देहरादूनः देश के कई जिलों में बढ़ रही पानी की किल्लत एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. इसे लेकर आज आम बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी चिंता जाहिर की. इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने देश के 100 जिलों को चयनित किया है. जहां पानी की सबसे ज्यादा कमी है. इनमें उत्तराखंड का पौड़ी जिला भी शामिल है. लेकिन, क्या सिर्फ पौड़ी जिले में ही पानी की समस्या मान लेना काफी होगा. क्या कहते हैं जानकार, जानिए.
यूं तो उत्तराखंड राज्य में कई नदियों का उद्गम स्थल है. बावजूद इसके गर्मियों के समय में प्रदेश के कई इलाकों में पानी की किल्लत हो जाती है. हालांकि, यहां पौड़ी जिले की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है. क्योंकि गर्मियों के समय में पौड़ी जिले में लोगों को पानी की परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. यही नहीं पौड़ी जिले के लोग कई बार पानी की समस्या को दूर करने के लिए सरकार के खिलाफ धरना भी दे चुके हैं. वहीं, अब केंद्रीय बजट में पानी की किल्लत दूर करने के प्रावधान के बाद लोगों की उम्मीद जगी है, जिसमें कुछ हद तक ग्रामीणों की समस्या दूर हो जाएगी.
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वहीं, अगर जानकार की मानें तो उनके अनुसार प्रदेश के तमाम इलाके ऐसे हैं जहां सरकारी व्यवस्थाओं के तहत साफ पेयजल उपलब्ध नहीं करा पाए हैं. हालांकि, केंद्र सरकार का यह पहल काबिले तारीफ तो है, लेकिन उत्तराखंड राज्य में 13 जिले और उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए मात्र पौड़ी जिले को इस योजना में लेने से काम नहीं बनेगा.
जानकार ये भी कहते हैं कि जिन-जिन इलाकों में पेयजल की किल्लत है, उन क्षेत्रों को लेना चाहिए था. क्योंकि, पूरे पौड़ी जिले में पानी की किल्लत नहीं है. बल्कि प्रदेश के तमाम अन्य इलाके ऐसे हैं जो प्यासे हैं. ऐसे में अगर संसोधन की गुंजाइश है तो उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए तहसील, ब्लॉक या न्याय पंचायत स्तर पर लाना चाहिए ताकि उन सभी इलाकों में पेयजल की समस्या दूर हो सके, जहां पानी की समस्या है.