देहरादून: उत्तर प्रदेश में कानपुर, गोरखपुर और लखनऊ में उच्च तकनीकी शिक्षा के महत्वपूर्ण इंस्टीट्यूशंस में अपनी सेवाएं देने वाले प्रोफेसर डॉ. ओंकार सिंह को उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government ) ने हाल ही में वीर माधव सिंह उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (Veer Madhav Singh Uttarakhand Technological University) यानी उत्तराखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी (Uttarakhand Technical University) का वाइस चांसलर नियुक्त किया है. ऐसे में ईटीवी भारत ने डॉ ओंकार सिंह से खास बातचीत की और उत्तराखंड में तकनीकी शिक्षा (technical education in uttarakhand) को लेकर सरकार के विजन और उनके लक्ष्य के बारे में जानने की कोशिश की.
हायर एजुकेशन में काम नहीं हुआ: यूटीयू वीसी डॉ ओंकार सिंह ने कहा उत्तराखंड विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाला राज्य है. यहां पर प्राइमरी और सेकेंडरी एजुकेशन को लेकर पिछले कई सालों से काम हुआ है. उत्तराखंड ने प्राइमरी और सेकेंडरी एजुकेशन हब के रूप में खुद को विकसित किया है, लेकिन उस तरह से हायर एजुकेशन में काम नहीं हुआ है. खास तौर से इसमें तकनीकी शिक्षा में काम करने की जरूरत है.
सितंबर से यूटीयू में प्रवेश प्रक्रिया: डॉ ओंकार सिंह ने बताया कि सितंबर के दूसरे सप्ताह से उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय में प्रवेश (Admission in Uttarakhand Technical University) प्रक्रिया शुरू कर रहा है, जो इस बार पूरी तरह से नई शिक्षा नीति के तहत नए कलेवर में होंगे. विश्वविद्यालय में काउंसलिंग दो भागों में की जा रही है. जिसमें पहला भाग फर्स्ट ईयर में होने वाले प्रवेश के लिए है और दूसरा भाग है सेकंड ईयर में आने वाले छात्रों का होगा. लेटरल एंट्री से होने वाले प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. इसके अलावा 3 सितंबर के बाद बचे हुए सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी. वहीं इसके अलावा फर्स्ट ईयर में होने वाले एडमिशन सितंबर के दूसरे सप्ताह में पूरे किए जाएंगे.
उत्तरकाशी में बनेगा यूटीयू का कैंपस: ओंकार सिंह ने बताया कि उन्होंने पिछले एक माह में उत्तराखंड में अपने अनुभव के आधार पर देखा है कि मैदानी क्षेत्रों के छात्र किसी न किसी तरह से अपनी स्कूली शिक्षा और उसके बाद उच्च शिक्षा भी प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं को हायर एजुकेशन के लिए अनुकूल माहौल नहीं मिल पाता है. लिहाजा इस बात को मद्देनजर रखते हुए उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय अपना एक कैंपस उत्तरकाशी में शुरू करना चाहता है. जिसके लिए सरकार से लगातार वार्ता चल रही है.
उत्तरकाशी में होंगे कोर्स शुरू: उन्होंने कहा पर्वतीय क्षेत्रों के सुदूर अंचलों में रहने वाले छात्रों को कई भौगोलिक समस्याओं से गुजरना पड़ता है. आर्थिकी मजबूत होने की वजह से कई बार इन बच्चों को हायर एजुकेशन नहीं मिल पाता है या फिर यह पलायन के लिए मजबूर हो जाते हैं. ऐसे में उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय की कोशिश है कि इन छात्रों को वहीं पर कैंपस उपलब्ध कराया जाए. जिसके लिए सरकार से अनुमति मांगी जा रही है. अगर अनुमति मिल जाती है तो उत्तरकाशी में खुलने वाले यूटीयू कैंपस में कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कोर्स शुरू किए जाएंगे.
एडवेंचर एजुकेशन में भी काम करेगा यूटीयू: ओंकार सिंह ने बताया कि उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय केवल तकनीकी शिक्षा में ही नहीं बल्कि, राज्य के सामरिक और आर्थिक पहलू से जुड़े अन्य विषयों पर भी कुछ टेक्निकल कोर्स शुरू करने जा रहा है. जिसमें सबसे पहले उत्तरकाशी स्थित नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (Nehru Institute of Mountaineering) के साथ मिलकर विश्वविद्यालय साहसिक पर्यटन, रेस्क्यू और अन्य तरह के एडवेंचर स्पोर्ट्स से जुड़े तकनीकी पहलुओं को लेकर एक डिप्लोमा कोर्स शुरू करने जा रहा है. इस डिप्लोमा में खासतौर से रेस्क्यू ऑपरेशन, एडवेंचर स्पोर्ट्स में उपयोग किए जाने वाले उपकरणों को लेकर टेक्निकल एजुकेशन दी जाएगी. वहीं, इसके अलावा उत्तराखंड के परिपेक्ष में खासतौर से एलाइट डोमेन वाले विषय जिसमें, मौसम की जानकारी, पर्यावरण की जानकारी, वन्यजीवों से जुड़े विषय जियोलॉजिकल कंडीशन इत्यादि के कोर्स शुरू किए जाएंगे.
उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय की प्लानिंग: ओंकार सिंह ने कहा विश्वविद्यालय में बीते वर्ष से देश के पहले सीडीएस स्वर्गीय जनरल बिपिन रावत के नाम पर डिफेंस टेक्नोलॉजी इनक्यूबेटर सेंटर को डेवलप किया जा रहा है. इस डिफेंस इनक्यूबेटर सेंटर में डिफेंस से जुड़े इक्विपमेंट और उनसे जुड़े रिसर्च की जा रही है. डिफेंस से जुड़े सभी प्रोजेक्ट्स पर रिसर्च यूनिवर्सिटी के इस सेंटर में की जाती है. यह रिसर्च कई अन्य बड़े शिक्षण इंस्टिट्यूशन के साथ मिलकर किया जाता है. हालांकि, इस तरह के रिसर्च के लिए नोडल एजेंसी उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय ही है. लेटेस्ट और हाईली टेक्नोलॉजी से लैस विश्वविद्यालय की प्लानिंग है कि एक एसपीवी के रूप में ऐसी सेक्शन 8 कंपनी तैयार की जाए, जो देश की डिफेंस टेक्नोलॉजी को एक अगले आयाम पर लेकर जाएं. इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि उत्तराखंड एक सीमावर्ती राज्य हैं और हमारी सामरिक क्षेत्र में इसकी भूमिका बेहद ज्यादा है. यहां पर इस तरह से होने वाले शोध से निश्चित रूप से देश की सीमाएं सुरक्षित होगी.