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ऊर्जा निगम का 'दरार' वाला प्लान फेल, कर्मचारी संगठनों ने दिखाई एकजुटता - Uttarakhand Energy Corporation Strike Latest News

ऊर्जा निगम ने हड़ताल खत्म करने के लिए मोर्चे से बात करने के बजाय संगठनों के पदाधिकारियों से अलग-अलग बात करने का तरीका निकाला. उसके बाद क्या कुछ हुआ आइये आपको बताते हैं.

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फेल हुआ ऊर्जा निगम का 'दरार' वाला प्लान
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Published : Sep 8, 2021, 9:40 PM IST

देहरादून: ऊर्जा निगम प्रबंधन के अधिकारियों ने कर्मचारी मोर्चे को तोड़ने का अपना ही अलग तरीका निकाला. प्रबंधन मोर्चे से बात करने की बजाय संगठनों के पदाधिकारियों से अलग-अलग बातचीत करने की कोशिश कर रहा था. प्रबंधन की इन कोशिशों पर कर्मचारियों ने बड़ी ही सूझबूझ से ब्रेक लगा दिया है. उन्होंने प्रबंधन से अलग-अलग मिलने से ही इनकार कर दिया है.

ऊर्जा निगम में कर्मचारियों ने हड़ताल की चेतावनी दे दी है. अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर कर्मचारियों ने आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार कर ली है. इसके उलट ऊर्जा निगम प्रबंधन ने अधिकारी कर्मचारी मोर्चे को तोड़ने का मन बना लिया है. तभी मोर्चे से बात करने के बजाय अब प्रबंधन के अधिकारी संगठनों के पदाधिकारियों से अलग-अलग बातचीत करने की कोशिश में जुटे हैं. हालांकि इस प्रयास को कर्मचारियों ने बड़ी सूझबूझ के साथ विफल कर दिया है. उन्होंने प्रबंधन से अलग-अलग मिलने से ही इनकार कर दिया है.

फेल हुआ ऊर्जा निगम का 'दरार' वाला प्लान

पढ़ें-वादाखिलाफी से ऊर्जा कर्मचारी नाराज, 28 अगस्त को मनाएंगे 'वादा निभाओ दिवस'

ऊर्जा निगम में कर्मचारियों और अधिकारियों की मांगों के लिए जिस तरह आंदोलन शुरू हुआ है. माना जा रहा है कि यह आंदोलन हड़ताल तक जाना तय है. यही वजह है कि ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने कर्मचारियों की हड़ताल को तोड़ने के लिए एक नया तरीका निकाला है. तरीका ऐसा जिससे कर्मचारियों की मांगें पूरी होंगी, यह तो नहीं कह सकते. लेकिन हड़ताल पर जरूर ब्रेक लगाया जा सकता था. अधिकारी और कर्मचारियों ने ऐसी सूझबूझ दिखाई ऊर्जा निगम प्रबंधन का यह प्लान पूरी तरह से फेल हो गया.

पढ़ें- उत्तराखंड में दिखा ऊर्जा कर्मचारियों का गुस्सा, जगह-जगह हुए प्रदर्शन

बता दें कि ऊर्जा निगम में करीब 10 संगठन हैं. करीब-करीब सभी संगठन के पदाधिकारियों को अलग से फोन या व्हाट्सएप के जरिए बातचीत के लिए बुलाया गया. विद्युत डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन, उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन, उत्तराखंड पावर इंजीनियर एसोसिएशन ने तो इस बातचीत को लेकर पत्र व्यवहार भी किया.

इस पत्र व्यवहार में यहां तक कहा गया कि आखिरकार प्रबंधन इस पत्र के आधार पर एसोसिएशन से बात करना चाह रहा है. अंदर खाने कर्मचारियों में इस बात की चर्चा है कि मोर्चे को तोड़ने के लिए प्रबंधन की तरफ से इस तरह के कदम उठाए गए हैं.

पढ़ें- धामी के नेतृत्व में बनेगी सरकार, उत्तराखंड में जीत को लेकर आश्वस्त सरदार आरपी सिंह

हालांकि, इस मामले पर ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत का अपना अलग तर्क है. हरक सिंह रावत कहते हैं कि इस मोर्चे में हर संगठन के कर्मचारियों की अलग-अलग मांगें हैं. इन मांगों को निश्चित कर्मचारियों से बात करने और उनकी समस्याओं को बारीकी से समझने के लिए इस तरह की बातचीत की कोशिश की गई है. जिसे गलत नहीं मानना चाहिए.

देहरादून: ऊर्जा निगम प्रबंधन के अधिकारियों ने कर्मचारी मोर्चे को तोड़ने का अपना ही अलग तरीका निकाला. प्रबंधन मोर्चे से बात करने की बजाय संगठनों के पदाधिकारियों से अलग-अलग बातचीत करने की कोशिश कर रहा था. प्रबंधन की इन कोशिशों पर कर्मचारियों ने बड़ी ही सूझबूझ से ब्रेक लगा दिया है. उन्होंने प्रबंधन से अलग-अलग मिलने से ही इनकार कर दिया है.

ऊर्जा निगम में कर्मचारियों ने हड़ताल की चेतावनी दे दी है. अपनी 14 सूत्रीय मांगों को लेकर कर्मचारियों ने आंदोलन की रूपरेखा भी तैयार कर ली है. इसके उलट ऊर्जा निगम प्रबंधन ने अधिकारी कर्मचारी मोर्चे को तोड़ने का मन बना लिया है. तभी मोर्चे से बात करने के बजाय अब प्रबंधन के अधिकारी संगठनों के पदाधिकारियों से अलग-अलग बातचीत करने की कोशिश में जुटे हैं. हालांकि इस प्रयास को कर्मचारियों ने बड़ी सूझबूझ के साथ विफल कर दिया है. उन्होंने प्रबंधन से अलग-अलग मिलने से ही इनकार कर दिया है.

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ऊर्जा निगम में कर्मचारियों और अधिकारियों की मांगों के लिए जिस तरह आंदोलन शुरू हुआ है. माना जा रहा है कि यह आंदोलन हड़ताल तक जाना तय है. यही वजह है कि ऊर्जा निगम के अधिकारियों ने कर्मचारियों की हड़ताल को तोड़ने के लिए एक नया तरीका निकाला है. तरीका ऐसा जिससे कर्मचारियों की मांगें पूरी होंगी, यह तो नहीं कह सकते. लेकिन हड़ताल पर जरूर ब्रेक लगाया जा सकता था. अधिकारी और कर्मचारियों ने ऐसी सूझबूझ दिखाई ऊर्जा निगम प्रबंधन का यह प्लान पूरी तरह से फेल हो गया.

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बता दें कि ऊर्जा निगम में करीब 10 संगठन हैं. करीब-करीब सभी संगठन के पदाधिकारियों को अलग से फोन या व्हाट्सएप के जरिए बातचीत के लिए बुलाया गया. विद्युत डिप्लोमा इंजीनियर एसोसिएशन, उत्तराखंड पावर जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन, उत्तराखंड पावर इंजीनियर एसोसिएशन ने तो इस बातचीत को लेकर पत्र व्यवहार भी किया.

इस पत्र व्यवहार में यहां तक कहा गया कि आखिरकार प्रबंधन इस पत्र के आधार पर एसोसिएशन से बात करना चाह रहा है. अंदर खाने कर्मचारियों में इस बात की चर्चा है कि मोर्चे को तोड़ने के लिए प्रबंधन की तरफ से इस तरह के कदम उठाए गए हैं.

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हालांकि, इस मामले पर ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत का अपना अलग तर्क है. हरक सिंह रावत कहते हैं कि इस मोर्चे में हर संगठन के कर्मचारियों की अलग-अलग मांगें हैं. इन मांगों को निश्चित कर्मचारियों से बात करने और उनकी समस्याओं को बारीकी से समझने के लिए इस तरह की बातचीत की कोशिश की गई है. जिसे गलत नहीं मानना चाहिए.

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