देहरादूनः जोशीमठ में दरार से उपजे हालात को लेकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ मुखर हो गई है. इसी कड़ी में प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जोशीमठ में साल 1976 से आशंका जताई जा रही थी कि यह भूमि कमजोर है. इसके बावजूद वहां पर एनटीपीसी की ओर से बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य जारी है. इस दौरान डायनामाइटों से पहाड़ों को क्षतिग्रस्त किया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि तात्कालिक बीजेपी विधायक वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया. जिसका खामियाजा वहां की जनता को भुगतना पड़ रहा है.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा (Congress State President Karan Mahara) ने कहा कि जब स्थानीय लोगों ने मशाल जलाकर नारेबाजी कर विरोध जताया, तब जाकर सरकार नींद से जागी है. जोशीमठ की घटना निश्चित ही दुर्भाग्यपूर्ण है. लोग बीते 21 दिनों से आंदोलनरत हैं. हालांकि, 2021 से वहां के लोग इस मुद्दे को उठा रहे थे, लेकिन सरकार नहीं चेती. अब जब वहां मकानों में दरारें (Joshimath land subsidence) पड़ने लगी और लोगों की जान पर खतरा उत्पन्न हो गया है, तब सरकार वहां पहुंची है. अब सरकार हाई लेवल कमेटी की बैठक कर रही है.
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करन माहरा ने कहा कि सरकार के रोडमैप पर हमारी नजर रहेगी कि सरकार क्या करने जा रही है? यह भी जांच का विषय रहेगा कि सरकार इस मामले में किन लोगों और वैज्ञानिकों का सहयोग लेगी. यह भी दुख का विषय है कि 2021 के तत्कालीन विधायक और वर्तमान में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट (BJP State President Mahendra Bhatt) की ओर से इस मामले में कोई सुध नहीं ली गई. आज बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वनभूलपुरा भूमि मामले में राजनीति करने की बात कर रहे हैं. जोशीमठ नरसिंह भगवान का स्थान होने के साथ ही सनातन धर्म संस्कृति का प्राचीन स्थान है. उसके विषय में महेंद्र भट्ट कुछ नहीं कहते, केवल राजनीति करते हैं.
कल जोशीमठ जाएंगे हरीश रावतः उन्होंने कहा कि कल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जोशीमठ (Harish Rawat Joshimath Visit) जा रहे हैं, जबकि वो खुद 9 जनवरी को जोशीमठ जाएंगे. ऐसे में सभी कांग्रेसी नेता, बीजेपी सरकार की तरफ से किए जा रहे कार्यों पर पैनी नजर बनाकर रखेंगे. यदि कार्य जनता के हित में नहीं लगे तो कांग्रेस इस मामले को लेकर वृहद आंदोलन का रास्ता अपनाएगी.
हल्द्वानी रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले पर दिया ये हवालाः वहीं, उन्होंने हल्द्वानी भूमि मामले में (Haldwani Railway land Encroachment) मलिन बस्ती अधिनियम का हवाला देते हुए कहा कि या अधिनियम 2016 में लाया गया था. साल 2018 में इसे कानूनी अमलीजामा पहनाया गया. जबकि, 2021 में सभी मलिन बस्तियों का सर्वे कराने की बात की गई थी, लेकिन सरकार ने इसे 2021 से 2024 तक बढ़ा दिया. ऐसे में मलिन बस्तियों को नहीं हटाया जा सकता है.
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