मसूरीः विंटर लाइन कार्निवल के तहत उत्तराखंड फूड फेस्टिवल में पर्यटकों ने जमकर पहाड़ी व्यंजनों का लुत्फ उठाया. इस दौरान विभिन्न व्यंजनों व मिठाइयों का स्वाद चखने को लिए लोगों का तांता लगा रहा. फूड फेस्टिवल में उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊंनी व्यंजन जैसे घूमर, पल्लर, अल्मोड़ा की बाल मिठाई, मंडुवा और जौ की रोटी कुलथ की दाल, कद्दू का रायता, तिल की चटनी, झंगोरा की खीर, मीठा भात, गुलगुला तोर की दाल, झंगोरा, वर्कर डाली का साग आदि व्यंजनों के स्वाद को चखकर विदेशी भी हैरान रहे.
फूड फेस्टिवल का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मशहूर मास्टर शेफ माइकल सोनी, मसूरी विधायक गणेश जोशी, जिला अधिकारी सी रविशंकर और पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता ने संयुक्त रूप से किया. पत्रकारों से वार्ता करते उन्होंने कहा की उत्तराखंड की संस्कृति और व्यंजनों को कार्निवल के माध्यम से प्रदर्शित कर उसका प्रचार प्रसार करने का अच्छा प्रयास है. उन्होंने बताया कि कार्निवल की कामयाबी का ये सातवा साल है. कार्यक्रम लगतार ऊंचाईयों को छू रहा है. उन्होंने सभी से उत्तराखंड की संस्कृति को देश-विदेश में प्रचार-प्रसार करने का आग्रह किया.
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मसूरी भाजपा विधायक गणेश जोशी व जिलाधिकारी सी रविशंकर ने कहा कि प्रदेश सरकार का मुख्य उद्देश्य प्रदेश की संस्कृति, बोली और खान-पान के साथ प्रदेश में उगने वाली सामग्री से तैयार किए गए व्यंजनों को देश-विदेश में प्रचारित और प्रसारित करना है, जिससे प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्र में लोगों को रोजगार का साधन मिल सके. रोजगार मिलने से पहाड़ से पलायन पर भी रोक लगाई जा सकेगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के प्रयासों के बाद प्रदेश की संस्कृति के साथ व्यंजनों की धूम अन्य प्रदेशों और विदेशों में भी देखी जा रही है.
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उत्तराखंड फूड फेस्टिवल में प्रतिभाग करते हुए गढ़वाल महिला समूह की संयोजिका राज्यश्री रावत और गढ़वाली व्यंजनों के मास्टर पंकज अग्रवाल ने कहा कि उनके द्वारा फूड फेस्टिवल में उत्तराखंड के पहाड़ में मिलने और परोसे जाने वाले व्यंजन तैयार किए गए हैं, जिनको देश-विदेश के पर्यटक काफी पसंद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा आयोजित फूड फेस्टिवल अच्छा प्रयास है, परंतु प्रदेश के व्यंजनों और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के फेस्टिवल अन्य राज्यों के साथ विदेशों में भी आयोजित किए जाने चाहिए.
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देश विदेश में मसूरी पहुंचे पर्यटकों ने भी जमकर उत्तराखंड फूड फेस्टिवल का लुफ्त उठाते हुए जमकर उत्तराखंड के व्यंजनों को चखा और जमकर तारीफ की. उन्होंने कहा कि अक्सर वहां रेस्टोरेंट्स और होटलों में रोज मिलने वाले भोजन को खाते है. परंतु गढ़वाल और कुमाऊं में परोसे जाने वाले व्यंजनों को खाकर काफी खुश हैं. उनका मानना है कि उत्तराखंड के व्यंजनों को सभी बड़े होटल और रेस्टोरेंट्स में भी परोसा जाना चाहिए.
फूड फेस्टिवल में होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों ने भी पहाड़ी फूड स्टॉल लगाए हैं. उत्तराखंड होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप साहनी कहते हैं कि फूड फेस्टिवल में उत्तराखंडी व्यंजनों की मांग बढ़ने से स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सकता है, साथ ही कृषि पैदावार बढ़ेगी. अगर पहाड़ी व्यंजनों की मांग बढ़ेगी तो लोग खेती की ओर वापस लौटेंगे. जानकारों का कहना है कि इस तरह के फेस्टिवल के आयोजन से लोगों की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.