देहरादून: प्रदेश में गंगा से जुड़ने वाली ऐसी 6 नदियां हैं जो कि सतत प्रवाहित नहीं है. उन्हें पुनर्जीवित करने के लिए राज्य सरकार एक बड़ी योजना बना रही है. मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि इन नदियों के पुनर्जीवित के लिए अपर मुख्य सचिव ग्राम में विकास की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गयी है. इस योजना में मुख्य रूप से कैंपा और मनरेगा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
गंगा की अविरलता और निर्मलता को बढ़ाने की दिशा में केंद्र सरकार लगातार नमामि गंगे योजना के तहत देशभर में योजनाएं चला रही है. वहीं, पतित पावनी मां गंगा की इस अविरलता में उत्तराखंड राज्य की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है. ऐसे में गंगा की निर्मलता को बढ़ाने में गंगा की सेकड़ौ सहायक नदियों की अहम भूमिका है. आज गंगा की कई ऐसी सहायक नदियां हैं जिनका सतत प्रवाह बंद हो चुका है. यह नदियां आज अतिक्रमण और गंदे नालों में तब्दील होने लगी हैं. इसी तरह प्रदेश में गंगा की 6 सहायक नदियों के जीर्णोद्धार के लिए राज्य सरकार एक बड़ी प्लानिंग करने जा रही है.
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मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि राज्य में गंगा की 6 ऐसी सहायक नदियां हैं जो केवल बरसात के मौसम में ही प्रवाहित होती हैं. उन्होंने कहा कि इन नदियों कैचमेंट एरिया का ट्रीटमेंट होना है. जिसके लिए जल संरक्षण, आन्द्रता संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण इन तीनों चीजों की जरूरत है. इस काम के लिए कई विभागों को एक साथ मिलकर काम करना होगा.
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मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने बताया कि इन नदियों के पुनर्जीवित के लिए अपर मुख्य सचिव ग्राम में विकास की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गयी है. इस योजना में मुख्य रूप से कैंपा और मनरेगा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. वहीं, कृषि और जलागम विभाग से भी कुछ बजट उपलब्ध कराया जा सकता है. इस योजना के लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ सॉइल एंड वाटर रिसर्च ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (सीएसडब्ल्यूआरटीआई) से भी मदद ली जाएगी. जिसके बाद इन सभी छह नदियों को सभी सीजन में सतत प्रवाहित करने की दिशा में काम किया जाएगा.