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खामोशी से रिटायर हुए वरिष्ठ IAS अधिकारी ओम प्रकाश, ऐसी विदाई उन्होंने कभी सोची नहीं होगी!

उत्तराखंड के मुख्य सचिव से लेकर अहम पदों पर रहे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश आज रिटायर हो गए. ओम प्रकाश कभी सत्ता के बेहद करीबी माने जाते थे. त्रिवेंद्र सिंह रावत की नजदीकियों की वजह से उन्हें मुख्य सचिव का पद मिला था, लेकिन वक्त का पहिया घूमते ही मानों सत्ता की उनसे बेरुखी हो गई. आज उन्हें बड़ी ही सादगी से विदाई दी गई. जिसकी शायद उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की होगी.

Senior IAS officer Om Prakash retired today
ओम प्रकाश हुए सेवानिवृत्त
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Published : May 31, 2022, 10:30 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सचिव ओम प्रकाश आज सेवानिवृत्त हो गए. कभी सत्ता की चकाचौंध में रहने वाले ओम प्रकाश के रिटायर होने पर बड़ी सादगी से उन्हें विदाई दी गई. वे राजस्व परिषद से सेवानिवृत्त हुए हैं. ओम प्रकाश मुख्य सचिव समेत कई पदों पर अपनी सेवा दे चुके हैं.

वरिष्ठ आईएएस ओम प्रकाश के अलावा आज, आईजी एसडीआरएफ पुष्पक ज्योति भी सेवानिवृत्त हो गए. पुष्पक ज्योति का पुलिस मुख्यालय पर विदाई समारोह आयोजित किया गया. जबकि प्रदेश के इतने बड़े नौकरशाह ओम प्रकाश के रिटायरमेंट की ना तो कोई फोटो आई और ना उनके विदाई को लेकर कोई संजीदा नजर आया.

ओम प्रकाश की सत्ता से करीबी: मुख्य सचिव रहने के साथ ही ओम प्रकाश उत्तराखंड के सियासी गलियारों में हमेशा केंद्र बिंदु में रहे थे. राज्य गठन से पहले से लेकर राज्य गठन के बाद के 20 सालों तक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश का करियर सत्ता की चकाचौंध से भरा रहा, लेकिन करियर के आखिरी में ओम प्रकाश से सत्ता की कुछ इस तरह बेरुखी हुई की, उन्हें मुख्य सचिव पद से हटाकर राजस्व परिषद में चीफ कमिश्नर बना दिया गया.

त्रिवेंद्र रावत के करीबी ओम प्रकाश: दरअसल 2017 में भाजपा सत्ता में आई. भाजपा ने 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया. ओम प्रकाश त्रिवेंद्र सिंह रावत के बेहद करीबी माने जाते थे. हालांकि, वह उस वक्त अपर मुख्य सचिव थे, लेकिन ओम प्रकाश का डंका शासन में इतना बोलता था कि उन्हें बेहद मजबूत नौकरशाह माना जाता था. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ओम प्रकाश को मुख्य सचिव बनाया, अचानक बदले सियासी घटना क्रम में त्रिवेंद्र रावत को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. जिसके बाद तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के अगले सीएम बने.

ये भी पढ़ें: चंपावत उपचुनाव को लेकर मतदान संपन्न, निर्मला गहतोड़ी ने लगाया गंभीर आरोप

तीरथ सरकार में नहीं बदले गए ओम प्रकाश: बता दें कि आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश को 30 जुलाई साल 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में उत्तराखंड का मुख्य सचिव बनाया गया था. त्रिवेंद्र सिंह रावत के बदलते ही ओम प्रकाश के बदलने की कवायद भी तेज हो गई थी, लेकिन तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें नहीं हटाया.

अहम पदों पर रहे ओम प्रकाश: आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश पिछले 20 सालों में उत्तराखंड ब्यूरोक्रेट्स की अमूमन सारी बड़ी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. नौकरशाही में सबसे बड़ी जिम्मेदारी माने जाने वाली मुख्य सचिव की जिम्मेदारी भी ओम प्रकाश ने बखूबी निभाई थी, लेकिन प्रदेश में कुछ ऐसी घटनाक्रम घटी कि ओम प्रकाश के करियर के अंतिम समय में सत्ता की उनसे बेरुखी हो गई.

ओम प्रकाश की विदाई का कारण: मुख्य सचिव ओम प्रकाश को हटाए जाने के पीछे उनका रिजर्व नेचर, उनके कार्यकाल में हुए तमाम विवाद, सरकारी कामों में उनका ढीला रवैया भी अहम वजह माना गया था. यही नहीं मुख्य सचिव रहते ओम प्रकाश पर दबाव कम करने के लिए सरकार ने मुख्य सलाहकार के रूप में पूर्व आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को भी अप्वॉइंट किया. यह मुख्य सचिव ओम प्रकाश के लिए सबसे बड़ा फेल्योर था.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में खुले आर्मी के दो उप कार्यालय, सेना की 1 इंच जमीन भी नहीं होगी खुर्द-बुर्द

धामी और ओम प्रकाश की ट्यूनिंग में दिक्कत: सियासी गलियारों में एक और किस्सा बहुत तेजी से वायरल हुआ था. बताया जाता है कि जब खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री नहीं थे, तब वह विधायक के नाते मुख्य सचिव ओम प्रकाश से उनके विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित कुछ कार्यों से को लेकर मिलने गए थे, तो मुख्य सचिव से उनकी कुछ अनबन हो गई थी. जिसके बाद पुष्कर सिंह धामी गुस्से में मुख्य सचिव कार्यालय से चले गए थे. समय का पहिया ऐसा धूमा कि एक सप्ताह बाद ही पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये.

धामी ने ओम प्रकाश को हटाया: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से कुछ महीने पहले पुष्कर सिंह धामी को बनाया मुख्यमंत्री गया. जिसके बाद धामी ने सबसे पहले मुख्य सचिव ओम प्रकाश को हटा दिया. वहीं ओम प्रकाश को राजस्व परिषद का अध्यक्ष बनाया गया. इसके अलावा उन्हें स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था. ओम प्रकाश की जगह एनएचआई के निदेशक सुखबीर सिंह संधू को उत्तराखंड को मुख्य सचिव बनाया गया.

देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सचिव ओम प्रकाश आज सेवानिवृत्त हो गए. कभी सत्ता की चकाचौंध में रहने वाले ओम प्रकाश के रिटायर होने पर बड़ी सादगी से उन्हें विदाई दी गई. वे राजस्व परिषद से सेवानिवृत्त हुए हैं. ओम प्रकाश मुख्य सचिव समेत कई पदों पर अपनी सेवा दे चुके हैं.

वरिष्ठ आईएएस ओम प्रकाश के अलावा आज, आईजी एसडीआरएफ पुष्पक ज्योति भी सेवानिवृत्त हो गए. पुष्पक ज्योति का पुलिस मुख्यालय पर विदाई समारोह आयोजित किया गया. जबकि प्रदेश के इतने बड़े नौकरशाह ओम प्रकाश के रिटायरमेंट की ना तो कोई फोटो आई और ना उनके विदाई को लेकर कोई संजीदा नजर आया.

ओम प्रकाश की सत्ता से करीबी: मुख्य सचिव रहने के साथ ही ओम प्रकाश उत्तराखंड के सियासी गलियारों में हमेशा केंद्र बिंदु में रहे थे. राज्य गठन से पहले से लेकर राज्य गठन के बाद के 20 सालों तक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश का करियर सत्ता की चकाचौंध से भरा रहा, लेकिन करियर के आखिरी में ओम प्रकाश से सत्ता की कुछ इस तरह बेरुखी हुई की, उन्हें मुख्य सचिव पद से हटाकर राजस्व परिषद में चीफ कमिश्नर बना दिया गया.

त्रिवेंद्र रावत के करीबी ओम प्रकाश: दरअसल 2017 में भाजपा सत्ता में आई. भाजपा ने 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया. ओम प्रकाश त्रिवेंद्र सिंह रावत के बेहद करीबी माने जाते थे. हालांकि, वह उस वक्त अपर मुख्य सचिव थे, लेकिन ओम प्रकाश का डंका शासन में इतना बोलता था कि उन्हें बेहद मजबूत नौकरशाह माना जाता था. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ओम प्रकाश को मुख्य सचिव बनाया, अचानक बदले सियासी घटना क्रम में त्रिवेंद्र रावत को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. जिसके बाद तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के अगले सीएम बने.

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तीरथ सरकार में नहीं बदले गए ओम प्रकाश: बता दें कि आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश को 30 जुलाई साल 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में उत्तराखंड का मुख्य सचिव बनाया गया था. त्रिवेंद्र सिंह रावत के बदलते ही ओम प्रकाश के बदलने की कवायद भी तेज हो गई थी, लेकिन तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें नहीं हटाया.

अहम पदों पर रहे ओम प्रकाश: आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश पिछले 20 सालों में उत्तराखंड ब्यूरोक्रेट्स की अमूमन सारी बड़ी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. नौकरशाही में सबसे बड़ी जिम्मेदारी माने जाने वाली मुख्य सचिव की जिम्मेदारी भी ओम प्रकाश ने बखूबी निभाई थी, लेकिन प्रदेश में कुछ ऐसी घटनाक्रम घटी कि ओम प्रकाश के करियर के अंतिम समय में सत्ता की उनसे बेरुखी हो गई.

ओम प्रकाश की विदाई का कारण: मुख्य सचिव ओम प्रकाश को हटाए जाने के पीछे उनका रिजर्व नेचर, उनके कार्यकाल में हुए तमाम विवाद, सरकारी कामों में उनका ढीला रवैया भी अहम वजह माना गया था. यही नहीं मुख्य सचिव रहते ओम प्रकाश पर दबाव कम करने के लिए सरकार ने मुख्य सलाहकार के रूप में पूर्व आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को भी अप्वॉइंट किया. यह मुख्य सचिव ओम प्रकाश के लिए सबसे बड़ा फेल्योर था.

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धामी और ओम प्रकाश की ट्यूनिंग में दिक्कत: सियासी गलियारों में एक और किस्सा बहुत तेजी से वायरल हुआ था. बताया जाता है कि जब खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री नहीं थे, तब वह विधायक के नाते मुख्य सचिव ओम प्रकाश से उनके विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित कुछ कार्यों से को लेकर मिलने गए थे, तो मुख्य सचिव से उनकी कुछ अनबन हो गई थी. जिसके बाद पुष्कर सिंह धामी गुस्से में मुख्य सचिव कार्यालय से चले गए थे. समय का पहिया ऐसा धूमा कि एक सप्ताह बाद ही पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये.

धामी ने ओम प्रकाश को हटाया: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से कुछ महीने पहले पुष्कर सिंह धामी को बनाया मुख्यमंत्री गया. जिसके बाद धामी ने सबसे पहले मुख्य सचिव ओम प्रकाश को हटा दिया. वहीं ओम प्रकाश को राजस्व परिषद का अध्यक्ष बनाया गया. इसके अलावा उन्हें स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था. ओम प्रकाश की जगह एनएचआई के निदेशक सुखबीर सिंह संधू को उत्तराखंड को मुख्य सचिव बनाया गया.

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