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उत्तराखंड सरकार अंतरराज्यीय परिवहन संचालन रोकने पर कर रही विचार - CM Tirath Singh Rawat

उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में उत्तर प्रदेश परिवहन सेवा की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार बसों के संचालन को रोकने पर विचार कर रही है.

Uttarakhand Transport Service
उत्तराखंड सरकार अंतरराज्यीय परिवहन.
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Published : May 4, 2021, 4:28 PM IST

देहरादून: देश भर में बढ़ते कोरोना वायरस को देखते हुए उत्तर प्रदेश रोडवेज अंतरराज्यीय परिवहन को रोकने का फैसला किया है. ऐसे में अब उत्तर प्रदेश रोडवेज की बसें उत्तराखंड राज्य में दाखिल नहीं होंगी. हालांकि, उत्तराखंड राज्य समेत अन्य राज्यों में लगातार फैल रहे कोरोना संक्रमण के मामले को देखते हुए उत्तराखंड राज्य में भी लंबे समय से मांग उठ रही थी कि जब तक स्थितियां सामान्य नहीं होती है. तब तक अंतरराज्यीय बस संचालन न किया जाए. जिससे अन्य राज्यों से आवाजाही कम होगी. इससे संक्रमण फैलने के खतरे पर थोड़ा असर जरूर पड़ेगा.

जिसके बाद से उत्तराखंड सरकार ने भी अंतरराज्यीय संचालन से संबंधित मंथन शुरू कर दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही राज्य सरकार अंतरराज्यीय संचालन को लेकर फैसला ले सकती है. मुख्य रूप से देखें तो अगर राज्य सरकार यह फैसला लेती है तो परिवहन निगम का वित्तीय नुकसान होना लाजमी है. क्योंकि पहले से ही परिवहन निगम वित्तीय कमी से जूझ रहा है. ऐसे में अगर राज्य सरकार अंतरराज्यीय संचालन को बंद कर देती है तो परिवहन निगम को और भी अधिक नुकसान झेलना पड़ेगा.

बता दें कि पिछले साल भी वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से बचाव को लेकर लॉकडाउन लागू किया गया था. जिस दौरान रोडवेज की बसें 3 महीने तक खड़ी थी. हालांकि, जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई. उसके बाद जून महीने से धीरे-धीरे रोडवेज बसों के संचालन को मंजूरी दी गई. लेकिन यह बस सिर्फ उत्तराखंड राज्य के भीतर ही संचालित हो रही थी. इसके बाद फिर धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होती चली गई और फिर सितंबर-अक्टूबर महीने में राज्य सरकार ने रोडवेज बसों के अंतरराज्यीय परिवहन की स्वीकृति दी, लेकिन बसों की संख्या सीमित रखी गई.

ये भी पढ़ें : कोरोना से ठीक हुए पुलिसकर्मी करेंगे प्लाज्मा डोनेट, हो रहा एंटीबॉडी टेस्ट

बीते साल जैसा माहौल कुछ इस समय भी बनता दिखाई दे रहा है. क्योंकि कोरोना संक्रमण के मामले ना सिर्फ प्रदेश में बल्कि देश भर में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में अब राज्य सरकार अंतरराज्यीय परिवहन को रोकने संबंधी विचार कर रही है. अंतरराज्यीय परिवहन संचालन बंद करने पर विचार करने की एक मुख्य वजह यह भी है कि अन्य राज्यों और शहरों से उत्तराखंड आने वाले यात्रियों को ना सिर्फ स्मार्ट सिटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होता है. बल्कि 72 घंटे पुरानी RT-PCR जांच की नेगेटिव रिपोर्ट भी दिखानी अनिवार्य है. जिस वजह से रोडवेज बसों में यात्रियों की संख्या काफी कम हो गई है.

निगम की बसों में यात्रियों की संख्या कम होने की वजह से पहले ही निगम को नुकसान उठाना पड़ रहा है. जिस वजह से रोडवेज कर्मचारी पहले से ही इस बात की मांग कर रहे थे कि अंतरराज्यीय संचालन न किया जाए. तो वहीं, अब जब उत्तर प्रदेश सरकार ने अंतरराज्यीय परिवहन संचालन को रोकने का फैसला ले लिया है. जिसके बाद उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारियों ने की आवाज उठानी शुरू कर दी है.
ये भी पढ़ें : उत्तराखंड में 4 गुना बढ़ा कोविड बायो मेडिकल वेस्ट, ऐसे हो रहा निस्तारण

रोडवेज महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि अभी वर्तमान समय में सीमित संख्या में ही अंतरराज्यीय बसों का संचालन किया जा रहा है. यात्रियों की संख्या के आधार पर ही बस को दूसरे राज्य में भेजा जा रहा है. लेकिन अगर सरकार अंतरराज्यीय बस संचालन पर रोक लगाती है तो फिर परिवहन निगम अंतरराज्यीय बसों के संचालन को अग्रिम आदेशो तक पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा.

देहरादून: देश भर में बढ़ते कोरोना वायरस को देखते हुए उत्तर प्रदेश रोडवेज अंतरराज्यीय परिवहन को रोकने का फैसला किया है. ऐसे में अब उत्तर प्रदेश रोडवेज की बसें उत्तराखंड राज्य में दाखिल नहीं होंगी. हालांकि, उत्तराखंड राज्य समेत अन्य राज्यों में लगातार फैल रहे कोरोना संक्रमण के मामले को देखते हुए उत्तराखंड राज्य में भी लंबे समय से मांग उठ रही थी कि जब तक स्थितियां सामान्य नहीं होती है. तब तक अंतरराज्यीय बस संचालन न किया जाए. जिससे अन्य राज्यों से आवाजाही कम होगी. इससे संक्रमण फैलने के खतरे पर थोड़ा असर जरूर पड़ेगा.

जिसके बाद से उत्तराखंड सरकार ने भी अंतरराज्यीय संचालन से संबंधित मंथन शुरू कर दिया है. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही राज्य सरकार अंतरराज्यीय संचालन को लेकर फैसला ले सकती है. मुख्य रूप से देखें तो अगर राज्य सरकार यह फैसला लेती है तो परिवहन निगम का वित्तीय नुकसान होना लाजमी है. क्योंकि पहले से ही परिवहन निगम वित्तीय कमी से जूझ रहा है. ऐसे में अगर राज्य सरकार अंतरराज्यीय संचालन को बंद कर देती है तो परिवहन निगम को और भी अधिक नुकसान झेलना पड़ेगा.

बता दें कि पिछले साल भी वैश्विक महामारी कोरोनावायरस से बचाव को लेकर लॉकडाउन लागू किया गया था. जिस दौरान रोडवेज की बसें 3 महीने तक खड़ी थी. हालांकि, जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई. उसके बाद जून महीने से धीरे-धीरे रोडवेज बसों के संचालन को मंजूरी दी गई. लेकिन यह बस सिर्फ उत्तराखंड राज्य के भीतर ही संचालित हो रही थी. इसके बाद फिर धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होती चली गई और फिर सितंबर-अक्टूबर महीने में राज्य सरकार ने रोडवेज बसों के अंतरराज्यीय परिवहन की स्वीकृति दी, लेकिन बसों की संख्या सीमित रखी गई.

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बीते साल जैसा माहौल कुछ इस समय भी बनता दिखाई दे रहा है. क्योंकि कोरोना संक्रमण के मामले ना सिर्फ प्रदेश में बल्कि देश भर में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में अब राज्य सरकार अंतरराज्यीय परिवहन को रोकने संबंधी विचार कर रही है. अंतरराज्यीय परिवहन संचालन बंद करने पर विचार करने की एक मुख्य वजह यह भी है कि अन्य राज्यों और शहरों से उत्तराखंड आने वाले यात्रियों को ना सिर्फ स्मार्ट सिटी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करना होता है. बल्कि 72 घंटे पुरानी RT-PCR जांच की नेगेटिव रिपोर्ट भी दिखानी अनिवार्य है. जिस वजह से रोडवेज बसों में यात्रियों की संख्या काफी कम हो गई है.

निगम की बसों में यात्रियों की संख्या कम होने की वजह से पहले ही निगम को नुकसान उठाना पड़ रहा है. जिस वजह से रोडवेज कर्मचारी पहले से ही इस बात की मांग कर रहे थे कि अंतरराज्यीय संचालन न किया जाए. तो वहीं, अब जब उत्तर प्रदेश सरकार ने अंतरराज्यीय परिवहन संचालन को रोकने का फैसला ले लिया है. जिसके बाद उत्तराखंड रोडवेज कर्मचारियों ने की आवाज उठानी शुरू कर दी है.
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रोडवेज महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि अभी वर्तमान समय में सीमित संख्या में ही अंतरराज्यीय बसों का संचालन किया जा रहा है. यात्रियों की संख्या के आधार पर ही बस को दूसरे राज्य में भेजा जा रहा है. लेकिन अगर सरकार अंतरराज्यीय बस संचालन पर रोक लगाती है तो फिर परिवहन निगम अंतरराज्यीय बसों के संचालन को अग्रिम आदेशो तक पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा.

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