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पिछले 4 साल से कैबिनेट का नहीं हुआ विस्तार, कांग्रेस ने BJP नेताओं को बताया अयोग्य

उत्तराखंड में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में पिछले 4 सालों से सरकार चल रही है, लेकिन अभी तक कैबिनेट का विस्तार नहीं हुआ है. ऐसे में प्रचंड बहुमत की सरकार होने के बावजूद कैबिनेट विस्तार नहीं होने को लेकर सवाल उठने लगे हैं.

देहरादून
त्रिवेंद्र कैबिनेट का नहीं हुआ विस्तार
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Published : Dec 12, 2020, 9:11 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड गठन के बाद 2017 में प्रचंड बहुमत वाली बीजेपी की सरकार बनी, लेकिन करीब 4 साल पूरे होने के बावजूद भी आज तक त्रिवेंद्र कैबिनेट का विस्तार नहीं हो पाया है. हर बार सियासी गलियारों में कैबिनेट विस्तार की खबरें उड़ती हैं और सिर्फ अटकलें बनकर रह जाती हैं.

त्रिवेंद्र कैबिनेट का नहीं हुआ विस्तार

2017 में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 57 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. यह जीत कई मायनों में खास थी, क्योंकि एक तरफ जहां हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली. वहीं, प्रदेश में पहली बार प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनी. त्रिवेंद्र सरकार अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाली है. इस सबके बावजूद मंत्रिमंडल का विस्तार आज तक नहीं हो पाया है. पिछले 4 सालों से अधूरा पड़ा मंत्रिमंडल एक अलग ही मिसाल पेश कर रहा है. बीते 4 सालों में अलग-अलग मौकों पर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर टकटकी लगाए सभी देखते रहे, लेकिन हर बार मंत्रिमंडल विस्तार के सवाल को मुख्यमंत्री ने टाल दिया.

आपको बता दें कि एक बार फिर से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्तराखंड दौरे को लेकर प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन यह कयास भी महज अटकलें ही साबित हुए. वहीं, मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सवाल आज भी जस का तस बना हुआ है. जहां एक तरफ पूरे 5 साल का कार्यकाल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पूरा करेंगे. वहीं, राज्य में अधूरे कैबिनेट का भी इस बार नया इतिहास उत्तराखंड में दर्ज हो जाएगा.

ये भी पढ़ें: IG के आदेश पर दहेज उत्पीड़न की शिकायत हुई दर्ज, पति-ससुराल वालों पर मुकदमा

सियासी धुरंधर भी मानते हैं कि जब सरकार पूर्ण बहुमत की और मजबूत होती है, तो उसे फैसले लेने में आसानी होती है. बहुमत वाली सरकार बिना किसी दबाव के काम करती है, लेकिन पिछले 4 सालों से अधूरा पड़ा मंत्रिमंडल कुछ अलग ही मिसाल पेश कर रहा है. बीते 4 सालों में कभी दीपावली तो कभी नए साल के मौके पर मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें सुर्खियां बटोरती रहीं. मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर विधायकों की धड़कनें हर बार बढ़ती रहीं, लेकिन अब सबने उम्मीदें छोड़ दी हैं. अब लग रहा है कि शायद मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया जाएगा.

बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दौरे को लेकर पूरे प्रदेश भर के लोगों को उम्मीद थी कि कोर कमेटी की बैठक में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जरूर कुछ ना कुछ नया देखने को मिलेगा. लेकिन जिस तरह से राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे के बावजूद भी कैबिनेट विस्तार के सवाल पर चुप्पी साध ली गई, उसे देखकर लगता है कि अब अधूरे पड़े मंत्रिमंडल को पूरा करने की उम्मीद करना बेकार है.

राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे के बाद प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत कैबिनेट विस्तार पर गोलमोल जवाब देते नजर आए. जब प्रदेश अध्यक्ष से कैबिनेट विस्तार को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने एक बार फिर से चुप्पी साध ली. वहीं, जब मुख्यमंत्री से भी यह सवाल किया गया तो उन्होंने भी कुछ नहीं कहा.

वहीं, त्रिवेंद्र सरकार में अधूरे पड़े कैबिनेट पर कांग्रेस चुटकी लेने से बाज नहीं आ रही है. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि बीजेपी के पास कोई भी योग्य विधायक ही नहीं है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को कांग्रेस का शुक्रगुजार होना चाहिए कि कांग्रेस से गए लोगों ने बीजेपी की इज्जत बचा ली. आज त्रिवेंद्र कैबिनेट में केवल कांग्रेस के बागी नेता ही मौजूद हैं. बाकी उनके पास कोई भी योग्य विधायक मौजूद नहीं है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि बीजेपी में वह लोग विधायक बन गए जो कि प्रधान बनने के लायक भी नहीं थे. यही वजह है कि आज मुख्यमंत्री खुद ही सभी विभाग लेकर बैठे हैं. बीजेपी में कोई भी विधायक, मंत्री बनाने के लायक नहीं है.

देहरादून: उत्तराखंड गठन के बाद 2017 में प्रचंड बहुमत वाली बीजेपी की सरकार बनी, लेकिन करीब 4 साल पूरे होने के बावजूद भी आज तक त्रिवेंद्र कैबिनेट का विस्तार नहीं हो पाया है. हर बार सियासी गलियारों में कैबिनेट विस्तार की खबरें उड़ती हैं और सिर्फ अटकलें बनकर रह जाती हैं.

त्रिवेंद्र कैबिनेट का नहीं हुआ विस्तार

2017 में हुए उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 57 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. यह जीत कई मायनों में खास थी, क्योंकि एक तरफ जहां हरीश रावत के नेतृत्व में कांग्रेस को करारी शिकस्त मिली. वहीं, प्रदेश में पहली बार प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनी. त्रिवेंद्र सरकार अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाली है. इस सबके बावजूद मंत्रिमंडल का विस्तार आज तक नहीं हो पाया है. पिछले 4 सालों से अधूरा पड़ा मंत्रिमंडल एक अलग ही मिसाल पेश कर रहा है. बीते 4 सालों में अलग-अलग मौकों पर मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर टकटकी लगाए सभी देखते रहे, लेकिन हर बार मंत्रिमंडल विस्तार के सवाल को मुख्यमंत्री ने टाल दिया.

आपको बता दें कि एक बार फिर से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्तराखंड दौरे को लेकर प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन यह कयास भी महज अटकलें ही साबित हुए. वहीं, मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सवाल आज भी जस का तस बना हुआ है. जहां एक तरफ पूरे 5 साल का कार्यकाल मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पूरा करेंगे. वहीं, राज्य में अधूरे कैबिनेट का भी इस बार नया इतिहास उत्तराखंड में दर्ज हो जाएगा.

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सियासी धुरंधर भी मानते हैं कि जब सरकार पूर्ण बहुमत की और मजबूत होती है, तो उसे फैसले लेने में आसानी होती है. बहुमत वाली सरकार बिना किसी दबाव के काम करती है, लेकिन पिछले 4 सालों से अधूरा पड़ा मंत्रिमंडल कुछ अलग ही मिसाल पेश कर रहा है. बीते 4 सालों में कभी दीपावली तो कभी नए साल के मौके पर मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें सुर्खियां बटोरती रहीं. मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर विधायकों की धड़कनें हर बार बढ़ती रहीं, लेकिन अब सबने उम्मीदें छोड़ दी हैं. अब लग रहा है कि शायद मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया जाएगा.

बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के दौरे को लेकर पूरे प्रदेश भर के लोगों को उम्मीद थी कि कोर कमेटी की बैठक में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जरूर कुछ ना कुछ नया देखने को मिलेगा. लेकिन जिस तरह से राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे के बावजूद भी कैबिनेट विस्तार के सवाल पर चुप्पी साध ली गई, उसे देखकर लगता है कि अब अधूरे पड़े मंत्रिमंडल को पूरा करने की उम्मीद करना बेकार है.

राष्ट्रीय अध्यक्ष के दौरे के बाद प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत कैबिनेट विस्तार पर गोलमोल जवाब देते नजर आए. जब प्रदेश अध्यक्ष से कैबिनेट विस्तार को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने एक बार फिर से चुप्पी साध ली. वहीं, जब मुख्यमंत्री से भी यह सवाल किया गया तो उन्होंने भी कुछ नहीं कहा.

वहीं, त्रिवेंद्र सरकार में अधूरे पड़े कैबिनेट पर कांग्रेस चुटकी लेने से बाज नहीं आ रही है. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि बीजेपी के पास कोई भी योग्य विधायक ही नहीं है. उन्होंने कहा कि बीजेपी को कांग्रेस का शुक्रगुजार होना चाहिए कि कांग्रेस से गए लोगों ने बीजेपी की इज्जत बचा ली. आज त्रिवेंद्र कैबिनेट में केवल कांग्रेस के बागी नेता ही मौजूद हैं. बाकी उनके पास कोई भी योग्य विधायक मौजूद नहीं है. कांग्रेस प्रवक्ता गरिमा दसौनी ने कहा कि बीजेपी में वह लोग विधायक बन गए जो कि प्रधान बनने के लायक भी नहीं थे. यही वजह है कि आज मुख्यमंत्री खुद ही सभी विभाग लेकर बैठे हैं. बीजेपी में कोई भी विधायक, मंत्री बनाने के लायक नहीं है.

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