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जानिए क्या है बादल फटना, आखिर पहाड़ों पर ही क्यों होती है ऐसी घटना? - पहाड़ों पर बादल फटना

जब ज्यादा नमी वाले बादल एक ही जगह पर रुक जाते हैं और बूंदों का धनत्व बढ़ने के कारण उसी स्थान पर बरस जाते हैं. कुछ ही सेकेंड में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है. इस घटना को बादल फटना कहते हैं.

बादल फटना क्या है ? what-is-cloud-burst ?
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Published : Aug 19, 2019, 12:30 PM IST

देहरादून: उत्तरकाशी में बादल फटने से अबतक 17 लोग जान गंवा चुके हैं, जबकि 20 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. मौसम विभाग ने 6 जिलों में अगले 24 घंटे में भारी बारिश की आशंका जताई है. उत्तरकाशी में तीन दिन में अब तक कई बार बादल फट चुके हैं. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बादल फटना बारिश का एक चरम रूप है.

बादल फटने की घटना मुख्यत तब होती है, जब बहुत ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह रुक जाते हैं. पानी की बूंदों का वजन बढ़ने से बादल का घनत्व काफी बढ़ जाता है और फिर अचानक मूसलाधार बारिश शुरू हो जाती है. बादल फटने पर 100 मिलीमीटर प्रति घंटे की दर से पानी बरसता है. इस दौरान इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं.

अक्सर पहाड़ों पर ही क्यों फटते हैं बादल ?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बादलों का घनत्व बढ़ने से बादल पहाड़ी इलाकों में फंस जाते हैं और आगे नहीं बढ़ने से अचानक एक ही जगह पर बरस जाते हैं. कुछ ही मिनट में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है.

पढ़ें- उत्तरकाशी में बादल फटने से 17 की मौत, आपदा में फंसे लोगों को निकालने के लिए सेना ने संभाला मोर्चा

बादल फटने के बाद कैसा होता है मंजर ?
बादल फटने के बाद इलाके का मंजर भयावह होता है. नदी नालों का अचानक जलस्तर बढ़ने से आपदा जैसे हालात बन जाते हैं. पहाड़ पर बारिश का पानी रूक नहीं पाता, इसीलिए पानी तेजी से नीचे की ओर आता है. नीचे आने वाला पानी अपने साथ मिट्टी, कीचड़ और पत्थरों के टुकड़ों के साथ लेकर आता है. कीचड़ का यह सैलाब इतना खतरनाक होता है कि जो भी उसके रास्ते में आता है उसको अपने साथ बहा ले जाता है.

देहरादून: उत्तरकाशी में बादल फटने से अबतक 17 लोग जान गंवा चुके हैं, जबकि 20 से ज्यादा लोग लापता बताए जा रहे हैं. मौसम विभाग ने 6 जिलों में अगले 24 घंटे में भारी बारिश की आशंका जताई है. उत्तरकाशी में तीन दिन में अब तक कई बार बादल फट चुके हैं. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक बादल फटना बारिश का एक चरम रूप है.

बादल फटने की घटना मुख्यत तब होती है, जब बहुत ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह रुक जाते हैं. पानी की बूंदों का वजन बढ़ने से बादल का घनत्व काफी बढ़ जाता है और फिर अचानक मूसलाधार बारिश शुरू हो जाती है. बादल फटने पर 100 मिलीमीटर प्रति घंटे की दर से पानी बरसता है. इस दौरान इतना पानी बरसता है कि क्षेत्र में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो जाते हैं.

अक्सर पहाड़ों पर ही क्यों फटते हैं बादल ?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार बादलों का घनत्व बढ़ने से बादल पहाड़ी इलाकों में फंस जाते हैं और आगे नहीं बढ़ने से अचानक एक ही जगह पर बरस जाते हैं. कुछ ही मिनट में 2 सेंटीमीटर से ज्यादा बारिश हो जाती है.

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बादल फटने के बाद कैसा होता है मंजर ?
बादल फटने के बाद इलाके का मंजर भयावह होता है. नदी नालों का अचानक जलस्तर बढ़ने से आपदा जैसे हालात बन जाते हैं. पहाड़ पर बारिश का पानी रूक नहीं पाता, इसीलिए पानी तेजी से नीचे की ओर आता है. नीचे आने वाला पानी अपने साथ मिट्टी, कीचड़ और पत्थरों के टुकड़ों के साथ लेकर आता है. कीचड़ का यह सैलाब इतना खतरनाक होता है कि जो भी उसके रास्ते में आता है उसको अपने साथ बहा ले जाता है.

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