देहरादून: आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश का आम बजट पेश किया. वहीं बजट पर हर वर्ग की उम्मीदें टिकीं हुईं थी. बजट पर जानकार अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. जानकारों का मानना है कि बजट वैश्विक महामारी के दौरान वित्तीय संतुलन और पांच राज्यों में होने वाले चुनाव के मद्देनजर लगी आचार संहिता के प्रभाव में नजर आया. देश में कोरोना काल के आर्थिक घाटे को देखते हुए आगामी 25 साल के रोडमैप के मुताबिक नई योजनाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने की घोषणा के चलते यह बजट वित्तीय संतुलन को बरकरार रखने के दृष्टिगत से पेश किया गया है.
क्या कह रहे जानकार: आर्थिक जानकारों के मुताबिक देश के 5 राज्यों में होने वाले चुनाव आचार संहिता के दृष्टिगत भी किसी लोक लुभावने पैकेज की घोषणा नहीं की जा सकी. लेकिन बैंकिंग क्षेत्र की विस्तार पॉलिसी को देखते हुए इसका आर्थिक लाभ आने वाले समय में देश की बेहतर जीडीपी के रूप में देखा जा सकेगा. बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े जानकारों के मुताबिक एक आम आदमी को इनकम टैक्स की छूट बढ़ाने को लेकर काफी उम्मीद भरी नजरें टकटकी लगाए बैठी थी. लेकिन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा इस ओर कोई घोषणा ना करने से वेतनभोगी और मध्यम वर्ग के लोग निराश जरूर हुए हैं.
पढ़ें-बजट 2022 में उत्तराखंड: सीमांत गांवों के लिए नई वाइब्रेंट विलेज योजना, राज्य को ऐसे मिलेगा फायदा
बैंकिंग से जुड़े लोगों की राय: ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े इन्वेस्टमेंट विशेषज्ञ जितेंद्र डीडोन के मुताबिक यह बजट पूरी तरह से कोविड-19 के चलते देश में वित्तीय संतुलन बनाने के लिहाज से पेश किया गया है. हालांकि 5 नदियों को जोड़ कृषि में सिंचाई को बेहतर करने से लेकर कई नई योजनाओं की घोषणाओं से रोजगार, नारी सशक्तिकरण, रेल लाइनों का विस्तार, हर घर साफ पेयजल, पोस्ट ऑफिस के जरिए बैंकों का विस्तार, आरबीआई की तरफ से डिजिटल करेंसी को बढ़ावा देने जैसी तमाम नई पॉलिसी और इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने से आगामी दिनों में कुछ हद तक आम आदमी को काफी राहत मिल सकती है.
जितेंद्र डीडोन के मुताबिक जिस तरह से इस बजट में वित्त मंत्री द्वारा देशभर के डेढ़ लाख से अधिक पोस्ट ऑफिस को बैंकिंग सेवाओं के लिए शुरू किया जा रहा है, यह न सिर्फ आम जनता के लिए बल्कि देश को भी आगामी समय में लाभ पहुंचाएगा. क्योंकि वर्तमान समय में पूरे देश भर में 50 से 55 हजार ही सरकारी और गैर सरकारी बैंक मौजूद हैं. जबकि लेह लद्दाख जैसे दुर्गम स्थानों से लेकर जैसलमेर जैसे दूरुस्थ इलाकों तक पोस्ट ऑफिस की पहुंच बनी हुई है. ऐसे में पोस्ट ऑफिस में ही अब बैंकिंग से जुड़ी हर एक तरह की सेवाएं व सुविधाएं उपलब्ध होने से जहां एक तरफ आम आदमी को राहत मिल सकेगी, वहीं दूसरी तरफ बैंकिंग सेवा का विस्तार पोस्टऑफिस रूप में होने से देश के आर्थिक लाभ में भी बढ़ोत्तरी हो सकती है.
पढ़ें-Budget 2022 : पीएम मोदी ने कहा- पीपल फ्रेंडली और आत्मनिर्भर भारत का बजट
क्रिप्टोकरेंसी पर क्या बोले जानकार: जितेंद्र डीडोन ने कहा कि जिस तरह से इस बजट में क्रिप्टो बिटकॉइन करेंसी पर अंकुश लगाते हुए इसके इस्तेमाल में घाटा या मुनाफा होने पर 30% टैक्स लगाया गया है, वह देश में इल्लीगल डिजिटल करेंसी रोकथाम के लिए बेहद जरूरी कदम है. वहीं दूसरी तरफ इसी परिपेक्ष में आरबीआई द्वारा डिजिटल करेंसी को बढ़ावा देने के लिए जो देशव्यापी कदम उठाने की बजट में घोषणा की गई है. वह बैंकिंग क्षेत्र के घाटे को उबारने के लिए बहुत अच्छा कदम है. केंद्र सरकार द्वारा डिजिटल करेंसी को बड़े स्तर पर बढ़ावा देने से अवैध रूप से देश के संचालित क्रिप्टो बिटकॉइन करेंसी पर लगाम लगाई जा सकेगी. वहीं भारत सरकार के डिजिटल करेंसी को बढ़ावा मिलने से इसकी और आकर्षित होने वाले लोगों को इस क्षेत्र में राहत व सिक्योरिटी मिलेगी. इतना ही नहीं डिजिटल लेनदेन ट्रांजैक्शन बढ़ावा के मद्देनजर पेपर लेस वर्क होने से बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े मामलों में धोखाधड़ी ठगी और बैंक घोटाले जैसे मामलों को भी रोका जा सकेगा.
आयकर में छूट न मिलने से वेतनभोगी मायूस: पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार के दूसरे कार्यकाल में पेश हुए इस तीसरे सालाना बजट में आयकर में किसी तरह की छूट या टैक्स में अन्य तरह की कोई राहत न मिलने से वेतन भोगी और मध्यमवर्गीय लोग मायूस हुए हैं. जितेंद्र डीडोन के मुताबिक पिछले 2 साल वैश्विक महामारी कोरोना से रोजगार और आर्थिक नुकसान हर तबके को हुआ है. ऐसे में वेतन भोगी और मध्यम वर्गीय लोगों को इस बजट में आयकर में छूट बढ़ाने या टैक्स नियमों के अंतर्गत अन्य विषयों में टैक्स रिबेट को बढ़ाने जैसे कदम उठाए जा सकते थे. लेकिन ऐसा कुछ बजट में देखने को नहीं मिला.