देहरादून: उत्तराखंड पुलिस के जवान लद्दाख की दुर्गम पहाड़ियों का अनुभव भी लेंगे. इस दौरान पुलिस के जवान दुर्गम पहाड़ियों में सेना और आईटीबीपी के जवान कैसे राष्ट्र सेवा करते हैं, उसका अनुभव लेंगे. शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए हर साल देश के अलग-अलग राज्यों से पुलिस के जवान हॉट स्प्रिंग्स लद्दाख पहुंचते हैं. इस बार उत्तराखंड पुलिस से वॉलिंटियर्स की सूची मांगी गई हैं, जिनकी उम्र 40 साल से कम है और जो मेडिकली फिट हों. उत्तराखंड पुलिस से लद्दाख जाने वाले जवानों को अपना प्रार्थना पत्र और मेडिकल सर्टिफिकेट अपने जिले के एसएसपी ऑफिस में देना होगा.
21 अक्टूबर 1959 में भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस की एक टुकड़ी पर हॉट स्प्रिंग्स लद्दाख में दुश्मनों की टुकड़ी ने घात लगाकर हमला किया था. जिसमें आईटीबीपी के 10 जवान और अधिकारी शहीद हो गए थे. 21 अक्टूबर को 10 पुलिसकर्मियों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था.
देहरादून डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने कहा कि हॉट स्प्रिंग्स लद्दाख में देशभर से जवान शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचते हैं. उत्तराखंड पुलिस से वॉलिंटियर्स के रूप में सभी जवानों की औपचारिकताएं पूरी करने के बाद फाइनल सूची हेड क्वॉर्टर भेजा जाएगा. वहां से चिन्हित जवानों को ही लद्दाख भेजने का आदेश पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी होगा.
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हॉट स्प्रिंग्स लद्दाख में क्या हुआ था
20-21 अक्टूबर 1959 को आईटीबीपी की तीसरी बटालियन की एक कंपनी को उत्तर पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स नाम की जगह पर तैनात किया गया था. कंपनी को 3 टुकड़ियों में बांटकर सीमा की सुरक्षा और निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. गश्त के लिए गई दो टुकड़ी तो वापस आ गई, लेकिन तीसरी टुकड़ी के सदस्य नहीं लौटे.
लापता जवानों के लिए एक रेस्क्यू अभियान चलाया गया. उसी दौरान चीन के सैनिकों ने एक पहाड़ी से गोलियां चलानी शुरू कर दी. जिसमें 10 जवान शहीद हुए थे. उन पुलिसकर्मियों के बलिदान के सम्मान में हर साल 21 अक्टूबर को नेशनल पुलिस डे मनाया जाता है.