देहरादून: उत्तराखंड के तीन जिले अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को साझा करते हैं. जाहिर है कि प्रदेश की यही स्थिति इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए हाथ से बेहद खास बनाती है. इन अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर भारतीय सेना के जवान हर पल तैनात रहते हैं. अब उत्तराखंड पुलिस भी इन्हीं अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पास अपने थाने और चौकियां स्थापित करने जा रही है. खास बात यह है कि इन थानों और चौकियों को लेकर खाका भी तैयार किया जा चुका है. न केवल अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पास यह चौकियां स्थापित होंगी बल्कि अंतर राज्य बॉर्डर पर भी नई चौकियां बनाई जाएंगी. कुल मिलाकर प्रदेश के ऐसे पांच जिलों को चौकी और थाने स्थापित करने के लिए चिन्हित किया गया है.
सीमावर्ती क्षेत्रों पर पुलिस की 'नजर': उत्तराखंड के पांच जिलों में थाने और चौकियां स्थापित होंगे. उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिले अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से लगते हैं. ये तीनों जिले नेपाल और चीन की सीमा को साझा करते हैं. उधम सिंह नगर और चंपावत जिलों के सीमावर्ती क्षेत्र में चौकियां बनाई जाएंगी. पिथौरागढ़ में तीन थाने गूंजी, धारचूला और मुनस्यारी में बनेंगे. पिथौरागढ़ के छियालेख, दुगतु, और लिलम में चौकियां स्थापित होंगी. उधम सिंह नगर में झनकइयां थाना, मेलाघाट में भी चौकी बनेगी. चंपावत में के पंचेश्वर और टनकपुर में थाना बनेगा. पंचेश्वर घाट और चुका में चौकियां स्थापित की जाएंगी.
गढ़वाल में यहां स्थापित होंगे थाने-चौकियां: उत्तरकाशी जिले में हर्षिल में दो थाने स्थापित होंगे. भोजवासा और नेलांग में दो चौकियां स्थापित होंगी. चमोली जिले में बदरीनाथ और थराली में दो थाने बनेंगे. माणा और वाण में दो पुलिस चौकियां भी बनाई जाएगी
भारत सरकार बॉर्डर पर आंतरिक सुरक्षा को बेहतर करने को लेकर भी दिशा निर्देश जारी करती रही है. गृह विभाग की विभिन्न राज्यों के साथ आंतरिक सुरक्षा को लेकर हुई बैठक के दौरान भी इस बात को रखा गया था. इस दौरान उत्तराखंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में पुलिस की चौकियां स्थापित किए जाने पर भी चर्चा की गई. जाहिर है कि इन्हीं बिंदुओं पर काम करते हुए पुलिस मुख्यालय की तरफ से प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है. अब इस पर तमाम दूसरी औपचारिकताओं के लिए सैद्धांतिक सहमति लिए जाने के प्रयास हो रहे हैं.
आईजी पुलिस एवं मॉर्डनाइजेशन निलेश भरणे ने बताया जिन जगहों पर चौकियां और थाने स्थापित किए जाने हैं उसके लिए प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है. ऐसा करने से उत्तराखंड पुलिस सीमावर्ती क्षेत्रों में भी और मजबूत हो सकेगी. क्षेत्रीय परिषद की बैठक में भी आंतरिक सुरक्षा के मामले पर पूर्व में इस तरह के बिंदु आते रहे हैं. दरअसल, इस फैसले के पीछे बड़ा उद्देश्य बॉर्डर क्षेत्र से होने वाले आंतरिक अपराधों को रोकना है. खास तौर पर ह्यूमन ट्रैफिकिंग और नशे के कारोबार को खत्म करने के लिए इन क्षेत्रों में पुलिस की अहम भूमिका बेहद जरूरी मानी गई है. यह माना जाता रहा है कि बॉर्डर से ऐसी गतिविधियों को संचालित किया जाता है. अपराधी आसानी से बॉर्डर पर कर कानूनी शिकंजे से बचने में भी कामयाब रहते हैं.
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पहाड़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में ह्यूमन ट्रैफिकिंग एक बड़ी समस्या माना गया है. इन क्षेत्रों में आंतरिक सुरक्षा को बेहतर रखने के लिए पुलिस की मौजूदगी कम होने और लोगों में जागरूकता की कमी के कारण अक्सर अपराधी इन क्षेत्रों से ह्यूमन ट्रैफिकिंग की घटना को अंजाम दे देते हैं. इस काले कारोबार को धड़ल्ले से चलते हैं.
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उधर उत्तराखंड की दूसरी समस्या नशे का फैलता कारोबार भी है. इसके लिए भी सीमावर्ती क्षेत्रों को जिम्मेदार माना जाता है. जहां से नशे के ऐसे सामान को उत्तराखंड के भीतर तक पहुंचाया जाता है. माना जाता है कि राज्य में पहाड़ों पर इस कारोबार को सिविल पुलिस न होने के कारण आसानी से बढ़ाया जा रहा है, इन्हीं बातों को देखते हुए बॉर्डर क्षेत्र में पुलिस चौकियां ऐसे धंधे को रोकने का काम कर सकती हैं.