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20 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच का अनिश्चितकालीन धरना शुरू

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Published : Dec 3, 2019, 5:01 PM IST

मंच के प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर ने दोनों राष्ट्रीय पार्टियों पर हमला करते हुए कहा कि बीजेपी और कांग्रेस की सरकारों ने रणनीति के तहत बीते 19 वर्षों में कोई कार्य नहीं किया.

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देहरादून

देहरादून: अपनी बीस सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच ने धरना स्थल पर सोमवार से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में मंच के सदस्यों ने अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को भी प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने समेत देहरादून के सेलाकुई, विकासनगर, मसूरी और ऋषिकेश की गंदगी एकत्रित करने के लिए बने ट्रंचिंग ग्राउंड को हटाने की मांग की है.

देहरादून के परेड ग्राउंड में अनिश्चितकालीन धरना शुरू.

मंच के प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर ने दोनों राष्ट्रीय पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी और कांग्रेस की सरकारों ने रणनीति के तहत बीते 19 सालों में कोई काम नहीं किया. जिसके परिणाम आज सामने आ रहे हैं.

पढ़ें- राजधानी में 100 से ज्यादा सिटी बसों के परमिट होंगे रद्द, ये है वजह

कुंवर का आरोप है कि यह सरकार अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों की अनदेखी कर रही है. उत्तराखंड के हालात जानने के लिए मंच के सदस्यों ने प्रदेश में सात हजार किलोमीटर की सफर किया था तो देखा कि पर्वतीय क्षेत्र के आठ जिलों को तो जंगली सूअरों और बंदरों के ने खा लिया है. बाकी के तीन जिले उधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून को नेताओं ने खा लिया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी 20 सूत्रीय मांगों पर जबतक सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तब तक उनका अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहेगा.

मंच की मुख्य मांगें

  • रोस्टर प्रणाली पर राज्य सरकार ने जो शासनादेश जारी किया गया उसे तुरंत निरस्त किया जाए.
  • छात्रवृत्ति घोटाले की तुरंत सीबीआई जांच करवाई जाए. चालीस हजार अनुसूचित जाति के बच्चों की तीन साल से रुकी हुई छात्रवृत्ति तुरंत जारी की जाए.
  • चार धामों के मंदिर समितियों में अनुसूचित जाति के लोगों को विभिन्न पदों पर निर्धारित कर आरक्षण कोटा पूरा दिया जाए.
  • अल्पसंख्यक, बोक्सा और घुमंतू हिमालय जनजातियों को एंग्लो इंडियन की तर्ज पर विधानसभा में मनोनीत कर राजनीतिक शक्ति प्रदान की जाए.
  • अनुसूचित जाति के लोगों यदि कहीं पर भी रहकर अपनी काश्तकारी या शिल्पकारी का कार्य कर रहे हैं तो उस जमीन पर उनको मालिकाना हक दिया जाए.
  • 400 रुपए मानदेय पर सभी उत्तराखंड की दाईयों से 24 घंटे कराए जा रहे नियम विरुद्ध श्रम को श्रम विभाग के मानक अनुसार कराया जाए.
  • 24 घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों को 24 घंटे का वेतनमान दिया जाए.

देहरादून: अपनी बीस सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच ने धरना स्थल पर सोमवार से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में मंच के सदस्यों ने अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को भी प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने समेत देहरादून के सेलाकुई, विकासनगर, मसूरी और ऋषिकेश की गंदगी एकत्रित करने के लिए बने ट्रंचिंग ग्राउंड को हटाने की मांग की है.

देहरादून के परेड ग्राउंड में अनिश्चितकालीन धरना शुरू.

मंच के प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर ने दोनों राष्ट्रीय पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी और कांग्रेस की सरकारों ने रणनीति के तहत बीते 19 सालों में कोई काम नहीं किया. जिसके परिणाम आज सामने आ रहे हैं.

पढ़ें- राजधानी में 100 से ज्यादा सिटी बसों के परमिट होंगे रद्द, ये है वजह

कुंवर का आरोप है कि यह सरकार अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों की अनदेखी कर रही है. उत्तराखंड के हालात जानने के लिए मंच के सदस्यों ने प्रदेश में सात हजार किलोमीटर की सफर किया था तो देखा कि पर्वतीय क्षेत्र के आठ जिलों को तो जंगली सूअरों और बंदरों के ने खा लिया है. बाकी के तीन जिले उधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून को नेताओं ने खा लिया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी 20 सूत्रीय मांगों पर जबतक सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तब तक उनका अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहेगा.

मंच की मुख्य मांगें

  • रोस्टर प्रणाली पर राज्य सरकार ने जो शासनादेश जारी किया गया उसे तुरंत निरस्त किया जाए.
  • छात्रवृत्ति घोटाले की तुरंत सीबीआई जांच करवाई जाए. चालीस हजार अनुसूचित जाति के बच्चों की तीन साल से रुकी हुई छात्रवृत्ति तुरंत जारी की जाए.
  • चार धामों के मंदिर समितियों में अनुसूचित जाति के लोगों को विभिन्न पदों पर निर्धारित कर आरक्षण कोटा पूरा दिया जाए.
  • अल्पसंख्यक, बोक्सा और घुमंतू हिमालय जनजातियों को एंग्लो इंडियन की तर्ज पर विधानसभा में मनोनीत कर राजनीतिक शक्ति प्रदान की जाए.
  • अनुसूचित जाति के लोगों यदि कहीं पर भी रहकर अपनी काश्तकारी या शिल्पकारी का कार्य कर रहे हैं तो उस जमीन पर उनको मालिकाना हक दिया जाए.
  • 400 रुपए मानदेय पर सभी उत्तराखंड की दाईयों से 24 घंटे कराए जा रहे नियम विरुद्ध श्रम को श्रम विभाग के मानक अनुसार कराया जाए.
  • 24 घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों को 24 घंटे का वेतनमान दिया जाए.
Intro:उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच ने 20 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना स्थल पर सोमवार से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में मंच के सदस्यों ने अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को भी प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने समेत सेलाकुई में देहरादून विकासनगर मसूरी और ऋषिकेश की गंदगी एकत्रित करने के लिए बने ट्रेंचिंग ग्राउंड को हटाने की मांग की है।


Body: मंच के प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर ने दोनों राष्ट्रीय पार्टियों पर हमला करते हुए कहा कि भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने उस रणनीति के तहत बीते 19 वर्षों में कोई कार्य नहीं किया जिसका परिणाम आज भयानक रूप धारण कर रहा है, यह सरकार अनुसूचित जाति जनजाति अन्य पिछड़ा वर्गों की अनदेखी कर रही है ।जब मंच के सदस्यों ने उत्तराखंड में डेढ़ महीने 7000 किलोमीटर की यात्रा करी तो उस दौरान देखा कि पर्वतीय क्षेत्र के 8 जिलों को तो जंगली सूअरों और बंदरों के ने खा लिया है, और गुलदार महिलाओं पर हमला कर रहे हैं, जबकि उधम सिंह नगर हरिद्वार और देहरादून जैसे जिलों को नेताओं ने खा लिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 20 सूत्रीय मांगों पर सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तब तक उनका अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहेगा

बाइट -दौलत कुंवर, प्रदेश संयोजक ,उत्तराखंड संवैधानिक अधिकारी संरक्षण मंच


Conclusion:मंच की 20 सूत्रीय मांगों में से अन्य मुख्य मांगे-
-रोस्टर प्रणाली पर राज्य सरकार द्वारा जारी किया गया शासनादेश तुरंत निरस्त किया जाए।

- छात्रवृत्ति घोटाले प्रकरण पर तुरंत सीबीआई जांच करवाई जाए,चालीस हज़ार अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति के बच्चों की 3 साल से रुकी हुई छात्रवृत्ति तुरंत जारी की जाए।

- चार धामों के मंदिर समितियों में अनुसूचित जाति के लोगों को विभिन्न पदों पर निर्धारित आरक्षण कोटा पूरा दिया जाए।

- अल्पसंख्यक,बोक्सा, घुमंतू हिमालय जनजातियों को एंग्लो इंडियन की तर्ज पर संविधान, विधानसभा में मनोनीत कर राजनीतिक शक्ति प्रदान की जाए।

- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों द्वारा यदि कहीं पर भी रहकर अपनी काश्तकारी या शिल्पकारी का कार्य कर रहे हैं और अपनी रोजी रोटी कमा कर गुजर-बसर कर रहे हैं तो उस जमीन पर उनको मालिकाना हक दिया जाए।

- 400 रुपये मानदेय पर सभी उत्तराखंड की दाईयों से 24 घंटे कराए जा रहे नियम विरुद्ध श्रम को श्रम विभाग के मानक अनुसार कराया जाए।

- 24 घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों को 24 घंटे का वेतनमान दिया जाए।

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