देहरादून: उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. राज्यपाल बेबी रानी मौर्य के इस्तीफे की चर्चाए काफी दिनों से सियासी गलियारों में चल रही थी. माना जा रहा है कि बेबी रानी मौर्य उत्तर प्रदेश में सक्रिय राजनीति करना चाहती हैं. इसीलिए विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने इस्तीफा दिया.
उत्तराखंड में राज्यपाल के तौर पर बेबी रानी मौर्य का कार्यकाल तीन साल का रहा है. इससे पहले वो उत्तर प्रदेश के आगरा शहर की मेयर भी रही हैं. कुछ दिनों पहले ही उन्होंने अपने तीन साल के कार्यकाल की जानकारी मीडिया से साझा की थी.
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राज्य की महिलाओं को हरसंभव मदद का भरोसा: राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कहा था कि उन्होंने अपने तीन साल के कार्यकाल में यही प्रयास किया कि राज्य उन्नति की ओर अग्रसर हो. राज्य की महिलाएं मेहनती और जुझारू हैं, इन महिलाओं को राजभवन से जो बेहतर सहयोग किया जा सकता है, उसके लिए आगे भी ठोस प्रयास किए जाएंगे. यही नहीं, राज्यपाल मौर्य ने कहा था कि राजभवन द्वारा स्वयं सहायता समूहों के लिए विस्तृत कार्य योजना, प्रशिक्षण और सहायता समूहों को सस्ते ऋण के लिए समय-समय पर निर्देश दिये गये, जिससे महिलाओं का आर्थिक उत्थान हो.
राज्यपाल द्वारा गिनाई गई उपलब्धियां: क्षय (टीबी) रोग के प्रति राजभवन में जन जागरूकता कार्यक्रम किया गया था. साथ ही टीबी रोगियों को पोषक आहार वितरित कर रोगियों को पोषण के प्रति सजग किया. राजभवन द्वारा पांच बच्चे गोद लिए गये हैं, जिनके उपचार का खर्च राजभवन द्वारा किया गया और इनकी सेहत में बेहतर सुधार लाया गया. राजभवन के निर्देशों के क्रम में राज्य विश्वविद्यालयों द्वारा दूरस्थ गांवों को गोद लिया गया. यहां विकास कार्य कराये गये.
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हर जनपद से एक गांव गोद: इसके अलावा उन्होंने अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए कहा था कि नई राष्ट्र शिक्षा नीति पर भी राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को स्पष्ट निर्देश दिये गये. विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से राजभवन ने इस वर्ष और पिछले वर्ष भी कोरोना महामारी के दौरान राहत सामग्री व ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स को राज्य के अधिकांश जनपदों को भेजा गया. अनुसूचित जाति बाहुल्य गांवों को मॉडल ग्राम बनाने की योजना के अन्तर्गत प्रत्येक जनपद से एक गांव को उनके द्वारा गोद लिया गया है.
इसके साथ ही उन्होंने बताया था कि देहरादून के झाझरा और कुमाऊं के गहना गांव में विकास कार्य भी हुए. उत्तराखंड राज्य प्राकृतिक सम्पदाओं से सम्पन्न एक राज्य है, यहां औषधीय पौधे जड़ी-बूटियों की पर्याप्त उपलब्धता है. स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से इनके उत्पादन एवं वितरण को प्रोत्साहित किया जा रहा है. राज्य में होम स्टे अधिक से अधिक हो जिसमें स्वतः आय अर्जित कर स्थानीय निवासी सम्पन्न हों और हम पलायन रोक सकें, इस पर भी काम किया गया.
नशा मुक्ति के लिए जागरूकता कार्यक्रम: उन्होंने कहा था कि नशा मुक्ति के लिए राजभवन ने जन जागरूकता कार्यक्रम चला जाएगा.12वीं तक के स्कूलों के बच्चों को नशे से दूर रहने के लिए जागरूक किया गया.
साड़ी बैंक की स्थापना: गरीब महिलाओं के लिए साड़ी बैंक की स्थापना की गई, इसमें गरीब बस्ती तक साड़ी पहुंचाने का कार्य किया. आम्बेडकर जयंती पर मलिन बस्तियों के बच्चों को शिक्षा के प्रति आकर्षित करने के लिए निर्धन बच्चों को स्कूल बैग व पुस्तक वितरण किया गया.
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कोरोना अवधि में सराहनीय काम: कोरोना अवधि में देहरादून में इन बस्तियों में मास्क, सैनेटाइजर वितरण कराया था. राज्यपाल ने कोविड -19 से बचाव में रेडक्रास सोसाइटी द्वारा किये गये कार्यों के बारे में भी बताया था और सोसाइटी की सराहना की.
वहीं, उन्होंने बताया था कि रैणी गांव में बाढ़ के समय सोसाइटी के कार्य प्रशंसनीय रहे, जिसके लिए सोसाइटी को राजभवन ने राशि प्रदान की. राजभवन द्वारा उत्कृष्ट महिला कार्मिकों को पुरस्कृत करने की एक शुरूआत की गई है, जिसे निरंतर जारी रखा जायेगा.
राज्यपाल के निर्देशों के क्रम में कोविड में अनाथ हुए बालकों के लिए भी विश्वविद्यालयों में सीट आरक्षित रखने के निर्देशों की भी जानकारी दी. निजी नशा मुक्ति केन्द्रों का पंजीकरण न होने पर कार्यवाही की भी बात कही थी.