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बुग्याल टूरिज्म के लिए महत्वपूर्ण, जरूरत पड़ी तो जाएंगे सुप्रीम कोर्ट: सतपाल महाराज - हाई कोर्ट की रोक

उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश के बुग्यालों पर लगी रोक हटाने के लिए एक बार फिर कोर्ट जाने की बात कही है. पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि जब दुनियाभर के बुग्यालों में ट्रैकिंग हो सकती है तो उत्तराखंड के बुग्यालों में भी कमर्शियल एक्टिविटी होनी चाहिए.

फिर से शुरू हो बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी
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Published : Aug 19, 2019, 1:52 PM IST

Updated : Aug 19, 2019, 3:53 PM IST

देहरादून: प्रदेश को बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी पर हाई कोर्ट के रोक लगाने के बाद अब लगातार वन विभाग और पर्यटन विभाग लगी रोक को हटाने की कवायद में जुटा है, जिससे फिर से बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी शुरू की जा सके. जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सके. साथ ही सैलानी उत्तराखंड की हसीन वादियों का दीदार कर सके. वहीं, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी बंद है, लेकिन लोग बुग्यालों में देवी-देवताओं की पूजा करने जाते है. हालांकि, इसकी अनुमति अभी भी है और सरकार की कोशिश रहेगी कि किसी वनस्पति और बुग्याल को नुकसान नहीं पहुंचा जाए. उन्होंने कहा कि बुग्याल का जो प्रसंग है, बहुत महत्वपूर्ण टूरिज्म है. इसलिए अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में भी जाएंगे.

फिर से शुरू हो बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी

यूं तो उत्तराखंड में कई ऐसे बुग्याल हैं, जो अपनी खूबसूरती के लिए विश्व विख्यात हैं, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं. लेकिन सुंदरता के लिए मशहूर इन बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी होने के चलते संकट मंडराने लगे थे. जिस वजह से हाई कोर्ट ने बुग्याल को संरक्षित करने के लिए बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी पर रोक लगा दी है. हाई कोर्ट ने कहा था कि बुग्यालों में पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए नियम बनाया जाए, इसके साथ ही उसका सही ढंग से पालन कराया जाए.

बुग्यालों के लिए पर्यटन नीति में परिवर्तन करने की जरूरत
वन विभाग के ब्रांड अंबेसडर जगत सिंह चौधरी ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में पर्यटन से पैसा कमाने का मात्र एक संसाधन बना दिया है, लेकिन इसमें अनुशासन नहीं जोड़ा. अगर शुरू से ही अनुशासित पर्यटन के रूप में बुग्यालों में जाया जाता, तो हाइ कोर्ट आज ये निर्णय नहीं लेता. बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी होने के चलते बुग्यालों में गंदगी फैला दी गई. जिससे बुग्याल मरने की कगार पर आ गए. लिहाजा, राज्य सरकार को चाहिए कि वह इसे पर्यटन नीति में परिवर्तन करें और उत्तराखंड में हर जगह अनुशासित पर्यटन होने चाहिए. इसके साथ ही उत्तराखंड राज्य पर्यटन से नहीं बल्कि अनुशासित पर्यटन से प्रसिद्ध होनी चाहिए.

बुग्यालों में जाने वाले पर्यटकों की हो मॉनिटरिंग
जगत सिंह का कहना है कि जबतक पर्यटन नीति और अनुशासित पर्यटन नहीं होगा. तबतक लोग मनमानी करते रहेंगे. इसके साथ ही राज्य सरकार को चाहिए कि बुग्यालों में जितने भी पर्यटक आते हैं, उनकी मॉनिटरिंग भी हो. जिससे यह पता चल सके कि कोई पर्यटक वहां फूलों और जड़ी-बूटी का दोहन या फिर बुग्याल को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है. जिससे ही बुग्यालों को संरक्षित किया जा सकता.

कमर्शियल एक्टिविटी से बुग्यालों पर पड़ रहा असर
पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ. अरविंद ने बताया कि उत्तराखंड के जो बुग्याल हैं. वह पवित्रता से जुड़े हुए हैं और जब बुग्याल संरक्षित रहेंगे तो जल भी संरक्षित रहेगा. क्योंकि, जल का भंडारण बुग्यालों से ही होता है और अगर बुग्याल संरक्षित नहीं होंगे तो आने वाले समय में जल का संकट पैदा हो जाएगा. और यही वजह है कि हाई कोर्ट ने बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी पर रोक लगा दी है. उन्होंने बताया कि पहले भी बुग्यालों में यात्राएं होती थीं, नियम कायदे होते थे. बुग्यालों में गड्ढे खोदना, टेंट लगाना, कूड़ा- करकट इधर-उधर फेंकने से बुग्यालों पर असर पड़ रहा है.

पढ़ें- शहीद संदीप थापा को हजारों लोगों ने दी अंतिम विदाई, ताऊ बोले- आखिर कब रुकेगी शहादत

बुग्यालों में यात्रा के बने नियम कानून
उन्होंने आगे बताया कि अभी भी बुग्यालो में यात्रा की जा सकती है, लेकिन जिस तरह से सीमित दायरे में कैलाश मानसरोवर की यात्रा की जाती है. उसी तरह बुग्यालों में भी यात्रा होनी चाहिए. अगर बुग्यालों में जा रहे है तो नियम और कायदे कानून के तहत ही जाएं, जिससे बुग्यालों में पर्यटन भी बढ़ेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

कोर्ट जाने की तैयारी में पर्यटन विभाग
वहीं, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी बंद है, लेकिन लोग बुग्यालों में देवी-देवताओं की पूजा करने जाते है. हालांकि, इसकी अनुमति अभी भी है और सरकार की कोशिश रहेगी कि किसी वनस्पति और बुग्याल को नुकसान नहीं पहुंचा जाएं. उन्होंने कहा कि बुग्याल का जो प्रसंग है, बहुत महत्वपूर्ण टूरिज्म है. इसलिए अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में भी जाएंगे. क्योंकि दुनिया के बुग्यालों में हमेशा ट्रैकिंग होती है और जब दुनियाभर में ट्रैकिंग होती है तो भारत में भी ट्रैकिंग होनी चाहिए. यहां पर भी लोग केदारकांठा, नंदा देवी जाते है. इससे उत्तराखंड आने वाले पर्यटक वंचित न रह जाए, इसलिए वो कोर्ट जाएंगे.

देहरादून: प्रदेश को बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी पर हाई कोर्ट के रोक लगाने के बाद अब लगातार वन विभाग और पर्यटन विभाग लगी रोक को हटाने की कवायद में जुटा है, जिससे फिर से बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी शुरू की जा सके. जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सके. साथ ही सैलानी उत्तराखंड की हसीन वादियों का दीदार कर सके. वहीं, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी बंद है, लेकिन लोग बुग्यालों में देवी-देवताओं की पूजा करने जाते है. हालांकि, इसकी अनुमति अभी भी है और सरकार की कोशिश रहेगी कि किसी वनस्पति और बुग्याल को नुकसान नहीं पहुंचा जाए. उन्होंने कहा कि बुग्याल का जो प्रसंग है, बहुत महत्वपूर्ण टूरिज्म है. इसलिए अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में भी जाएंगे.

फिर से शुरू हो बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी

यूं तो उत्तराखंड में कई ऐसे बुग्याल हैं, जो अपनी खूबसूरती के लिए विश्व विख्यात हैं, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं. लेकिन सुंदरता के लिए मशहूर इन बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी होने के चलते संकट मंडराने लगे थे. जिस वजह से हाई कोर्ट ने बुग्याल को संरक्षित करने के लिए बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी पर रोक लगा दी है. हाई कोर्ट ने कहा था कि बुग्यालों में पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए नियम बनाया जाए, इसके साथ ही उसका सही ढंग से पालन कराया जाए.

बुग्यालों के लिए पर्यटन नीति में परिवर्तन करने की जरूरत
वन विभाग के ब्रांड अंबेसडर जगत सिंह चौधरी ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में पर्यटन से पैसा कमाने का मात्र एक संसाधन बना दिया है, लेकिन इसमें अनुशासन नहीं जोड़ा. अगर शुरू से ही अनुशासित पर्यटन के रूप में बुग्यालों में जाया जाता, तो हाइ कोर्ट आज ये निर्णय नहीं लेता. बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी होने के चलते बुग्यालों में गंदगी फैला दी गई. जिससे बुग्याल मरने की कगार पर आ गए. लिहाजा, राज्य सरकार को चाहिए कि वह इसे पर्यटन नीति में परिवर्तन करें और उत्तराखंड में हर जगह अनुशासित पर्यटन होने चाहिए. इसके साथ ही उत्तराखंड राज्य पर्यटन से नहीं बल्कि अनुशासित पर्यटन से प्रसिद्ध होनी चाहिए.

बुग्यालों में जाने वाले पर्यटकों की हो मॉनिटरिंग
जगत सिंह का कहना है कि जबतक पर्यटन नीति और अनुशासित पर्यटन नहीं होगा. तबतक लोग मनमानी करते रहेंगे. इसके साथ ही राज्य सरकार को चाहिए कि बुग्यालों में जितने भी पर्यटक आते हैं, उनकी मॉनिटरिंग भी हो. जिससे यह पता चल सके कि कोई पर्यटक वहां फूलों और जड़ी-बूटी का दोहन या फिर बुग्याल को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है. जिससे ही बुग्यालों को संरक्षित किया जा सकता.

कमर्शियल एक्टिविटी से बुग्यालों पर पड़ रहा असर
पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ. अरविंद ने बताया कि उत्तराखंड के जो बुग्याल हैं. वह पवित्रता से जुड़े हुए हैं और जब बुग्याल संरक्षित रहेंगे तो जल भी संरक्षित रहेगा. क्योंकि, जल का भंडारण बुग्यालों से ही होता है और अगर बुग्याल संरक्षित नहीं होंगे तो आने वाले समय में जल का संकट पैदा हो जाएगा. और यही वजह है कि हाई कोर्ट ने बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी पर रोक लगा दी है. उन्होंने बताया कि पहले भी बुग्यालों में यात्राएं होती थीं, नियम कायदे होते थे. बुग्यालों में गड्ढे खोदना, टेंट लगाना, कूड़ा- करकट इधर-उधर फेंकने से बुग्यालों पर असर पड़ रहा है.

पढ़ें- शहीद संदीप थापा को हजारों लोगों ने दी अंतिम विदाई, ताऊ बोले- आखिर कब रुकेगी शहादत

बुग्यालों में यात्रा के बने नियम कानून
उन्होंने आगे बताया कि अभी भी बुग्यालो में यात्रा की जा सकती है, लेकिन जिस तरह से सीमित दायरे में कैलाश मानसरोवर की यात्रा की जाती है. उसी तरह बुग्यालों में भी यात्रा होनी चाहिए. अगर बुग्यालों में जा रहे है तो नियम और कायदे कानून के तहत ही जाएं, जिससे बुग्यालों में पर्यटन भी बढ़ेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

कोर्ट जाने की तैयारी में पर्यटन विभाग
वहीं, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज का कहना है कि बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी बंद है, लेकिन लोग बुग्यालों में देवी-देवताओं की पूजा करने जाते है. हालांकि, इसकी अनुमति अभी भी है और सरकार की कोशिश रहेगी कि किसी वनस्पति और बुग्याल को नुकसान नहीं पहुंचा जाएं. उन्होंने कहा कि बुग्याल का जो प्रसंग है, बहुत महत्वपूर्ण टूरिज्म है. इसलिए अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में भी जाएंगे. क्योंकि दुनिया के बुग्यालों में हमेशा ट्रैकिंग होती है और जब दुनियाभर में ट्रैकिंग होती है तो भारत में भी ट्रैकिंग होनी चाहिए. यहां पर भी लोग केदारकांठा, नंदा देवी जाते है. इससे उत्तराखंड आने वाले पर्यटक वंचित न रह जाए, इसलिए वो कोर्ट जाएंगे.

Intro:उत्तराखंड राज्य के बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी पर हाईकोर्ट के रोक लगाने के बाद अब लगातार वन विभाग और पर्यटन विभाग, बुग्यालों में लगे रोक को हटाने की कवायत में जुटा है। ताकि फिर से बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी शुरू की जा सके। तो वही अगर शोधकर्ताओं की माने तो बुग्यालों में खुलेआम कमर्शियल एक्टिविटी से बुग्यालों को बहुत नुकसान पहुचता है। आखिर क्या नुकसान पहुचता है बुग्यालों को और किस तरह से बिना बुग्यालों को नुकसान पहुचाये, पर्यटक इस खूबसूरत वादियों का लुफ्त उठा सकते है। देखिये ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.......



Body:यू तो उत्तराखंड में कई ऐसे बुग्याल है जो अपनी खूबसूरती के लिए विश्व विख्यात हैं जिसे देखने के लिए देश-विदेश से पर्यटक पहुंचते हैं, लेकिन अपनी सुंदरता के लिए मशहूर इन बुग्यालो पर कमर्शियल एक्टिविटी होने के चलते संकट मंडराने लगे थे, जिस वजह से हाईकोर्ट ने बुग्याल को संरक्षित करने के लिए बुग्याल ऊपर कमर्शियल एक्टिविटी करने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट का यह कहना था की बुग्याल में पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए नियम बनाया जाए इसके साथ ही उसका सही ढंग से पालन कराया जाए।


.......बुग्यालो के लिए पर्यटन नीति में परिवर्तन करने की जरूरत......

वन विभाग के ब्रांड अंबेसडर जगत सिंह चौधरी ने बताया कि उत्तराखंड राज्य में पर्यटन से पैसा कमाने का मात्र एक संसाधन बना दिया है लेकिन इसमें अनुशासन नहीं जोड़ा। अगर शुरू से ही अनुशासित पर्यटन के रूप में बुग्यालों में जाया जाता तो हाइकोर्ट आज ये निर्णय नही लेता। बुग्यालो में कमर्शियल एक्टिविटी होने के चलते बुग्यालों में गंदगी फैला दी गई। जिससे बुग्याल मरने की कगार पर आ गए। लिहाजा राज्य सरकार को चाहिए कि वह इसे पर्यटन नीति में परिवर्तन करें। और उत्तराखंड में हर जगह अनुशासित पर्यटन होने चाहिए। इसके साथ ही उत्तराखंड राज्य पर्यटन से नहीं बल्कि अनुशासित पर्यटन से प्रसिद्ध होनी चाहिए।


.......बुग्यालो में जाने वाले पर्यटकों की हो मॉनिटरिंग .......

साथ ही जगत सिंह ने बताया कि जब तक पर्यटन नीति और अनुशासित पर्यटन नहीं होगा तब तक लोग अपनी मनमानी करेंगे। इसके साथ ही राज्य सरकार को चाहिए कि बुग्यालो में जितने भी पर्यटक आते हैं उनकी मॉनिटरिंग भी हो जिससे यह पता चल सके कि कोई पर्यटक वहां फूलों का दोहन जड़ी बूटियों का दोहन या फिर बुग्याल को नुकसान तो नहीं पहुंचा रहा है। जिससे ही बुग्यालो को संरक्षित किया जा सकता।


.....कमर्शियल एक्टिविटी से बुग्यालो पर पड़ रहा है असर....

पर्वतीय विकास शोध केंद्र के नोडल अधिकारी डॉ अरविंद ने बताया कि उत्तराखंड के जो बुग्याल है वह पवित्रता से जुड़े हुए हैं और जब बुग्याल संरक्षित रहेंगे तो जल भी संरक्षित रहेंगे। क्योंकि जल का भंडारण बुग्यालो से ही होता है और अगर बुग्यालो संरक्षित नही होंगे तो आने वाले समय में जल का संकट पैदा हो जाएगा। और यही वजह है कि हाईकोर्ट ने बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी पर रोक लगा दी है। साथ ही बताया कि पहले भी बुग्यालो में यात्राएं होती थी, लेकिन उसकी भी एक परंपरा और पवित्रता थी। और एक नियम कायदे होते थे बुग्यालों के अंदर चलने के लिए लेकिन अब एक पिकनिक के रूप में बुग्यालों के अंदर जाते हैं। और बुग्यालो में गड्ढे खनना, टेंट लगाना, कूड़ा करकट इधर-उधर फेंकने आदि से बुग्यालो पर असर पड़ रहा है।


.........बुग्यालों में यात्रा के बने नियम कानून.......

साथ ही अरविंद ने बताया कि अभी भी बुग्यालो में यात्रा की जा सकती है लेकिन जिस तरह से सीमित दायरे में कैलाश मानसरोवर की यात्रा की जाती है उसी तरह बुग्यालों में भी यात्रा होनी चाहिए। कि अगर बुग्यालों में जा रहे है तो नियम और कायदे कानून के तहत ही जाएं जिससे बुग्यालो में पर्यटन भी बढ़ेगा और लोगों को रोजगार भी मिलेगा।


......कोर्ट जाने की तैयारी में पर्यटन विभाग.........

वही पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री, सतपाल महाराज ने बताया कि बुग्यालों में कमर्शियल एक्टिविटी बंद है लेकिन लोग बुग्यालों में परी, आचरे और देवी की पूजा करने जाते है। हालांकि इसकी अनुमति अभी भी है और सरकार की कोशिश रहेगी कि किसी बनस्पति और बुग्याल को नुकसान नही पहुचायेंगे। जहा पर सिलाये या मोरेन है, वहा पर यात्री रात्रि विश्राम करे। साथ ही बताया कि बुग्याल का जो प्रसंग है बहुत महत्वपूर्ण टूरिज़म है, इसलिए अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट में भी जाएंगे। क्योकि दुनिया के बुग्यालों में हमेशा ट्रैकिंग होती है। और जब दुनिया भर में ट्रैकिंग होती है तो भारत मे भी ट्रैकिंग होनी चाहिए। यहाँ पर भी लोग केदारकाठा, नंदा देवी जाते है। और इससे उत्तराखंड आने वाले पर्यटक वंचित ना रह जाए इसके लिए कोर्ट जाएंगे। 





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Last Updated : Aug 19, 2019, 3:53 PM IST
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