देहरादूनः नाइजीरियन गिरोह के दो और सदस्यों को एसटीएफ की टीम ने यूपी के बहराइच से गिरफ्तार किया है. ये आरोपी गिफ्ट भेजने के नाम पर धोखाधड़ी करने के मामले में शामिल थे. जो नाइजीरियन गिरोह के लिए अलग-अलग बैंक खाते खोलने का काम करते थे. इससे पहले मामले में एसटीएफ बीती 9 अक्टूबर को दो आरोपियों की गिरफ्तारी कर चुकी है. इस गिरोह ने करीब 33 लाख रुपए की धोखाधड़ी की थी. कोतवाली लक्सर से केस एसटीएफ को ट्रांसफर होने के बाद अब तक 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
बता दें कि हरिद्वार के कोतवाली लक्सर में राजकुमार नाम के एक शख्स ने शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें पीड़ित ने बताया था कि आरोपियों ने फेसबुक और वाट्सएप के जरिए संपर्क कर कैथोलिक नन बताते हुए दोस्ती की. इसके बाद चैट और काम से प्रभावित होकर गिफ्ट (घड़ी, आईफोन 13, आई पैड, एप्पल लैपटॉप, सोने की माला और 50000 डॉलर) भेजने का लालच दिया. आरोपियों ने पीड़ित से पार्सल को इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भिजवाने और पार्सल छुड़वाने के लिए अलग-अलग ट्रांजेक्शन के माध्यम से 15,71,820 रुपए ले लिए. जब गिफ्ट नहीं पहुंचा तो उसे ठगी का एहसास हुआ और कोतवाली पहुंचकर तहरीर दी.
वहीं, पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया और जांच शुरू की. इसी दौरान संदिग्ध आरोपी के यूपी के बहराइच में होने के लिंक मिले. जिसमें टीम ने बीती 9 अक्टूबर को मुख्य सरगना शिवम तिवारी और उसके सदस्य रामनरेश को बहराइच से गिरफ्तार किया. मौके पर आरोपियों के पास से अलग-अलग बैंकों के 14 चेकबुक, विभिन्न बैंकों की 6 पासबुक, 6 एटीएम कार्ड, एक लैपटॉप और आधार-कार्ड पैन कार्ड जैसे बरामद हुए.
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वहीं, अब पुलिस ने मामले में दो अन्य आरोपी दीपू वर्मा निवासी बहराइच और दलीप गिरी को गिरफ्तार किया है. इन आरोपियों के पास से एक लैपटॉप, 5 पासबुक, 13 डेबिट कार्ड, 5 चैक बुक, 1 कार्ड स्कीमर, 1 आधार बायोमेट्रिक डिवाइस समेत आधार कार्ड आदि बरामद किए गए. उत्तराखंड एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों ने फेसबुक और वाट्सएप पर फर्जी प्रोफाइल तैयार कर दोस्ती करते थे. साथ ही खुद को विदेशी नागरिक बताकर महंगे गिफ्टों को भेजने का लालच देते थे.
इसके बाद पार्सल को एयरपोर्ट से छुड़ाने के नाम रुपए मांगते थे. आरोपी इस काम के लिए फर्जी सिम, सोशल मीडिया प्रोफाइल और फर्जी खातों का इस्तेमाल करते थे. आरोपी दीपू वर्मा और दलीप गिरी ने बताया कि वो दिल्ली और एनसीआर में अलग-अलग नाइजीरियन गिरोह को फर्जी बैंक खाता खोलकर देते थे. जिससे देशभर में साइबर ठगी किया जाता था.