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4 दिन बीत गए, कहां है शासनादेश? गंगा कागजों में अभी भी स्कैप चैनल

उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने गंगा को स्कैप चैनल बताने के शासनादेश को लेकर बड़ा फैसला लिया है. जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं.

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गंगा
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Published : Nov 25, 2020, 5:18 PM IST

हरिद्वार: हरकी पैड़ी पर बहने वाली मां गंगा को लेकर जो शासनादेश हरीश रावत ने अपने मुख्यमंत्री रहते हुए दिया था, वहीं शासनादेश बीते साढ़े तीन साल से त्रिवेंद्र सरकार की भी गले की हड्डी बना हुआ है. कुंभ सिर पर है, लिहाजा इस शासनादेश को रद्द करवाने के लिए तीर्थ पुरोहित और हरिद्वार के निवासियों ने हर जतन कर लिए. सरकार भी कई दफा गंगा सभा और साधु-संतों से वार्ता कर चुकी है.

हालिया बयान सुर्खियां तब बनी जब रविवार 22 नवंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर हरिद्वार से विधायक और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की मौजूदगी में तमाम साधु-संतों और गंगा सभा के पदाधिकारियों के साथ सरकार ने यह ऐलान किया कि सरकार हरीश रावत सरकार द्वारा जारी आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द करती है.

सरकार के इस आदेश के बाद साढ़े तीन साल से सरकार की तरफ टकटकी लगाए बैठे तीर्थ पुरोहित और स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. सोशल मीडिया और तमाम प्रचार प्रसार के माध्यमों पर सरकार को बधाई देने का तांता लग गया. कहीं पटाखे फूटे, तो कहीं गंगा में दूग्धाभिषेक हुआ. लेकिन अब वहीं लोग पूछ रहे हैं कि क्या बयानों में दिया गया आदेश असल में लागू हुआ?

पढ़ें- गंगा स्कैप चैनल शासनादेश निरस्त होने के बाद क्या कहते हैं एनजीटी के नियम ?

रविवार से अबतक 4 दिन बीत गए हैं, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक ऐसा कोई भी सरकारी पन्ना बाहर नहीं आया. जिसके बाद यह कहा जाए कि हरिद्वार हरकी पैड़ी पर बहने वाली गंगा कागजों में भी गंगा हो गई है.

कागजों पर कब उतरेंगे बयान?

ऐसा पहली बार नहीं है कि आदेश फिर बयानों में हुये हों, उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार आने के बाद बीजेपी के बड़े से लेकर छोटे नेता ने यही जवाब दिया था कि कांग्रेस सरकार के 'काले कारनामे' को पलटने का काम जल्द करेंगे. ये बात सुनते-सुनते राज्य की जनता, हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित और संत समाज को साढ़े तीन साल हो गए.

पढ़ें- भगत का हरदा पर पलटवार, कहा- गंगा को स्कैप चैनल करते समय क्या दिमाग ने नहीं किया था काम?

अब सबकी एक बार फिर से सांसें अटकी हैं कि कब सरकारी दस्तावेज जारी कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सरकार ने शासनादेश रद्द कर दिया है. आलम ये है कि 60 दिनों से अधिक तक धरने पर बैठे तीर्थ पुरोहितों ने मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद अपना धरना भी समाप्त कर लिया है, लेकिन अब सभी को कागजी आदेश का इंतजार हैं.

हरिद्वार में दिखे दो अलग गुट

शासनादेश को रद्द करने की खुशी में तीर्थ पुरोहितों का एक गुट धरने पर बैठा हुआ था. गंगा पूजन में आदेश चौहान, सुरेश राठौर और दूसरे वो सभी नेता दिखाई दिए जिनको निशंक समर्थक विधायक कहा जाता है. वहीं, तीर्थ पुरोहित का दूसरा गुट कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक सहित मुख्यमंत्री के नारे लगाते दिखाई दिया. इस गुट ने मदन कौशिक को 'भगीरथ' साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

हरिद्वार: हरकी पैड़ी पर बहने वाली मां गंगा को लेकर जो शासनादेश हरीश रावत ने अपने मुख्यमंत्री रहते हुए दिया था, वहीं शासनादेश बीते साढ़े तीन साल से त्रिवेंद्र सरकार की भी गले की हड्डी बना हुआ है. कुंभ सिर पर है, लिहाजा इस शासनादेश को रद्द करवाने के लिए तीर्थ पुरोहित और हरिद्वार के निवासियों ने हर जतन कर लिए. सरकार भी कई दफा गंगा सभा और साधु-संतों से वार्ता कर चुकी है.

हालिया बयान सुर्खियां तब बनी जब रविवार 22 नवंबर को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के आवास पर हरिद्वार से विधायक और कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की मौजूदगी में तमाम साधु-संतों और गंगा सभा के पदाधिकारियों के साथ सरकार ने यह ऐलान किया कि सरकार हरीश रावत सरकार द्वारा जारी आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द करती है.

सरकार के इस आदेश के बाद साढ़े तीन साल से सरकार की तरफ टकटकी लगाए बैठे तीर्थ पुरोहित और स्थानीय लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. सोशल मीडिया और तमाम प्रचार प्रसार के माध्यमों पर सरकार को बधाई देने का तांता लग गया. कहीं पटाखे फूटे, तो कहीं गंगा में दूग्धाभिषेक हुआ. लेकिन अब वहीं लोग पूछ रहे हैं कि क्या बयानों में दिया गया आदेश असल में लागू हुआ?

पढ़ें- गंगा स्कैप चैनल शासनादेश निरस्त होने के बाद क्या कहते हैं एनजीटी के नियम ?

रविवार से अबतक 4 दिन बीत गए हैं, लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक ऐसा कोई भी सरकारी पन्ना बाहर नहीं आया. जिसके बाद यह कहा जाए कि हरिद्वार हरकी पैड़ी पर बहने वाली गंगा कागजों में भी गंगा हो गई है.

कागजों पर कब उतरेंगे बयान?

ऐसा पहली बार नहीं है कि आदेश फिर बयानों में हुये हों, उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार आने के बाद बीजेपी के बड़े से लेकर छोटे नेता ने यही जवाब दिया था कि कांग्रेस सरकार के 'काले कारनामे' को पलटने का काम जल्द करेंगे. ये बात सुनते-सुनते राज्य की जनता, हरिद्वार के तीर्थ पुरोहित और संत समाज को साढ़े तीन साल हो गए.

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अब सबकी एक बार फिर से सांसें अटकी हैं कि कब सरकारी दस्तावेज जारी कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सरकार ने शासनादेश रद्द कर दिया है. आलम ये है कि 60 दिनों से अधिक तक धरने पर बैठे तीर्थ पुरोहितों ने मुख्यमंत्री के ऐलान के बाद अपना धरना भी समाप्त कर लिया है, लेकिन अब सभी को कागजी आदेश का इंतजार हैं.

हरिद्वार में दिखे दो अलग गुट

शासनादेश को रद्द करने की खुशी में तीर्थ पुरोहितों का एक गुट धरने पर बैठा हुआ था. गंगा पूजन में आदेश चौहान, सुरेश राठौर और दूसरे वो सभी नेता दिखाई दिए जिनको निशंक समर्थक विधायक कहा जाता है. वहीं, तीर्थ पुरोहित का दूसरा गुट कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक सहित मुख्यमंत्री के नारे लगाते दिखाई दिया. इस गुट ने मदन कौशिक को 'भगीरथ' साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी.

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