देहरादून: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद राहुल गांधी को लेकर पहला मुकदमा सूरत में दर्ज हुआ था, जिसके बाद उनकी सदस्यता चली गई. मगर उत्तराखंड में कांग्रेस इस पूरे मुद्दे को लेकर कुछ ज्यादा ही आक्रामक दिखाई दे रही है. आक्रामकता की वजह यह भी है क्योंकि गुजरात के सूरत के बाद दूसरा मुकदमा उत्तराखंड के हरिद्वार में दर्ज हुआ है.
राहुल गांधी पर हरिद्वार में दर्ज हुआ है मुकदमा: अब कांग्रेसी आरोप लगा रहे हैं कि राहुल गांधी से सत्ताधारी पार्टी इतनी डरी हुई है कि लोकसभा में उनको बोलने नहीं दिया जाता. कांग्रेसियों का कहना है कि आलम यह हो गया है कि पूरा सिस्टम और पूरी बीजेपी राहुल गांधी के पीछे लगी हुई है. यही कारण है कि राहुल गांधी को परेशान करने के लिए पहले उनके ऊपर मुकदमा किया गया. उनकी सदस्यता रद्द की गई. मकान वापस लिया गया और अब हरिद्वार में भी मुकदमा दर्ज करवाया गया है. वहीं बीजेपी कांग्रेस के प्रदेश में चल रहे इस विरोध को केवल और केवल ड्रामेबाजी बता रही है.
कांग्रेस उत्तराखंड में हमलावर: सूरत में मानहानि मामले में अपनी लोकसभा की सदस्यता गंवा चुके राहुल गांधी की मुसीबतें बढ़ती ही जा रही हैं. उत्तराखंड में भी उनके ऊपर मुकदमा होने के बाद कांग्रेस बेहद खफा है. वहीं बीजेपी के जाल में फंसे राहुल गांधी को बचाने के लिए क्या राज्य और क्या दिल्ली के सभी नेता हर संभव प्रयास कर रहे हैं. लेकिन उत्तराखंड में उनको लेकर कांग्रेस राज्य बीजेपी से लेकर केंद्र की सरकार पर आग बबूला हो रही है. बाकायदा कांग्रेस ने हर रोज प्रवक्ताओं को राहुल के समर्थन में बोलने और आवाज बुलंद करने के आदेश दिए हैं.
कांग्रेस का आरोप राहुल मामले में बीजेपी का हाथ: कांग्रेस का कहना है कि राहुल गांधी के साथ जो कुछ भी हो रहा है उसमें 100 प्रतिशत हाथ बीजेपी का है. बीजेपी नहीं चाहती है कि राहुल गांधी देश की आवाज बनें. यही कारण है कि उन्हें किसी ना किसी बहाने टारगेट किया जाए रहा है. कांग्रेस का मानना है कि इससे आने वाले चुनावों में कांग्रेस और राहुल गांधी को देश का साथ मिलेगा. क्यूंकि जनता जानती है की कैसे भारत के लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है.
कांग्रेस बना रही है ये प्लान: कांग्रेस बाकायदा राज्य में राहुल गांधी के समर्थन में एक कैम्पेन भी जोरों पर चला रही है. ये कैम्पेन तब शुरू हुआ जब उनकी लोकसभा की सदस्यता गई और उनसे सरकारी बंगला खाली करवा लिया गया. राहुल के समर्थन में उत्तराखंड में शुरू हुआ 'मेरा घर राहुल गाँधी का घर' कैम्पेन के माध्यम से कांग्रेस कहीं ना कहीं लोगों इमोशनली जोड़ना चाहती है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा कहते हैं कि देश की सरकार ना केवल राहुल गांदी बल्कि सभी वर्गों को दबाना चाहती है और दबा भी रही है. हो सकता है कि राहुल गांधी का प्रमाण खुली आंखों से दिख रहा हो, लेकिन कहीं ना कहीं हर वर्ग को वो अपना शिकार बना रही है. माहरा कहते हैं कि आने वाले समय में लोकसभा चुनाव और जितने भी चुनाव आ रहे हैं, उनमें हम बीजेपी को इसी मुद्दे पर चित करने वाले हैं.
कांग्रेस गांवों तक चलाएगी राहुल पर अभियान: राज्य में छोटे छोटे गांवों और शहरों में अभियान चलाया जायेगा और बहुत बारीकी से बताया जायेगा कि मौजूदा सरकार आखिरकार कर क्या रही है. इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी समाज के हर वर्ग के व्यक्तियों को जोड़ करके उनके साथ सीधा संवाद भी करने का कार्यक्रम बना रही है. इसमें पूर्व सैनिक, डॉक्टर, बुद्धिजीवी, सरकारी रिटायर कर्मचारियों के साथ-साथ दूर-दराज के गांवों में रहने वाले लोगों और समूहों को यह बताएगी कि आखिरकार मौजूदा केंद्र सरकार किस तरह से आम आदमी और विपक्षी पार्टियों को दबा रही है.
रोना धोना बंद करे कांग्रेस, हमारा कोई हाथ नहीं -बीजेपी: कांग्रेस भले ही राहुल गांधी पर हो रहे चौतरफा हमले को लेकर कुछ भी प्लान बनाए, लेकिन बीजेपी इस मामले को लेकर अभी भी सधी हुई भाषा में जवाब दे रही है. बीजेपी के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान कहते हैं कि दरअसल कांग्रेस के पास कोई मुद्दा ही नहीं है. ना तो दिल्ली में बैठी कांग्रेस के पास और ना ही राज्य में बैठी कांग्रेस के पास कोई भी ऐसा मुद्दा है कि वह सरकार के ऊपर हमलावर हो सके. ऐसे में कुछ लोगों के साथ मिलकर कांग्रेस राहुल गांधी के बहाने इस तरह की बयानबाजी और हरकतें कर रही है. मनवीर सिंह कहते हैं कि राहुल गांधी के साथ जो कुछ भी हुआ है, वह संविधान के तहत हुआ है. इसमें बीजेपी का कोई लेना देना नहीं है. जो कुछ भी हुआ, वह कोर्ट के माध्यम से हुआ. लोकसभा सचिवालय ने उस पर एक्शन लिया है. ऐसे में राज्य के नेता भले ही कुछ भी कहते रहें, लेकिन जनता सब कुछ जानती है.
ये कांग्रेस के लिए ग़लतफहमी होगी -जानकार: इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार भागीरथ शर्मा कहते हैं कि मामला क्योंकि कोर्ट और कोर्ट के फैसले से जुड़ा हुआ है. इसलिए इस बारे में अधिक कहना कुछ भी सही नहीं होगा. लेकिन इतना जरूर है कि राहुल गांधी के बहाने तमाम विपक्षी पार्टियां पहली बार ऐसा लगा कि एकजुट हो रही हैं. क्योंकि उन्हें लगता है कि आज राहुल गांधी के साथ ऐसा हो रहा है तो कल किसी और के साथ भी हो सकता है. रही बात राज्य में कांग्रेस को इस पूरे मामले से संजीवनी की तो ऐसा लगता नहीं है. क्योंकि समय सब चीज की भरपाई कर देता है. सही बात तो यही है कि अभी भी कांग्रेस इस पूरे मामले को ठीक से नहीं भुना पा रही है. इतने बड़े नेता की सदस्यता खत्म हो जाती है और बात टीवी चैनलों और अखबारों तक ही सीमित है.
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कांग्रेस को बदलनी होगी रणनीति: भागीरथ शर्मा का कहना है कि कांग्रेस को अपनी रणनीति बदलनी होगी. चाहे वह केंद्र स्तर पर हो या फिर राज्य स्तर पर. आए दिन कांग्रेस के तमाम नेता अलग-थलग दिखाई देते हैं. कांग्रेस की नैया तब भी डूबी थी जब राहुल फुल फ्लैश राजनीति कर रहे थे. अब तो उनकी लोकसभा सदस्यता भी चली गई है, इससे कांग्रेस कितना फायदा उठा पाएगी कहना मुश्किल है.