देहरादून: लगभग 11 महीनों के लंबे इंतजार के बाद आगामी 8 फरवरी से कक्षा 6, 7, 8, 9 और 11वीं के स्कूल में खुलने जा रहे हैं, जिसे देखते हुए सरकार की ओर से एसओपी जारी कर दी गई है, लेकिन सवाल यह है कि आखिर प्रदेश के सरकारी स्कूल और निजी स्कूल छात्रों को कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच स्कूल बुलाने के लिए कितने तैयार हैं ?
राजधानी देहरादून के सरकारी और निजी स्कूलों की तैयारियों का जायजा लेने के लिए ईटीवी भारत ड्राउंड जीरो पर पहुंचा और राजधानी के विभिन्न सरकारी और निजी स्कूलों के संचालकों और प्रधानाचार्य से बात की, साथ ही तैयारियों का जायजा लिया. इस दौरान कोविड-19 के गाइडलाइन का पालन करते हुए स्कूलों ने अलग-अलग तैयारियां की हुई हैं.
10 से 15 मिनट के अंतराल पर छूटेंगी कक्षाएं
सरकारी और निजी स्कूलों की प्रधानाचार्यों ने ईटीवी भारत से अपनी-अपनी तैयारियों के बारे में बताया. इसके तहत कुछ स्कूलों में कोविड-19 की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए स्कूल में प्रवेश से पहले सभी छात्र छात्राओं की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. क्लास रूम में बच्चों को सोशल डिस्टेंसिंग के साथ बैठाया जा सके, इसके लिए दो पालियों में क्लास चलाई जाएंगी. सभी कक्षाओं के छात्रों की छुट्टियां भी 10 से 15 मिनट के अंतराल में की जाएंगी, जिससे कि छुट्टी के समय भी बच्चे सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही अपने घरों को जा सके.
दो पालियों में छात्रों को बुलानी की तैयारी
वहीं, दूसरी तरफ कुछ स्कूल छात्रों को सामान्य शिफ्ट में बुलाने की भी तैयारी कर रहे हैं. दरअसल, नवंबर माह से ही कक्षा 10वीं और 12वीं के छात्रों के लिए स्कूल खोले जा चुके हैं, लेकिन स्कूलों में छात्र-छात्राओं की संख्या काफी कम है, जिसे देखते हुए वर्तमान में कुछ स्कूल एक ही पाली में छात्र-छात्राओं को बुलाने की तैयारी कर रहे हैं. वही जैसे-जैसे छात्र-छात्राओं की संख्या में बढ़ोतरी होगी. वैसे ही अलग-अलग पालियों में छात्र छात्राओं को स्कूल बुलाया जाएगा.
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छात्रों को संक्रमण बचाना स्कूल संचालकों के लिए बड़ी चुनौती
कुल मिलाकर देखें तो कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच छात्रो को स्कूल बुलाना संचालकों के लिए भी बड़ी चुनौती साबित हो रहा है. जहां, निजी स्कूल अलग-अलग पारियों में छात्रों को बुलाने की तैयारी कर रहे हैं तो वहीं छात्रों की कम संख्या को देखते हुए कुछ स्कूल एक ही पाली में छात्रों को बुलाना सुनिश्चित कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी छात्र अभिभावकों की रजामंदी लेकर ही स्कूल आएं. साथ ही छुट्टी के समय जहां तक हो सके बच्चों के अभिभावक ही लेने आए, जिससे कि बच्चा स्कूल से सुरक्षित अपने घर पहुंच सके.