देहरादून: मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का लाभ सभी पात्र बच्चों तक पहुंचे, इसे लेकर राज्य सरकार बेहद सख्त नजर आ रही है. इसके तहत आज महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास मंत्री रेखा आर्य की ओर से सचिवालय में मुख्य सचिव समेत अन्य विभागों के सचिवों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की गई. विभागीय मंत्री की ओर से सभी सचिवों को योजना के क्रियान्वयन की रिपोर्ट एक सप्ताह में सौंपने के दिशा-निर्देश दिए गए हैं.
गौरतलब है कि राज्य सरकार की ओर से वात्सल्य योजना उन बच्चों के लिए लाई गई है, जिन बच्चों ने कोरोना काल में अपने माता-पिता को खो दिया है. ऐसे में इस योजना के माध्यम से जहां एक तरफ राज्य सरकार बच्चों के खातों में ₹3,000 की आर्थिक मदद भेज रही है, तो वहीं दूसरी तरफ इस योजना के माध्यम से सरकार ऐसे बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी भी उठा रही है.
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आज की बैठक में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य की ओर से सभी विभागों के सचिवों को वात्सल्य योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए समन्वय के साथ काम करने के निर्देश दिए गए. इसके साथ ही सभी विभागीय सचिवों को उन्होंने निर्देशित किया कि विभाग अपने-अपने स्तर से भी योजना के क्रियान्वयन का शासनादेश जारी करेंगे.
ये है वात्सल्य योजना
कोरोना वायरस संक्रमण के कारण देशभर में कई नागरिकों की मृत्यु हुई है. देश में कई बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण अपने माता-पिता को खो दिया है. उत्तराखंड के ऐसे सभी बच्चों के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना आरंभ की गई है. इस योजना के माध्यम से सभी बच्चों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी.
बढ़ेगा योजना का दायरा
सरकार द्वारा योजना का दायरा भी बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. अब कोविड-19 के अलावा अन्य बीमारियों से माता-पिता या दोनों में से किसी एक की मृत्यु होने पर भी मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा. यह निर्णय इसलिए लिया गया है, क्योंकि कुछ व्यक्तियों की कोविड जांच कराने से पहले ही मृत्यु हो गई थी. इस स्थिति में ऐसे बच्चे जो कोरोनाकाल में अनाथ हुए हैं, उन्हें भी इस योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा. जन्म से 21 साल तक के प्रभावित बच्चों को इस योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा.
एक साल में 2347 बच्चे चयनित
मार्च 2020 से मार्च 2021 तक कुल 2347 बच्चों का चयन किया गया है. इन सभी बच्चों को इस योजना से जोड़ा जाएगा. देहरादून में 561 बच्चों का चयन किया गया है. टिहरी गढ़वाल में 249, उधमसिंह नगर में 242, हरिद्वार में 230, पौड़ी गढ़वाल में 213, नैनीताल में 185, उत्तरकाशी में 120 बच्चे चिह्नित गए हैं. अन्य जिलों में भी कई बच्चों का चयन किया गया है जिनकी सत्यापन प्रक्रिया अभी चल रही है.