देहरादून: उत्तराखंड कृषि विभाग (Uttarakhand Agriculture Department) द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती कार्यशाला (Organic farming workshop dehradun) का आज शुभारंभ किया गया. राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि), गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं कृषि मंत्री गणेश जोशी ने सर्वे ऑफ इंडिया स्टेडियम हाथीबड़कला में आयोजित कार्यशाला में प्रतिभाग किया. इस दौरान मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना, नमामि गंगे प्राकृतिक कृषि कॉरीडोर योजना का शुभारंभ और राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि विषय पर आधारित पुस्तक का विमोचन किया गया. कार्यक्रम में प्राकृतिक कृषि बोर्ड का गठन भी किया गया.
प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड का गठन होगा: इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की कि राज्य में प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिये प्राकृतिक कृषि विकास बोर्ड (organic agriculture board constituted) का गठन किया जाएगा. मुख्यमंत्री प्राकृतिक कृषि योजना के लिये मुख्यमंत्री ने 10 करोड़ की धनराशि की स्वीकृति प्रदान की. उन्होंने कहा कि नमामि गंगे कृषि कोरिडोर योजना से गंगा स्वच्छता को भी मदद मिलेगी. मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कृषि क्षेत्र में की जा रही बेस्ट प्रैक्टिस को पूरे देश में पहचान मिलेगी.
राज्यपाल का संबोधन: देहरादून में हुए राज्य स्तरीय प्राकृतिक खेती कार्यशाला के आयोजन के अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने कहा कि प्राकृतिक कृषि पद्धति में अनेक समस्याओं का समाधान है. प्राकृतिक कृषि कोई नया रूप नहीं है बल्कि हमारे प्राचीन वैदिक चिंतन के युग के अनुरूप एक नई पहचान है. यह समय की मांग है और हमें प्राकृतिक कृषि की ओर लौटना होगा. उत्तराखंड में प्राकृतिक कृषि एक ब्रांड बनें हमें इस विजन को धरातल पर उतारना होगा.
उन्होंने कहा कि हमें प्राकृतिक कृषि और गौ सेवा को एक साथ आगे बढ़ाना होगा. गाय का गोबर और गौ मूत्र प्राकृतिक खेती के लिए खाद बनाने में बहुत लाभकारी है. प्राचीन पद्धति को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ना होगा. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन टेक्नोलॉजी, रोपवे यही भारत का आने वाला भविष्य है इस दिशा में कुछ लक्ष्य तय करने होंगे.
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राज्यपाल ने कहा कि हमें एग्रीकल्चर को अपना कल्चर बनाना होगा और कोऑपरेटिव को कॉर्पोरेट तक ले जाना होगा. उन्होंने कहा कि यह भारत का अमृतकाल है जो उत्तराखंड का दशक है. हिमालय और देवभूमि के विकास के नए कीर्तिमान इसी दशक में तय करने होंगे. आने वाले समय के लिए लक्ष्य निर्धारित करने होंगे. इसकी शुरुआत कृषि से करते हुए विकसित उत्तराखंड की नई इबारत लिखनी होगी.
गुजरात के राज्यपाल ने उत्तराखंड की धरती को सराहा: वहीं, कार्यशाला में उपस्थित गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड की धरती प्राकृतिक सौंदर्य और संपदा से समृद्ध है जो प्राकृतिक खेती के लिए वरदान साबित हो सकती है. प्राकृतिक कृषि उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर साबित हो सकती है. इसके लिए किसानों को रासायनिक खेती और जैविक खेती का त्याग करना होगा. रासायनिक खादों से खेतों में कार्बन और माइक्रो पोषक तत्व कम हो रहे हैं.
आचार्य देवव्रत ने बताया कि वो स्वयं 200 एकड़ में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, जिसमें रसायन खादों का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाता. उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 2 लाख किसानों और गुजरात में लगभग 3 लाख किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती की जा रही है. राज्यपाल ने कृषि वैज्ञानिकों से कहा कि प्राकृतिक खेती पर अधिक से अधिक रीसर्च की जाए और अधिक किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाए.
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हाइटेक के साथ प्राकृतिक कृषि पर फोकस: वहीं, सीएम धामी ने कहा कि इस बार के बजट में कृषि को हाइटेक बनाने के साथ-साथ प्राकृतिक कृषि पर भी अभूतपूर्व फोकस किया गया है. उत्तराखंड प्राकृतिक दृष्टि से भी परम्परागत कृषि के लिए एक उपयुक्त राज्य है. जलवायु विविधता के कारण हमारे यहां कई प्रकार की स्थानीय फसलें, फल, जड़ी-बूटी और सुगन्धित पौध आदि की खेती की जाती है. उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए व्यापारिक संभावनाओं को बढ़ावा दिया जाए ताकि अधिक से अधिक किसान प्राकृतिक खेती को अपनाएं. हमारा जीवन, हमारा स्वास्थ्य, हमारा समाज सबके आधार में हमारी कृषि व्यवस्था ही है.
वहीं, कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य के किसानों की आय दोगुनी किए जाने के संकल्प को सरकार पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा प्राकृतिक खेती का उद्देश्य उत्पादन मूल्य को शून्य करना है, जिससे किसानों को उनकी फसलों का दाम मिल सके. इस अवसर पर विधायक खजान दास, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, सचिव कृषि डॉ. बीवीआरसी पुरुषोत्तम, निदेशक कृषि गौरी शंकर सहित कृषि वैज्ञानिक और प्रदेश के सभी जनपदों के कृषक उपस्थित रहे.