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जहां से बहती हैं गंगा-यमुना उस प्रदेश के 992 स्कूलों में नहीं जल, कैसे संवरेगा 'कल'?

उत्तराखंड के 992 स्कूलों में छात्रों को पीने के लिए पानी ही उपलब्ध नहीं है. ऐसे में पढ़ने-पढ़ाने पर खराब बुनियादी ढांचे की वजह से छात्रों का भविष्य अधर में लटका हुआ है.

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स्कूलों में नहीं पीने का पानी.
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Published : Nov 18, 2020, 4:33 PM IST

Updated : Nov 19, 2020, 3:04 PM IST

देहरादून: एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार हर घर को नल से जोड़ने के लिए योजना चला रही है. वहीं, उत्तराखंड के स्कूल पानी की उपलब्धता से महरूम हो रहे हैं. प्रदेश के 992 स्कूलों में पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा. हालत यह है कि बच्चों को स्कूल आने से पहले अपने लिए पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है.

ऐसे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर जल जीवन मिशन के तहत पेयजल विभाग प्रदेश के 992 स्कूल और 4,973 आंगनबाड़ी केंद्रों को चिन्हित किया है. जहां अभी पेयजल लाइन पहुंचना बाकी है. ऐसे में अब इन सभी सभी स्कूलों में नल पहुंचाने के लिए जनवरी तक का समय निर्धारित किया गया है.

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उत्तराखंड के स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल.

क्या कहते हैं आंकड़े

आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कुल 21,093 स्कूल हैं. जिनमें 20,101 स्कूलों तक पानी के पानी उपलब्ध है. बाकी 992 स्कूलों में पेयजल लाइन पहुंचना बाकी है. इसके साथ ही राज्य में कुल 18,727 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. जिसमें 13,754 केंद्रों तक पानी का कनेक्शन है. बाकी बचे 4,973 आंगनबाड़ी केंद्रों को पेयजल कनेक्शन से जोड़ा जाना है. इन सभी कार्यों के लिए सरकार ने आगामी 100 दिनों का लक्ष्य तय किया है.

जानकारी देते शिक्षा मंत्री.

ये भी पढ़ें: खतरे में एशिया का वाटर हाउस, क्या खत्म हो जाएगा गंगा सहित इन नदियों का अस्तित्व?

इस योजना पर होगा काम

नल से जल अभियान के तहत नवंबर महीने तक 396 स्कूल, दिसंबर महीने तक 398 स्कूल, और जनवरी महीने में 198 स्कूलों को नल से जल पहुंचाया जाएगा. इसी तरह नवंबर महीने में 1741 आंगनबाड़ी केंद्र, दिसंबर महीने में 1988 आंगनबाड़ी केंद्र और फिर जनवरी महीने में 1244 आंगनबाड़ी केंद्रों को नल से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान में हरिद्वार और उधमसिंह नगर ऐसे जिले हैं. जिनके सभी स्कूलों तक नल से जल पहुंचाया जा चुका है.

ये भी पढ़ें: गर्म जलस्रोतों से बनाई जाएगी बिजली, इतने मेगावॉट का होगा उत्पादन

वहीं, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत अधिकांश स्कूलों को जोड़ा जा चुका है. हालांकि मौजूदा समय में बहुत ही कम स्कूलों की संख्या है, जहां जल की व्यवस्था नहीं है. लिहाजा जल्द ही जल जीवन मिशन के तहत वहां पर भी नल से जल पहुंचाया जाएगा.

देहरादून: एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार हर घर को नल से जोड़ने के लिए योजना चला रही है. वहीं, उत्तराखंड के स्कूल पानी की उपलब्धता से महरूम हो रहे हैं. प्रदेश के 992 स्कूलों में पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा. हालत यह है कि बच्चों को स्कूल आने से पहले अपने लिए पानी की व्यवस्था करनी पड़ती है.

ऐसे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर जल जीवन मिशन के तहत पेयजल विभाग प्रदेश के 992 स्कूल और 4,973 आंगनबाड़ी केंद्रों को चिन्हित किया है. जहां अभी पेयजल लाइन पहुंचना बाकी है. ऐसे में अब इन सभी सभी स्कूलों में नल पहुंचाने के लिए जनवरी तक का समय निर्धारित किया गया है.

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उत्तराखंड के स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों का हाल.

क्या कहते हैं आंकड़े

आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कुल 21,093 स्कूल हैं. जिनमें 20,101 स्कूलों तक पानी के पानी उपलब्ध है. बाकी 992 स्कूलों में पेयजल लाइन पहुंचना बाकी है. इसके साथ ही राज्य में कुल 18,727 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. जिसमें 13,754 केंद्रों तक पानी का कनेक्शन है. बाकी बचे 4,973 आंगनबाड़ी केंद्रों को पेयजल कनेक्शन से जोड़ा जाना है. इन सभी कार्यों के लिए सरकार ने आगामी 100 दिनों का लक्ष्य तय किया है.

जानकारी देते शिक्षा मंत्री.

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इस योजना पर होगा काम

नल से जल अभियान के तहत नवंबर महीने तक 396 स्कूल, दिसंबर महीने तक 398 स्कूल, और जनवरी महीने में 198 स्कूलों को नल से जल पहुंचाया जाएगा. इसी तरह नवंबर महीने में 1741 आंगनबाड़ी केंद्र, दिसंबर महीने में 1988 आंगनबाड़ी केंद्र और फिर जनवरी महीने में 1244 आंगनबाड़ी केंद्रों को नल से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. वर्तमान में हरिद्वार और उधमसिंह नगर ऐसे जिले हैं. जिनके सभी स्कूलों तक नल से जल पहुंचाया जा चुका है.

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वहीं, शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने बताया कि जल जीवन मिशन के तहत अधिकांश स्कूलों को जोड़ा जा चुका है. हालांकि मौजूदा समय में बहुत ही कम स्कूलों की संख्या है, जहां जल की व्यवस्था नहीं है. लिहाजा जल्द ही जल जीवन मिशन के तहत वहां पर भी नल से जल पहुंचाया जाएगा.

Last Updated : Nov 19, 2020, 3:04 PM IST
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