ETV Bharat / state

संकट की घड़ी में 'रियल वॉरियर्स' बने NRI, विदेशी जमीन से कर रहे देवभूमि की मदद

author img

By

Published : May 24, 2021, 5:17 PM IST

Updated : May 24, 2021, 10:37 PM IST

सात समंदर पार से विनोद जठूड़ी और शैलेश थपलियाल जैसे लोग कोरोना जैसे मुश्किल हालातों में अपने प्रयासों की पहल से लोगों के टूटते हौसलों को एक नया जीवन दे रहे हैं.

nri-vinod-jathudi-and-shailesh-thapliyal-are-sending-help-from-abroad-to-uttarakhand-in-corona-period
कोरोना काल में 'रियल वॉरियर्स' के रुप में काम कर रहे ये प्रवासी

देहरादून: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर और ब्लैक फंगस की मार से उत्तराखंड में हालात खराब हैं. इसके साथ रही सही कसर प्राकृतिक आपदाओं ने पूरी कर दी है. जिसके कारण लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. प्रदेश के ऐसे हालातों को देखकर विदेशों में रह रहे उत्तराखंडी भी बेचैन हैं. जिसके कारण वे लगातार सात समंदर पार से प्रदेश की जनता को राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं. विनोद जठूड़ी और शैलेश थपलियाल ऐसे ही कुछ लोग हैं, जो विदेशों में रहते हुए भी लगातार प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले जरूरतमंदों, असहाय और गरीब लोगों की मदद के लिए काम कर रहे हैं.

संकट की घड़ी में 'रियल वॉरियर्स' बने NRI

प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद से ही सरकार, स्वास्थ्य विभाग और व्यवस्थाएं सभी बैकफुट पर नजर आई. जिसके बाद समाज के लोगों ने आपस मिलकर एक ऐसी व्यवस्था बनाई जिसमें सभी एक दूसरे के साथ बने. ऐसे मुश्किल हालातों में एक दूसरे के सहयोगी बने. इस मुश्किल दौर में समाजसेवा संस्थाओं के साथ ही कई लोगों ने व्यक्तिगत प्रयासों के कई जिंदगियों को बचाने का प्रयास किया.

जहां सरकार और सिस्टम नहीं पहुंचा वहां विनोद जठूड़ी और शैलेश थपलियाल अपने प्रयासों, सेवाभाव और मिट्टी से जुड़ाव के कारण आसानी से पहुंच गये. इन लोगों ने ऐसे इलाकों में वे सभी सुविधाएं, जरूरी चीजें पहुंचाने का प्रयास किया, जिसकी इन दिनों सबसे ज्यादा जरूरत है.

पढ़ें- उत्तराखंड में 1 जून तक बढ़ाया गया कोरोना कर्फ्यू, हुए ये बदलाव

प्रदेश के लोगों की मदद को बनाया गया फाउंडेशन

आइये सबसे पहले टिहरी गढ़वाल से आने वाले विनोद जठूड़ी की बात करते हैं, जो पिछले 15 सालों से दुबई में रह रहे हैं. मगर उनकी जड़ें आज भी उत्तराखंड से जुड़ी हुई हैं. यही कारण है जब भी विनोद को मौका मिलता है वो हमेशा ही कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं. उत्तराखंड के पर्वतीय जिले से ताल्लुक रखने वाले विनोद पहाड़ की परेशानियों को समझते हैं, जिसे देखते हुए उन्होंने साल 2010 में पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों की मदद करने के लिए समूंण फाउंडेशन का गठन किया. इस फाउंडेशन को साल 2014 में रजिस्ट्रेशन कराया. आज इस फाउंडेशन से तमाम लोग जुड़ चुके हैं. जिनके माध्यम से वे प्रदेश के तमाम जिलों में काम कर रहे हैं. दुबई में रहने वाले विनोद जठूड़ी बताते हैं कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान भी उन्होंने प्रदेश के तमाम जगहों पर राशन वितरण कर लोगों की मदद की थी.

पढ़ें- खुशखबरीः कोरोना काल में उत्तराखंड प्रवासियों को भी मिलेगा सस्ता राशन

डोनेशन के माध्यम से कर रहे हैं लोगों की मदद

अब कोरोना की दूसरी लहर में भी विनोद अपनी फाउंडेशन के जरिये जरूरतमंद लोगों तक खुशियों की समूंण पहुंचा रहे हैं. फाउंडेशन के वॉलंटियर ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर न सिर्फ लोगों को जागरूक कर रहे है. बल्कि मास्क, सैनिटाइजर, ऑक्सीमीटर थर्मामीटर जरूरी दवाइयां भी बांट रहे हैं. विनोद जठूड़ी बताते हैं कि वर्तमान समय में प्रदेश के सभी जिलों में उनके वॉलिंटियर मौजूद हैं, जो धरातल पर लगातार काम कर रहे हैं. यही नहीं, विनोद ने बताया कि इस फाउंडेशन के वॉलिंटियर्स भी लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. उन्होंने बताया फाउंडेशन को डोनेशन के रूप में लोगों की मदद मिल रही है, जिससे जरुरतमंदों की मदद की जाती है.

पढ़ें- नगर पालिका मुनि की रेती के अध्यक्ष ने सौंपी कृषि मंत्री को 1 लाख पैरासिटामोल टैबलेट

अमेरिका के तमाम युवा कर रहे मदद

इसी कड़ी में दूसरा नाम थराली के सुनाऊ मल्ला के रहने वाले शैलेश थपलियाल का आता है, जो कि इन दिनों अमेरिका में रहते हैं. सात समंदर पार रहते हुए भी शैलेश की नजर प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में लगी रहती है. वे अमेरिका की चकाचौंध वाली दुनिया में बैठकर भी पहाड़ों के गाड़-गदेरों, खेतों और यहां की परेशानियों के बारे में सोचते रहते हैं. पहाड़ों की परेशानियां शैलेश थपलियाल को बेचैन कर देती हैं. जिसके कारण वे पहाड़ों की एक जरा सी आह पर भी सिहर उठते हैं.

शैलेश थपलियाल को अपने गांव से इस कदर लगा है कि वह आपदा के इस समय में भी अपनों से जुड़े हुए हैं. अमेरिका के न्यूजर्सी और आसपास के प्रांतों में रह रहे चमोली मूल के युवा अपने-अपने गांव में कोरोना से बचाव के लिए दवाइयां, पल्स मीटर, थर्मामीटर समेत अन्य उपकरण भेज रहे हैं. हालांकि, इसके लिए गांव के ग्राम प्रधान समेत अन्य जानकारों से संपर्क साधकर इन जरूरी दवाइयों और उपकरणों को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है.

पढ़ें- उत्तराखंड में 1 जून तक बढ़ाया गया कोरोना कर्फ्यू, हुए ये बदलाव

कई क्षेत्रों में अभी तक पहुंच चुकी है मदद सामग्री

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शैलेश थपलियाल ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तमाम लोग अपने-अपने स्तर पर सहयोग करने का प्रयास कर रहे हैं. इसी क्रम में अमेरिका में रहकर वह लोग भी अपने गांव में मदद करने के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं. शैलेश थपलियाल बताते हैं कि अमेरिका में उनके आसपास रहने वाले उत्तराखंड मूल के लोग एक साथ मिलकर अपने गांव में मदद सामग्री पहुंचा रहे हैं. साथ ही उन्होंने बताया जो इन गांव में उनके जानकार मौजूद हैं, उनके साथ मिलकर गांववासियों की मदद की जा रही है. शैलेश बताते हैं कि अभी तक वे लोग थलीसैंण, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, देवाल, थराली, नारायण बगड़, सिमली, गैरसैंण, कर्णप्रयाग, लंगासू, घाट, पोखरी और गोचर समेत अन्य जगहों पर राहत सामग्री पहुंचा चुके हैं.

कहा जाता है जब सिस्टम फेल हो या हालात असाधारण हो तो साधारण लोग ही सामने आकर असल में हीरो बन जाते हैं. वे अपने सीमित संसाधनों में वो सब कुछ कर लेते हैं जिससे कई चेहरों पर मुस्कान आ जाती है. दूर देशों में बैठे विनोद जठूड़ी और शैलेश थपलियाल इन्ही हीरोज में से एक हैं, जो कि ऐसे हालातों में अपने प्रयासों की पहल से लोगों के टूटते हौंसलों को एक नया जीवन दे रहे हैं.

देहरादून: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर और ब्लैक फंगस की मार से उत्तराखंड में हालात खराब हैं. इसके साथ रही सही कसर प्राकृतिक आपदाओं ने पूरी कर दी है. जिसके कारण लोगों की परेशानियां बढ़ गई हैं. प्रदेश के ऐसे हालातों को देखकर विदेशों में रह रहे उत्तराखंडी भी बेचैन हैं. जिसके कारण वे लगातार सात समंदर पार से प्रदेश की जनता को राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं. विनोद जठूड़ी और शैलेश थपलियाल ऐसे ही कुछ लोग हैं, जो विदेशों में रहते हुए भी लगातार प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले जरूरतमंदों, असहाय और गरीब लोगों की मदद के लिए काम कर रहे हैं.

संकट की घड़ी में 'रियल वॉरियर्स' बने NRI

प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद से ही सरकार, स्वास्थ्य विभाग और व्यवस्थाएं सभी बैकफुट पर नजर आई. जिसके बाद समाज के लोगों ने आपस मिलकर एक ऐसी व्यवस्था बनाई जिसमें सभी एक दूसरे के साथ बने. ऐसे मुश्किल हालातों में एक दूसरे के सहयोगी बने. इस मुश्किल दौर में समाजसेवा संस्थाओं के साथ ही कई लोगों ने व्यक्तिगत प्रयासों के कई जिंदगियों को बचाने का प्रयास किया.

जहां सरकार और सिस्टम नहीं पहुंचा वहां विनोद जठूड़ी और शैलेश थपलियाल अपने प्रयासों, सेवाभाव और मिट्टी से जुड़ाव के कारण आसानी से पहुंच गये. इन लोगों ने ऐसे इलाकों में वे सभी सुविधाएं, जरूरी चीजें पहुंचाने का प्रयास किया, जिसकी इन दिनों सबसे ज्यादा जरूरत है.

पढ़ें- उत्तराखंड में 1 जून तक बढ़ाया गया कोरोना कर्फ्यू, हुए ये बदलाव

प्रदेश के लोगों की मदद को बनाया गया फाउंडेशन

आइये सबसे पहले टिहरी गढ़वाल से आने वाले विनोद जठूड़ी की बात करते हैं, जो पिछले 15 सालों से दुबई में रह रहे हैं. मगर उनकी जड़ें आज भी उत्तराखंड से जुड़ी हुई हैं. यही कारण है जब भी विनोद को मौका मिलता है वो हमेशा ही कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं. उत्तराखंड के पर्वतीय जिले से ताल्लुक रखने वाले विनोद पहाड़ की परेशानियों को समझते हैं, जिसे देखते हुए उन्होंने साल 2010 में पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों की मदद करने के लिए समूंण फाउंडेशन का गठन किया. इस फाउंडेशन को साल 2014 में रजिस्ट्रेशन कराया. आज इस फाउंडेशन से तमाम लोग जुड़ चुके हैं. जिनके माध्यम से वे प्रदेश के तमाम जिलों में काम कर रहे हैं. दुबई में रहने वाले विनोद जठूड़ी बताते हैं कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर के दौरान भी उन्होंने प्रदेश के तमाम जगहों पर राशन वितरण कर लोगों की मदद की थी.

पढ़ें- खुशखबरीः कोरोना काल में उत्तराखंड प्रवासियों को भी मिलेगा सस्ता राशन

डोनेशन के माध्यम से कर रहे हैं लोगों की मदद

अब कोरोना की दूसरी लहर में भी विनोद अपनी फाउंडेशन के जरिये जरूरतमंद लोगों तक खुशियों की समूंण पहुंचा रहे हैं. फाउंडेशन के वॉलंटियर ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर न सिर्फ लोगों को जागरूक कर रहे है. बल्कि मास्क, सैनिटाइजर, ऑक्सीमीटर थर्मामीटर जरूरी दवाइयां भी बांट रहे हैं. विनोद जठूड़ी बताते हैं कि वर्तमान समय में प्रदेश के सभी जिलों में उनके वॉलिंटियर मौजूद हैं, जो धरातल पर लगातार काम कर रहे हैं. यही नहीं, विनोद ने बताया कि इस फाउंडेशन के वॉलिंटियर्स भी लोगों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. उन्होंने बताया फाउंडेशन को डोनेशन के रूप में लोगों की मदद मिल रही है, जिससे जरुरतमंदों की मदद की जाती है.

पढ़ें- नगर पालिका मुनि की रेती के अध्यक्ष ने सौंपी कृषि मंत्री को 1 लाख पैरासिटामोल टैबलेट

अमेरिका के तमाम युवा कर रहे मदद

इसी कड़ी में दूसरा नाम थराली के सुनाऊ मल्ला के रहने वाले शैलेश थपलियाल का आता है, जो कि इन दिनों अमेरिका में रहते हैं. सात समंदर पार रहते हुए भी शैलेश की नजर प्रदेश के दूरस्थ इलाकों में लगी रहती है. वे अमेरिका की चकाचौंध वाली दुनिया में बैठकर भी पहाड़ों के गाड़-गदेरों, खेतों और यहां की परेशानियों के बारे में सोचते रहते हैं. पहाड़ों की परेशानियां शैलेश थपलियाल को बेचैन कर देती हैं. जिसके कारण वे पहाड़ों की एक जरा सी आह पर भी सिहर उठते हैं.

शैलेश थपलियाल को अपने गांव से इस कदर लगा है कि वह आपदा के इस समय में भी अपनों से जुड़े हुए हैं. अमेरिका के न्यूजर्सी और आसपास के प्रांतों में रह रहे चमोली मूल के युवा अपने-अपने गांव में कोरोना से बचाव के लिए दवाइयां, पल्स मीटर, थर्मामीटर समेत अन्य उपकरण भेज रहे हैं. हालांकि, इसके लिए गांव के ग्राम प्रधान समेत अन्य जानकारों से संपर्क साधकर इन जरूरी दवाइयों और उपकरणों को लोगों तक पहुंचाया जा रहा है.

पढ़ें- उत्तराखंड में 1 जून तक बढ़ाया गया कोरोना कर्फ्यू, हुए ये बदलाव

कई क्षेत्रों में अभी तक पहुंच चुकी है मदद सामग्री

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए शैलेश थपलियाल ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान तमाम लोग अपने-अपने स्तर पर सहयोग करने का प्रयास कर रहे हैं. इसी क्रम में अमेरिका में रहकर वह लोग भी अपने गांव में मदद करने के लिए हाथ बढ़ा रहे हैं. शैलेश थपलियाल बताते हैं कि अमेरिका में उनके आसपास रहने वाले उत्तराखंड मूल के लोग एक साथ मिलकर अपने गांव में मदद सामग्री पहुंचा रहे हैं. साथ ही उन्होंने बताया जो इन गांव में उनके जानकार मौजूद हैं, उनके साथ मिलकर गांववासियों की मदद की जा रही है. शैलेश बताते हैं कि अभी तक वे लोग थलीसैंण, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, देवाल, थराली, नारायण बगड़, सिमली, गैरसैंण, कर्णप्रयाग, लंगासू, घाट, पोखरी और गोचर समेत अन्य जगहों पर राहत सामग्री पहुंचा चुके हैं.

कहा जाता है जब सिस्टम फेल हो या हालात असाधारण हो तो साधारण लोग ही सामने आकर असल में हीरो बन जाते हैं. वे अपने सीमित संसाधनों में वो सब कुछ कर लेते हैं जिससे कई चेहरों पर मुस्कान आ जाती है. दूर देशों में बैठे विनोद जठूड़ी और शैलेश थपलियाल इन्ही हीरोज में से एक हैं, जो कि ऐसे हालातों में अपने प्रयासों की पहल से लोगों के टूटते हौंसलों को एक नया जीवन दे रहे हैं.

Last Updated : May 24, 2021, 10:37 PM IST

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.