देहरादून: नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange Project) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्टों में से एक है. गंगा की धारा को अविरल करने के लिए नमामि गंगे परियोजना चलाई गई है. अब इस परियोजना में आम लोगों की सहभागिता भी देखने को मिलेगी. इसके लिए स्थानीय लोगों को जलज योजना (Uttarakhand Jalaj Yojana) के साथ जोड़ा जाएगा. जिससे गंगा की सहायक नदियों को भी स्वच्छ बनाया जा सके और लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त हो सके.
गंगा की स्वच्छता (cleanliness of ganga) को लेकर नमामि गंगे परियोजना के तहत विभिन्न विभाग गंगा और उसकी सहायक नदियों की सफाई में जुटे हुए हैं. लेकिन केंद्र सरकार भी मानती है कि स्थानीय लोगों की सहभागिता के बिना गंगा को स्वच्छ और निर्मल रखना मुमकिन नहीं है. लिहाजा सरकार इन्हीं लोगों की आजीविका को गंगा और उसकी सहायक नदियों से जोड़ने की शुरुआत करने जा रही है. इसके लिए नमामि गंगे परियोजना के तहत जलज योजना के साथ जोड़ा जा रहा है.
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गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों पर नमामि गंगे परियोजना के तहत स्वच्छता का काम पिछले 8 साल से जारी है. लेकिन अब केंद्र सरकार इसमें जलज योजना को जोड़ने जा रही है, इसके तहत गंगा में स्थानीय लोगों की आजीविका को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. इसके तहत गंगा में कमल की खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा और इससे लोगों की आजीविका को बेहतर करने के प्रयास होंगे. बड़ी बात यह है कि इसके लिए न केवल स्थानीय लोगों को जानकारी दी जाएगी, बल्कि उन्हें प्रशिक्षित भी किया जाएगा. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्राकृतिक रिसोर्सेज को इस्तेमाल करने को लेकर अपनी बात कहते रहे हैं.
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हालांकि इस दौरान संसाधनों को बेहतर रखने की भी बात रखी गई है. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Wildlife Institute of India) की वरिष्ठ वैज्ञानिक रुचि बडोला का कहना है कि इसमें गंगा में जलीय जीवों और खेती के साथ आसपास फसल के माध्यम से भी लोगों की आजीविका बेहतर की जाएगी. केंद्र सरकार का मानना है कि यदि आजीविका से गंगा या सहायक नदियां जुड़ेंगे तो स्थानीय लोग भी गंगा की स्वच्छता निर्मलता पर खुद से जुड़ सकेंगे और ऐसे में नमामि गंगे परियोजना को और भी तेजी से आगे बढ़ाया जा सकता है.