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उत्तराखंड की बड़ी उपलब्धि, MOU के तहत बनाए जाएंगे सात रोपवे

रोपवे निर्माण के लिए सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार के साथ समझौता करने वाला उत्तराखंड का देश का पहला राज्य है. ऐसे में प्रदेश में सात रोपवे निर्माण के लिए केंद्र के साथ एमओयू साइन हुआ है.

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Published : Sep 11, 2021, 7:05 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है. रोपवे निर्माण के लिए सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के साथ अनुबंध करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है. उत्तराखंड में रोपवे निर्माण के लिए सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार को नोडल विभाग बनाया गया है. ऐसे में रोपवे निर्माण के भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से डीपीआर तैयार कर काम शुरू किया जाएगा.

राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए रोपवे यात्रियों एवं पर्यटकों के लिए एक प्रदूषण मुक्त यातायात का प्रमुख साधन बनेगा. उत्तराखंड में विभिन्न धार्मिक एवं साहसिक पर्यटन गंतव्यों तक अधिक से अधिक पर्यटकों व श्रद्धालुओं को सुगमतापूर्वक पहुंचाने और पर्यटकों की आवाजाही के उद्देश्य से राज्य सरकार के पर्यटन विभाग तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार के बीच एमओयू साइन किया गया है.

सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की नियंत्राणाधीन नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) के द्वारा प्रथम चरण में प्रदेश के सात रोपवे केदारनाथ रोपवे, नैनीताल रोपवे, हेमकुंड साहिब रोपवे, पंचकोटी से नई टिहरी, औली से गौरसू, मुनस्यारी से खलिया टॉप तथा ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव तक सात रोपवे के डीपीआर गठन एवं निर्माण की कार्यवाही राज्य सरकार के साथ मिलकर की जाएगी. इन रोपवे के निर्माण से श्री केदारनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे कई किलोमीटर पैदल मार्ग वाले स्थानों तक भी लोग आसानी से पहुंच सकेंगे। इसका सीधा लाभ महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांग लोगों को मिलेगा.

वहीं, केदारनाथ एवं हेमकुंड साहिब जैसे धार्मिक स्थलों पर लंबी पैदल यात्रा कर पहुंचा जाता है. इसमें अधिक समय लगने के साथ ही महिलाओं, बुजुर्गों तथा बच्चों को यात्रा के दौरान अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. रोपवे निर्माण हो जाने के फलस्वरूप सभी प्रकार के पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को इन धार्मिक यात्रायों को आसानी से कम समय में पूरा कर दर्शन का लाभ प्राप्त हो सकेगा.

पढ़ें- उत्तराखंड: चमोली में भूकंप के झटके, घरों से बाहर निकले लोग

यह गर्व का विषय है कि उत्तराखंड पहला राज्य होगा जिसने सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा रोपवे की फिजीबिलीटी डीपीआर एवं निर्माण हेतु अनुबंध हस्ताक्षरित किया है. इससे पहले पर्यटन विभाग मसूरी, पूर्णागिरी और सुरकंडा देवी रोपवे को पीपीई मोड पर बनाने एवं संचालित किए जाने हेतु कार्यवाही की गयी है. इसमें से सुरकंडा देवी रोपवे का संचालन इस वर्ष के अंत में शुरू कर दिया जाएगा.

प्रदेश के सात स्थानों पर रोपवे निर्माण होने से निश्चित रूप से प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही देश-दुनिया के तीर्थयात्री व पर्यटक उत्तराखंड में रोमांच भरे सफर का आनंद भी उठा सकेंगे. सभी सात रोपवे देश सहित विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेंगे.

देहरादून: उत्तराखंड के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है. रोपवे निर्माण के लिए सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के साथ अनुबंध करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है. उत्तराखंड में रोपवे निर्माण के लिए सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार को नोडल विभाग बनाया गया है. ऐसे में रोपवे निर्माण के भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से डीपीआर तैयार कर काम शुरू किया जाएगा.

राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए रोपवे यात्रियों एवं पर्यटकों के लिए एक प्रदूषण मुक्त यातायात का प्रमुख साधन बनेगा. उत्तराखंड में विभिन्न धार्मिक एवं साहसिक पर्यटन गंतव्यों तक अधिक से अधिक पर्यटकों व श्रद्धालुओं को सुगमतापूर्वक पहुंचाने और पर्यटकों की आवाजाही के उद्देश्य से राज्य सरकार के पर्यटन विभाग तथा सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार के बीच एमओयू साइन किया गया है.

सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की नियंत्राणाधीन नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (एनएचएलएमएल) के द्वारा प्रथम चरण में प्रदेश के सात रोपवे केदारनाथ रोपवे, नैनीताल रोपवे, हेमकुंड साहिब रोपवे, पंचकोटी से नई टिहरी, औली से गौरसू, मुनस्यारी से खलिया टॉप तथा ऋषिकेश से नीलकंठ महादेव तक सात रोपवे के डीपीआर गठन एवं निर्माण की कार्यवाही राज्य सरकार के साथ मिलकर की जाएगी. इन रोपवे के निर्माण से श्री केदारनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे कई किलोमीटर पैदल मार्ग वाले स्थानों तक भी लोग आसानी से पहुंच सकेंगे। इसका सीधा लाभ महिलाओं, बुजुर्गों और दिव्यांग लोगों को मिलेगा.

वहीं, केदारनाथ एवं हेमकुंड साहिब जैसे धार्मिक स्थलों पर लंबी पैदल यात्रा कर पहुंचा जाता है. इसमें अधिक समय लगने के साथ ही महिलाओं, बुजुर्गों तथा बच्चों को यात्रा के दौरान अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. रोपवे निर्माण हो जाने के फलस्वरूप सभी प्रकार के पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को इन धार्मिक यात्रायों को आसानी से कम समय में पूरा कर दर्शन का लाभ प्राप्त हो सकेगा.

पढ़ें- उत्तराखंड: चमोली में भूकंप के झटके, घरों से बाहर निकले लोग

यह गर्व का विषय है कि उत्तराखंड पहला राज्य होगा जिसने सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा रोपवे की फिजीबिलीटी डीपीआर एवं निर्माण हेतु अनुबंध हस्ताक्षरित किया है. इससे पहले पर्यटन विभाग मसूरी, पूर्णागिरी और सुरकंडा देवी रोपवे को पीपीई मोड पर बनाने एवं संचालित किए जाने हेतु कार्यवाही की गयी है. इसमें से सुरकंडा देवी रोपवे का संचालन इस वर्ष के अंत में शुरू कर दिया जाएगा.

प्रदेश के सात स्थानों पर रोपवे निर्माण होने से निश्चित रूप से प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ ही देश-दुनिया के तीर्थयात्री व पर्यटक उत्तराखंड में रोमांच भरे सफर का आनंद भी उठा सकेंगे. सभी सात रोपवे देश सहित विदेश के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेंगे.

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