देहरादूनः अपराधियों की सरकार में किस तरह की सांठगांठ होती है, इस बात का जीता जागता मिसाल उत्तराखंड में चर्चाओं में चल रहा हाकम सिंह है. हाकम सिंह एक छोटे से गांव का पूर्व प्रधान था, लेकिन साल 2018 में सरकार उस पर किस तरह से मेहरबान थी, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस उत्तराखंड में सड़क हादसे या आपदा आने पर राहत और बचाव कार्य के लिए सामान समय से नहीं पहुंच पाता, वहां पर हाकम सिंह जैसे व्यक्ति की सिफारिश पर उत्तरकाशी के जिलाधिकारी न केवल शासन को एक पत्र लिखते हैं. बल्कि सरकार भी उस पत्र पर संज्ञान लेते हुए हाकम सिंह की मां को देहरादून इलाज के लिए पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की जाती है.
तत्कालीन जिलाधिकारी ने लिखा था पत्रः उत्तरकाशी के तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपर सचिव आपदा प्रबंधन और पुनर्वास विभाग को पत्र लिखा था. जिसमें बताया गया था कि हाकम सिंह मोरी तहसील के लिवाड़ी के पूर्व प्रधान हैं. हाकम सिंह की मां की तबीयत खराब (Hakam Singh Mother was sick) होने की वजह से उपचार के लिए उत्तरकाशी से देहरादून आना है. लिहाजा, इस बाबत एक हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की जानी है. हैरानी की बात ये है कि जिलाधिकारी के पत्र का संज्ञान लेते हुए शासन भी तत्काल इस पर कार्रवाई करता है और हाकम सिंह के आग्रह पर एक चॉपर भी उत्तरकाशी भेजा जाता है.
हालांकि, पत्र में इस बात को दर्शाया गया है कि गांव से सड़क की दूरी काफी अधिक होने की वजह से हेलीकॉप्टर से ही देहरादून आना संभव हो पाएगा, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि साल 2018 में बीजेपी की सरकार के दौरान आखिरकार वो कौन सा नेता था? जो हाकम सिंह के इशारों पर यह सब काम करवा रहा था? या फिर ऐसी कौन सी राज की बात थी, जिसकी वजह से हाकम सिंह सरकार का इतना फायदा उठा रहा था.
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हाकम सिंह का करीबी नेता कौन? साल 2018 में उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार थी. उस समय उत्तराखंड की बागडोर त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों थी यानी त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री थे. लिहाजा, हाकम सिंह को लेकर त्रिवेंद्र सिंह रावत से भी सवाल जवाब कई बार किए गए हैं, जिस पर त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार ये कहते आए हैं कि हाकम सिंह बीजेपी का एक कार्यकर्ता था. यह जरूरी नहीं है कि बीजेपी का कार्यकर्ता गलत काम नहीं कर सकता, लेकिन सभी बीजेपी के कार्यकर्ता गलत होंगे, यह कहना सही नहीं है. इस पूरे मामले में जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए.
सवाल ये खड़ा होता है कि उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग पेपर लीक (UKSSSC Paper leak) मामले पर सिर्फ अधिकारियों और हाकम सिंह (Hakam Singh Arrest) जैसे अदने से नेता पर ही कार्रवाई हुई है. जबकि, ऐसा संभव नहीं है कि सरकार में बैठे कुछ बड़े नाम हाकम सिंह के साथ न जुड़े हों? आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस मामले पर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं. धामी की मानें तो यह जांच तब तक पूरी नहीं होगी, जब तक अंतिम व्यक्ति एसटीएस की गिरफ्त में नहीं आ जाता.
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उत्तराखंड में सड़कों पर ही दम तोड़ रहे मरीजः भले ही सरकार विकास के तमाम नगमे गाती हो, लेकिन हकीकत कोसों दूर है. आज भी गर्भवती महिलाएं और मरीज रास्ते में दम तोड़ रहे हैं. इसके अलावा पहाड़ों पर बड़े सड़क हादसे होते रहते हैं. ऐसे में एयर एंबुलेंस (Air Ambulance in Uttarakhand) या चॉपर तो छोड़िए, एंबुलेंस भी समय पर नहीं पहुंच पाती है. यह उस प्रदेश का हाल है, जहां पर साल आपदा की वजह से सैकड़ों गांवों का संपर्क मुख्यालय से टूट जाता है.
कई दिनों तक राहत और बचाव कार्य उन गांव तक नहीं पहुंचता है. जहां सड़कों पर मां बच्चे को जन्म दे देती है, लेकिन एंबुलेंस या अस्पताल तक वो नहीं पहुंच पाती है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिरकार उत्तराखंड की जनता के साथ यह मजाक कौन कर रहा है? हाकम सिंह जैसे अपराधियों को कौन बढ़ावा और संरक्षण दे रहा है.
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