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ड्रोन से आतंकी घटनाओं को रोकने में मिलेगी मदद, उत्तराखंड ITDA दे रहा विशेष ट्रेनिंग

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Published : Apr 16, 2022, 4:54 PM IST

Updated : Apr 16, 2022, 6:52 PM IST

उत्तराखंड ITDA ड्रोन से आतंकी घटनाओं को रोकने की विशेष ट्रेनिंग दे रहा है. देहरादून स्थित ड्रोन एप्लीकेशन रिसर्च सेंटर (Drone Application Research Center Dehradun) में पुलिस अधिकारियों को ड्रोन तकनीक को ट्रैक करने से लेकर महत्वपूर्ण जानकारियों का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

Uttarakhand ITDA is giving special training
उत्तराखंड ITDA दे रहा विशेष ट्रेंनिग

देहरादून: देश में आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए उत्तराखंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी (Information Technology Development Agency) संस्थान पुलिस को ड्रोन तकनीक का ट्रेनिंग दे रहा है. ताकि किसी भी आतंकी घटना और हमलों को रोका जा सके. देहरादून स्थित ड्रोन एप्लीकेशन रिसर्च सेंटर (Drone Application Research Center Dehradun) में पुलिस अधिकारियों को ड्रोन तकनीक को ट्रैक करने से लेकर महत्वपूर्ण जानकारियों का प्रशिक्षण दे रहा है.

अभी तक ड्रोन से जुड़ी विशेष तकनीकी ट्रेनिंग को यूपी एटीएस का पहला बैच डीएआरसी से प्रशिक्षण ले चुका है. इस ट्रेनिंग में पुलिस अधिकारियों को ड्रोन से संभावित खतरों से निपटने के साथ ही ड्रोन सर्विसलांस (drone service) (ट्रैक) कर डाटा एकत्र करने जैसी तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया है.

उत्तराखंड आईटीडीए (ITDA) डायरेक्टर अमित सिन्हा के मुताबिक, वर्तमान समय में जितनी तेजी के साथ ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है. उसमें अवैध रूप से संचालित होने वाले ड्रोन को काबू करना बेहद जरूरी है. वहीं, दूसरी तरफ उतना ही जरूरी तेजी से डाटा सुरक्षित कर उसके संबंधित संचालकों तक पहुंचाना भी अहम है. ड्रोन से कानून व्यवस्था पर बेहतर और प्रभावी तरीके से नजर रखी जा सकती है.

यही कारण है कि ड्रोन की तकनीक, सर्विसलांस और अन्य उससे जुड़ी टेक्नोलॉजी की जानकारी का होना पुलिस व संबंधित एजेंसियों के पास होना जरूरी है. ताकि ड्रोन से होने वाली संवेदनशील घटनाओं पर समय रहते अंकुश लगाया जा सके. ITDA डायरेक्टर सिन्हा के मुताबिक वर्तमान समय में आधुनिक तरीके से किसी भी अपराध को वर्कआउट करने के लिए पुलिस सिर्फ सीसीटीवी फुटेज पर निर्भर है.

ये भी पढ़ें: भारतीय सेना में शामिल हुए 168 नए जांबाज, KRC रानीखेत में ली देश सेवा की शपथ

ऐसे में अब हाईटेक एडवांस पुलिसिंग के लिए पुलिस में ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ाना जरूरी हैं. ताकि किसी भी संवेदनशील घटनाओं पर आसमानी से भी एडवांस निगरानी की जा सके. यही कारण है कि अब ड्रोन तकनीक को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार के नियमानुसार ड्रोन उड़ाने के लिए रेड, येलो और ग्रीन जोन चिन्हित किए गए हैं.

एयरपोर्ट के अलावा किसी भी रक्षा संस्थान जैसे अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों के 5 किलोमीटर के दायरे को रेड जोन में रखा गया है. इसके अतिरिक्त इन संस्थानों के 5 से 8 किलोमीटर का दायरा येलो में आता हैं जबकि, इसके बाद का इलाका ग्रीन जोन के तहत शुरू होता है. हालांकि, ग्रीन जोन में भी अधिकतम 4 मीटर की ऊंचाई तक ही ड्रोन उड़ाने का नियम है. केंद्र सरकार के नियमानुसार ड्रोन उड़ाने के लिए संबंधित संस्थानों को रजिस्ट्रेशन करा सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है. वहीं, दूसरी अब राज्य सरकारें भी ड्रोन पॉलिसी बनाने को लेकर काम कर रही हैं.

देहरादून: देश में आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए उत्तराखंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट एजेंसी (Information Technology Development Agency) संस्थान पुलिस को ड्रोन तकनीक का ट्रेनिंग दे रहा है. ताकि किसी भी आतंकी घटना और हमलों को रोका जा सके. देहरादून स्थित ड्रोन एप्लीकेशन रिसर्च सेंटर (Drone Application Research Center Dehradun) में पुलिस अधिकारियों को ड्रोन तकनीक को ट्रैक करने से लेकर महत्वपूर्ण जानकारियों का प्रशिक्षण दे रहा है.

अभी तक ड्रोन से जुड़ी विशेष तकनीकी ट्रेनिंग को यूपी एटीएस का पहला बैच डीएआरसी से प्रशिक्षण ले चुका है. इस ट्रेनिंग में पुलिस अधिकारियों को ड्रोन से संभावित खतरों से निपटने के साथ ही ड्रोन सर्विसलांस (drone service) (ट्रैक) कर डाटा एकत्र करने जैसी तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया है.

उत्तराखंड आईटीडीए (ITDA) डायरेक्टर अमित सिन्हा के मुताबिक, वर्तमान समय में जितनी तेजी के साथ ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है. उसमें अवैध रूप से संचालित होने वाले ड्रोन को काबू करना बेहद जरूरी है. वहीं, दूसरी तरफ उतना ही जरूरी तेजी से डाटा सुरक्षित कर उसके संबंधित संचालकों तक पहुंचाना भी अहम है. ड्रोन से कानून व्यवस्था पर बेहतर और प्रभावी तरीके से नजर रखी जा सकती है.

यही कारण है कि ड्रोन की तकनीक, सर्विसलांस और अन्य उससे जुड़ी टेक्नोलॉजी की जानकारी का होना पुलिस व संबंधित एजेंसियों के पास होना जरूरी है. ताकि ड्रोन से होने वाली संवेदनशील घटनाओं पर समय रहते अंकुश लगाया जा सके. ITDA डायरेक्टर सिन्हा के मुताबिक वर्तमान समय में आधुनिक तरीके से किसी भी अपराध को वर्कआउट करने के लिए पुलिस सिर्फ सीसीटीवी फुटेज पर निर्भर है.

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ऐसे में अब हाईटेक एडवांस पुलिसिंग के लिए पुलिस में ड्रोन का इस्तेमाल बढ़ाना जरूरी हैं. ताकि किसी भी संवेदनशील घटनाओं पर आसमानी से भी एडवांस निगरानी की जा सके. यही कारण है कि अब ड्रोन तकनीक को लेकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक, केंद्र सरकार के नियमानुसार ड्रोन उड़ाने के लिए रेड, येलो और ग्रीन जोन चिन्हित किए गए हैं.

एयरपोर्ट के अलावा किसी भी रक्षा संस्थान जैसे अन्य महत्वपूर्ण संस्थानों के 5 किलोमीटर के दायरे को रेड जोन में रखा गया है. इसके अतिरिक्त इन संस्थानों के 5 से 8 किलोमीटर का दायरा येलो में आता हैं जबकि, इसके बाद का इलाका ग्रीन जोन के तहत शुरू होता है. हालांकि, ग्रीन जोन में भी अधिकतम 4 मीटर की ऊंचाई तक ही ड्रोन उड़ाने का नियम है. केंद्र सरकार के नियमानुसार ड्रोन उड़ाने के लिए संबंधित संस्थानों को रजिस्ट्रेशन करा सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है. वहीं, दूसरी अब राज्य सरकारें भी ड्रोन पॉलिसी बनाने को लेकर काम कर रही हैं.

Last Updated : Apr 16, 2022, 6:52 PM IST
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