए मौजूद थे, वहीं अब इसे बढ़ाकर 11 करोड़ रुपए उपलब्ध करा दिए गए हैं.

वन विभाग ने जारी किया है टोल फ्री नंबर: उत्तराखंड वन विभाग की तरफ से आम लोगों को मानव वन्य जीव संघर्ष से बचने के लिए सुझाव भी दिए जा रहे हैं. साथ ही टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया गया है. टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर- 1800-8909715 है. इस पर कॉल करके कोई भी व्यक्ति वन्य जीव की मौजूदगी या घटना की जानकारी दे सकता है. उधर लोगों से अंधेरे में घर से बाहर नहीं निकलने, घर के आसपास पर्याप्त रोशनी रखने, बेवजह जंगल में न जाने जैसी सावधानी बरतने के लिए कहा जा रहा है.
ये भी पढ़ें: पिथौरागढ़ और तराई ईस्ट में जहरीले सांपों का आतंक, आंकड़ों से वन महकमा भी हैरान
ये भी पढ़ें: जंगली जानवरों से हैं परेशान तो यहां मिलेगा समाधान, कॉल सेंटर पर वन महकमे की रहेगी 24x7 ड्यूटी

रोज इंसानों पर हमला कर रहे वन्य जीव

देहरादून: उत्तराखंड में वैसे तो मानव वन्य जीव संघर्ष के रूप में सबसे ज्यादा नुकसान इंसानों को जहरीले सांपों से हो रहा है. लेकिन पिछले कुछ समय में गुलदारों का आतंक राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहरी क्षेत्रों में भी बढ़ गया है. स्थिति यह है कि अब गुलदार देहरादून के रिहायसी इलाकों तक भी पहुंच कर हमला करने लगे हैं. वन विभाग मानव वन्य जीव संघर्ष के आंकड़ों में पिछले सालों की तुलना में कुछ कमी आने का दावा कर रहा है. इस कमी के बावजूद अब भी औसतन हर दिन मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले सामने आ रहे हैं. जानिए क्या कहते हैं आंकड़े.

मानव वन्य जीव संघर्ष के आंकड़े
साल 2022 में उत्तराखंड में 407 मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले सामने आए
साल 2022 में ही कुल घटनाओं में 325 लोग घायल हुए और 82 लोगों की जान चली गई
साल 2023 में 383 मानव वन्य जीव संघर्ष की घटनाएं हुई
साल 2023 की घटनाओं में 317 लोग घायल हुए और 66 लोगों को जान गंवानी पड़ी
साल 2024 में अब तक कुल 11 घटनाएं हो चुकी हैं
इसमें तीन लोगों को वन्य जीवों ने मार गिराया तो आठ लोग इसमें घायल हो गए

देहरादून के राजपुर में बच्चे पर किया था गुलदार ने हमला: देहरादून के राजपुर क्षेत्र में 12 साल के बच्चे पर गुलदार के हमले की घटना ने वन विभाग को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. हालांकि इस घटना के बाद विभाग अलर्ट मोड में है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस पूरे मामले को खुद बारीकी से देख रहे हैं. उधर हमला करने वाले गुलदार का अब भी कोई पता नहीं चल पाया है. वन विभाग की चिंता केवल देहरादून में हुई घटना ही नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में गुलदार के आक्रामक रुख ने महकमे की नींद हराम कर दी है.

human wildlife conflict
मानव वन्य जीव संघर्ष

वन विभाग के अनुसार 3,100 गुलदार मौजूद: इन्हीं हालातों के बीच अब वन विभाग जंगलों में वन्य जीवों की धारण क्षमता को लेकर अध्ययन की जरूरत महसूस करने लगा है. हैरानी की बात यह है कि इतने सालों में गुलदार या दूसरे वन्यजीवों से संबंधित धारण क्षमता पर कोई सटीक अध्ययन ही अबतक नहीं हो पाया है. इतना ही नहीं राज्य में वन विभाग को इतनी भी जानकारी नहीं है कि जिलेवार गुलदार की संख्या इस समय क्या है. हालांकि चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन डॉ समीर सिन्हा कहते हैं कि राज्य में इस समय कुल 3,100 गुलदार मौजूद हैं. जल्द ही जनपद स्तर पर गुलदारों की संख्या को लेकर जानकारी भारतीय वन्यजीव संस्थान की तरफ से महकमे को दी जाएगी.

साल 2020 में पहली बार गुलदार की हुई रेडियो कॉलरिंग: ऐसा नहीं है कि गुलदार से इंसानों को होने वाले खतरे का अंदेशा वन विभाग को पहले से ही नहीं था. जिस तरह गुलदार शहरी क्षेत्रों में घुसकर इंसानी बस्तियों में हमलावर रुख अपना रहे थे, उसे देखते हुए पहले भी गुलदार की गतिविधियों को जानने की कोशिश की गई थी. इसके लिए कई गुलदारों पर रेडियो कॉलरिग भी की गई थी. लेकिन हरिद्वार, टिहरी, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी और बागेश्वर समेत दूसरे कई जिलों में गुलदारों पर रेडियो कॉलरिंग का क्या लाभ मिला और इससे किए गए अध्ययन की रिपोर्ट कहां है, इसका कोई जवाब विभाग के पास नहीं है.

human wildlife conflict
गांवों से शहर तक पहुंचे गुलदार

उत्तराखंड में है मानव वन्य जीव संघर्ष रोकथाम प्रकोष्ठ: उत्तराखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां मानव वन्य जीव संघर्ष रोकने के लिए एक प्रकोष्ठ का गठन किया गया है. जिसके जरिए तमाम आंकड़ों को इकट्ठा कर वैज्ञानिक विश्लेषण करने की कोशिश की जा रही है. इसमें विभिन्न घटनाओं और वन्यजीवों की गतिविधियों का रिकॉर्ड जुटाया जा रहा है. कोशिश यह है कि इन आंकड़ों के माध्यम से वन्यजीवों के व्यवहार में आ रहे अंतर, संवेदनशील क्षेत्र की पहचान और घटनाओं के कारणों को जाना जा सके, ताकि इसके लिए कोई कार्य योजना तैयार की जा सके.

मानव वन्य जीव संघर्ष रोकने के लिए 11 करोड़ का बजट: राज्य में अब तक संरक्षित वन क्षेत्र में ही वन विभाग तमाम उपकरणों का उपयोग करता था, लेकिन अब पहली बार संरक्षित क्षेत्र के अलावा बाकी वन क्षेत्र में भी मानव वन्य जीव संघर्ष को रोकने और वन्य जीवों पर निगरानी के लिए उपकरणों की खरीद की जा रही है. इसमें ट्रेंकुलाइजर गन, एनाइटजर, सैटेलाइट कॉलर, ड्रोन, रेस्क्यू व्हीकल, रेस्क्यू उपकरण, कैमरा ट्रैप और सेफ्टी उपकरण की भी खरीद की कोशिश हो रही है. पहले जहां इसके लिए 7 करोड़ रुपए मौजूद थे, वहीं अब इसे बढ़ाकर 11 करोड़ रुपए उपलब्ध करा दिए गए हैं.

वन विभाग ने जारी किया है टोल फ्री नंबर: उत्तराखंड वन विभाग की तरफ से आम लोगों को मानव वन्य जीव संघर्ष से बचने के लिए सुझाव भी दिए जा रहे हैं. साथ ही टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया गया है. टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर- 1800-8909715 है. इस पर कॉल करके कोई भी व्यक्ति वन्य जीव की मौजूदगी या घटना की जानकारी दे सकता है. उधर लोगों से अंधेरे में घर से बाहर नहीं निकलने, घर के आसपास पर्याप्त रोशनी रखने, बेवजह जंगल में न जाने जैसी सावधानी बरतने के लिए कहा जा रहा है.
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Last Updated : Jan 19, 2024, 2:04 PM IST
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