ETV Bharat / state

सरकार की दोहरी नीति से परेशान उत्तराखंड के ट्रांसपोर्टर, राजस्व का भी हो रहा नुकसान

author img

By

Published : Nov 21, 2020, 6:22 PM IST

राज्य में रजिस्टर्ड होने वाले मालवाहकों को परिवहन विभाग 16 टन वजन तक ही ढुलाई की अनुमति देती है. जबकि, दूसरे राज्यों के वाहन मात्र नेशनल परमिट के आधार पर 18 से 20 टन तक माल की ढुलाई कर रहे हैं.

Uttarakhand transport Department
उत्तराखंड परिवहन विभाग.

देहरादून: उत्तराखंड के ट्रांसपोर्टर इन दिनों राज्य सरकार की दोहरी नीतियों से काफी नाराज चल रहे हैं. जिसकी मुख्य वजह यह है कि राज्य में रजिस्टर्ड माल वाहकों को 16 टन से ज्यादा माल ढोने की अनुमति नहीं है जबकि दूसरे राज्यों के वाहन मात्र नेशनल परमिट के आधार पर 18 से 20 टन तक माल की ढुलाई कर रहे हैं. अमूमन तौर पर राज्य अपने यहां के कारोबारियों को ज्यादा सुविधाएं देने की कोशिश करता है, लेकिन उत्तराखंड परिवहन विभाग अपने ही राज्य के कारोबारियों को नुकसान पहुंचा रहा है.

राज्य में रजिस्टर्ड होने वाले मालवाहक वाहनों को नेशनल परमिट बनाने के लिए 15 हजार रुपये की फीस देनी होती है. इसके साथ ही हिल परमिट के लिए अलग से अनुमति लेनी होती है. जिसके तहत पांच साल के लिए छह हजार रुपये देने होते हैं. यही नहीं राज्य में रजिस्टर्ड होने वाले मालवाहकों को परिवहन विभाग 16 टन वजन तक ही ढुलाई की अनुमति देती है. तो वहीं नेशनल परमिट के आधार पर वाहन पूरे देश में 18 टन वजन के साथ चल सकते हैं.

पढ़ें- मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का बड़ा बयान, लव जिहाद के नाम पर सांप्रदायिकता बर्दाश्त नहीं

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री आदेश सैनी सम्राट ने बताया कि ट्रांसपोर्ट कारोबारी पिछले काफी समय से इस मुद्दे को उठाते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक परिवहन विभाग ने इस दोहरी व्यवस्था को खत्म नहीं किया है. जिसके चलते ट्रांसपोर्ट व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है.

राज्य सरकार के इस रवैय के कारण ट्रांसपोर्टर मजबूरी में अपने नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन किसी दूसरे राज्य में करवा रहे हैं. इससे राज्य को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है. सरकार को इस पहलू पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

इस बारे में उत्तराखंड परिवहन के उप आयुक्त एसके सिंह ने बताया कि यह मामला कई बार संज्ञान में आ चुका है. लिहाजा, परिवहन विभाग अब इस पर विचार कर रहा है. इसके साथ ही अभी फिलहाल लोक निर्माण विभाग से प्रदेश में मौजूद पुलों की क्षमता की रिपोर्ट मांगी गई है. रिपोर्ट आने के बाद पुलों की क्षमता के अनुसार ट्रांसपोर्ट कारोबारियों की समस्याओं का हल निकाला जाएगा.

देहरादून: उत्तराखंड के ट्रांसपोर्टर इन दिनों राज्य सरकार की दोहरी नीतियों से काफी नाराज चल रहे हैं. जिसकी मुख्य वजह यह है कि राज्य में रजिस्टर्ड माल वाहकों को 16 टन से ज्यादा माल ढोने की अनुमति नहीं है जबकि दूसरे राज्यों के वाहन मात्र नेशनल परमिट के आधार पर 18 से 20 टन तक माल की ढुलाई कर रहे हैं. अमूमन तौर पर राज्य अपने यहां के कारोबारियों को ज्यादा सुविधाएं देने की कोशिश करता है, लेकिन उत्तराखंड परिवहन विभाग अपने ही राज्य के कारोबारियों को नुकसान पहुंचा रहा है.

राज्य में रजिस्टर्ड होने वाले मालवाहक वाहनों को नेशनल परमिट बनाने के लिए 15 हजार रुपये की फीस देनी होती है. इसके साथ ही हिल परमिट के लिए अलग से अनुमति लेनी होती है. जिसके तहत पांच साल के लिए छह हजार रुपये देने होते हैं. यही नहीं राज्य में रजिस्टर्ड होने वाले मालवाहकों को परिवहन विभाग 16 टन वजन तक ही ढुलाई की अनुमति देती है. तो वहीं नेशनल परमिट के आधार पर वाहन पूरे देश में 18 टन वजन के साथ चल सकते हैं.

पढ़ें- मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का बड़ा बयान, लव जिहाद के नाम पर सांप्रदायिकता बर्दाश्त नहीं

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री आदेश सैनी सम्राट ने बताया कि ट्रांसपोर्ट कारोबारी पिछले काफी समय से इस मुद्दे को उठाते आ रहे हैं, लेकिन अभी तक परिवहन विभाग ने इस दोहरी व्यवस्था को खत्म नहीं किया है. जिसके चलते ट्रांसपोर्ट व्यापारियों को काफी नुकसान हो रहा है.

राज्य सरकार के इस रवैय के कारण ट्रांसपोर्टर मजबूरी में अपने नए वाहनों का रजिस्ट्रेशन किसी दूसरे राज्य में करवा रहे हैं. इससे राज्य को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है. सरकार को इस पहलू पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

इस बारे में उत्तराखंड परिवहन के उप आयुक्त एसके सिंह ने बताया कि यह मामला कई बार संज्ञान में आ चुका है. लिहाजा, परिवहन विभाग अब इस पर विचार कर रहा है. इसके साथ ही अभी फिलहाल लोक निर्माण विभाग से प्रदेश में मौजूद पुलों की क्षमता की रिपोर्ट मांगी गई है. रिपोर्ट आने के बाद पुलों की क्षमता के अनुसार ट्रांसपोर्ट कारोबारियों की समस्याओं का हल निकाला जाएगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.