देहरादून: एक तरफ मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने दिल्ली दौरे पर कई केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की थी. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के नेता भी दिल्ली में अपने राष्ट्रीय संगठन के लोगों से मुलाकात कर विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं.
उत्तराखंड कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की. इस दौरान विधानसभा चुनाव सहित उत्तराखंड के तमाम मुद्दों के साथ-साथ वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर बैठक कर चर्चा हुई. दरअसल, उत्तराखंड में सत्ता वापसी की चाह कहिए या सियासी जमीन पाने के लिए करो या मरो की हालत, कांग्रेस पूरी ताकत से आगे का रास्ता तय करने जा रही है.
कांग्रेस में अंतर्कलह के पूरे नाटकीय तत्व मौजूद हैं और इनके अलग-अलग अंदाज आगे दिखने तय हैं. बावजूद इसके मिशन 2022 को लेकर दिग्गज नेताओं के बीच अंदरखाने सुलह, समझ और समाधान की अंतर्धारा ने अपना काम शुरू कर दिया है. आने वाले दिनों में सूबे की सियासत में बड़े उलटफेर के इरादे से रणनीति को अंजाम देने की तैयारी है.
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केंद्रीय नेताओं को दी कुंभ फर्जीवाड़े की जानकारी
प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कुंभ कोरोना जांच घोटाले की जानकारी केंद्रीय नेताओं को दी. धस्माना ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने 25 जून को हरिद्वार में गंगा तट पर पीसीसी अध्यक्ष प्रीतम सिंह के नेतृत्व में होने वाले उपवास कार्यक्रम से भी अवगत करवाया.
हरीश रावत सब पर भारी
उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह भले ही कह रहे हों कि चुनाव सामूहिक नेतृत्व में होगा, लेकिन मंत्रीप्रसाद नैथानी, विधायक हरीश धामी जैसे अधिकतर विधायक और कांग्रेसी खुलकर कह रहे हैं कि 2022 के चुनाव में हरीश रावत पार्टी का चेहरा होंगे तो जीत की गारंटी होगी. इससे पहले, राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा और पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल भी हरीश रावत की वकालत कर चुके हैं.
उत्तराखंड कांग्रेस के अंदर अक्सर मतभेद होते रहते हैं. यह भी कहा जा रहा है कि कहीं न कहीं देवेंद्र यादव को जो जिम्मेदारी उत्तराखंड में मिली, उसमें राष्ट्रीय महासचिव के तौर पर हरीश रावत की अहम भूमिका रही है.