देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में प्रदेश का वोटर नई सरकार चुनने के लिए तैयार है. वैसे तो राजनीति पार्टियां सभी वर्गों को ध्यान में रखकर घोषणाएं कर रही हैं, लेकिन इस बार महिलाओं को कुछ ज्यादा तवज्जो दी जा रही है. आखिर दी भी क्यों न जाए, क्योंकि पुराने आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रदेश में महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा वोट किया है. 2017 के विधानसभा चुनाव में महिला वोटर्स का प्रदर्शन पुरुषों की तुलना में काफी बेहतर रहा था. ये दर्शाता है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनकी भागीदारी अधिक काफी अच्छी थी.
सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्यूनिटीज फाउंडेशन (SDC) ने चुनाव में महिलाओं की भूमिका को लेकर कुछ आंकड़े जारी किए हैं, जिसमें उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव पर फोकस किया. 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में उत्तराखंड के 9 पहाड़ी जिलों की 34 सीटों पर पुरुषों का मतदान प्रतिशत केवल 51.15 था, जबकि महिलाओं का मतदान प्रतिशत तब 65.12 रहा था.
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पहाड़ी जिलों में औसतन 28,202 महिलाओं और 23,086 पुरुषों ने प्रत्येक विधानसभा सीट पर अपने मताधिकार का प्रयोग किया. इस हिसाब से देखें तो प्रत्येक विधानसभा सीट पर पुरुषों की तुलना में औसतन 5,116 अधिक महिलाओं ने वोट डाला.
सीटों के हिसाब से देखें तो बागेश्वर, रुद्रप्रयाग और द्वाराहाट विधानसभा सीटों पर 2017 में महिलाओं ने सबसे ज्यादा वोट डाला था. बागेश्वर में पुरुषों की तुलना में 9,802 अधिक महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. अध्ययन में कहा गया है कि रुद्रप्रयाग में पुरुषों की तुलना में यह संख्या 9,517 अधिक थी. वहीं द्वाराहाट में यह संख्या 9,043 थी.
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सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्यूनिटीज फाउंडेशन के फाउंडर अनूप नौटियाल के मुताबिक डोईवाला, ऋषिकेश, कालाढूंगी और खटीमा जैसे मैदानी विधानसभा सीटों पर भी महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में 2,917 वोट डाले थे. वैसे तो उत्तराखंड में महिलाओं को राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है, लेकिन इस रिपोर्ट से पता चलता है कि वो राज्य में लोकतंत्र की रीढ़ भी हैं.
हालांकि, ये इस प्रदेश के लिए अफसोस की बात है कि मतदान में महिलाओं की इतनी बड़ी भागीदारी के बावजूद प्रमुख राजनीतिक दलों ने उत्तराखंड में चुनावों में कुछ महिलाओं को मैदान में उतारा है.