देहरादूनः उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की सीमा में यमुना नदी पर प्रस्तावित ब्यासी जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य बीते कई सालों से अधर में लटका हुआ है. इतना ही नहीं 120 मेगावाट की इस जल विद्युत परियोजना के निर्माण कार्य कछुआ गति से चल रहा है. वहीं, निर्माण कार्य में हो रही लेटलतीफी को लेकर ऊर्जा कामगार संगठन से जुड़े लोगों ने सवाल खड़े करने शुरू कर दिए हैं.
बता दें कि, राज्य गठन से पहले ही यमुना नदी पर 120 मेगावाट की ब्यासी जल विद्युत परियोजना का प्रस्ताव रखा गया था. हालांकि, पर्यावरणीय और फारेस्ट क्लीयरेंस को लेकर काफी अड़चने भी आईं. जिसके बाद वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से स्वीकृति दी गई. इतना ही नहीं इस परियोजना का प्रदेश के कई मुख्यमंत्री अपने-अपने कार्यकाल में उद्घाटन भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक प्रोजेक्ट तैयार नहीं हो पाया है.
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ऐसे में प्रदेश को आज भी बाहर से महंगे दामों में बिजली खरीदनी पड़ रही है. ब्यासी जल विद्युत परियोजना को दिसंबर 2019 तक पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन शासन-प्रशासन की हीलाहवाली के चलते ये प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रही है. वहीं, प्रोजेक्ट निर्माण में हो रही देरी पर ऊर्जा कामगार संगठन में रोष है. ऊर्जा कामगार संगठन के अध्यक्ष राकेश शर्मा ने मामले में प्रबंधन पर कई खड़े किए हैं.
उनका कहना है कि प्रबंधन लगातार अपने चहेते अफसरों को सिविल से जुड़े अहम प्रोजेक्ट सौंप रहा है. ऐसे में उन्हीं चहेते अफसरों की लापरवाही से ब्यासी जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य बीते कई सालों से अधर में लटका हुआ है. वहीं, संगठन ने मामले को लेकर इन अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के समक्ष रखने की बात कही है.