देहरादून: अपनी बीस सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच ने धरना स्थल पर सोमवार से अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया है. मुख्यमंत्री को भेजे ज्ञापन में मंच के सदस्यों ने अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को भी प्रमोशन में आरक्षण दिए जाने समेत देहरादून के सेलाकुई, विकासनगर, मसूरी और ऋषिकेश की गंदगी एकत्रित करने के लिए बने ट्रंचिंग ग्राउंड को हटाने की मांग की है.
मंच के प्रदेश संयोजक दौलत कुंवर ने दोनों राष्ट्रीय पार्टियों पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी और कांग्रेस की सरकारों ने रणनीति के तहत बीते 19 सालों में कोई काम नहीं किया. जिसके परिणाम आज सामने आ रहे हैं.
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कुंवर का आरोप है कि यह सरकार अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों की अनदेखी कर रही है. उत्तराखंड के हालात जानने के लिए मंच के सदस्यों ने प्रदेश में सात हजार किलोमीटर की सफर किया था तो देखा कि पर्वतीय क्षेत्र के आठ जिलों को तो जंगली सूअरों और बंदरों के ने खा लिया है. बाकी के तीन जिले उधम सिंह नगर, हरिद्वार और देहरादून को नेताओं ने खा लिया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी 20 सूत्रीय मांगों पर जबतक सरकार कोई कदम नहीं उठाती है तब तक उनका अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहेगा.
मंच की मुख्य मांगें
- रोस्टर प्रणाली पर राज्य सरकार ने जो शासनादेश जारी किया गया उसे तुरंत निरस्त किया जाए.
- छात्रवृत्ति घोटाले की तुरंत सीबीआई जांच करवाई जाए. चालीस हजार अनुसूचित जाति के बच्चों की तीन साल से रुकी हुई छात्रवृत्ति तुरंत जारी की जाए.
- चार धामों के मंदिर समितियों में अनुसूचित जाति के लोगों को विभिन्न पदों पर निर्धारित कर आरक्षण कोटा पूरा दिया जाए.
- अल्पसंख्यक, बोक्सा और घुमंतू हिमालय जनजातियों को एंग्लो इंडियन की तर्ज पर विधानसभा में मनोनीत कर राजनीतिक शक्ति प्रदान की जाए.
- अनुसूचित जाति के लोगों यदि कहीं पर भी रहकर अपनी काश्तकारी या शिल्पकारी का कार्य कर रहे हैं तो उस जमीन पर उनको मालिकाना हक दिया जाए.
- 400 रुपए मानदेय पर सभी उत्तराखंड की दाईयों से 24 घंटे कराए जा रहे नियम विरुद्ध श्रम को श्रम विभाग के मानक अनुसार कराया जाए.
- 24 घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों को 24 घंटे का वेतनमान दिया जाए.