देहरादून: उत्तराखंड की राजनीति से जुड़ा बड़ा मिथक 26 जुलाई को टूट गया है. आखिरकार प्रदेश के 11वें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीएम आवास में गृह प्रवेश कर लिया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित शिव मंदिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख समृद्धि की कामना की. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री आवास स्थित गौशाला में गौ-सेवा भी की. मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश के अवसर पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने मुख्यमंत्री से भेंट कर शुभकामनाएं भी दीं.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार 26 जुलाई को न्यू कैंट रोड स्थित मुख्यमंत्री आवास में विधिवत पूजा-अर्चना के बाद गृह प्रवेश किया. मुख्यमंत्री आवास से जुड़े मिथक और गृह प्रवेश पर सीएम धामी ने कहा कि मैं हमेशा कर्म में विश्वास रखता हूं और वर्तमान में जीता हूं. भविष्य में क्या होगा उसकी चिंता क्यों की जाए. इतने संसाधन उसमें लगे हैं तो राज्य का जो भी मुखिया हो, उसे वहीं रहना चाहिए. बता दें कि उत्तराखंड में सीएम आवास को लेकर कई मिथक रहे हैं. धारणा यह है कि जो भी मुख्यमंत्री यहां रहा वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया.
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बेहद शानदार है सरकारी आवास: देहरादून राजधानी में मुख्यमंत्री का आवास बेहद शानदार क्षेत्र में बना हुआ है. घर के दो बड़े दरवाजे हैं, जिन्हें पहाड़ी शैली से बनाया गया है. मुख्य दरवाजे के अंदर दाखिल होते ही बड़ा सा बगीचा है. बगीचे में तरह-तरह के महंगे पेड़ पौधे और पाम के पेड़ लगे हुए हैं.
पहाड़ी शैली से मुख्य दरवाजे के बाद मुख्य बिल्डिंग बनी हुई है. महंगी लकड़ियों से खिड़की और दरवाजे बनाए गए हैं. अंदर दाखिल होते हुए राजस्थानी पत्थरों से किए गए काम नजर आते हैं. मुख्यमंत्री के दफ्तर को बेहद शानदार तरीके से बनाया गया है. दफ्तर के अलावा मुख्यमंत्री के घर में भी दो बड़े-बड़े ऑफिस हैं, जहां पर बैठकर मुख्यमंत्री अपने काम देखते हैं. पब्लिक के लिए एक बड़ा हॉल है, जहां पर सोफे और कुर्सियां रखी हुई हैं. घर के बैक साइड में ही मुख्यमंत्री का दफ्तर है.
एनडी तिवारी के कार्यकाल में बना था आवास: गढ़ी कैंट में राजभवन के बराबर में बने मुख्यमंत्री आवास का निर्माण कार्य तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी की सरकार में हुआ था. हालांकि, जबतक मुख्यमंत्री आवास का निर्माण कार्य पूरा होता उसके पहले ही उनका पांच साल का कार्यकाल पूरा हो गया. इसके बाद 2007 में बीजेपी की सरकार बनी और प्रदेश की कमान मुख्यमंत्री के तौर पर बीसी खंडूड़ी को मिली. खंडूड़ी ने अधूरे बंगले को दिलो जान से तैयार करवाया. मुख्यमंत्री के तौर पर खंडूड़ी ने ही इस बंगले का उद्घाटन किया. लेकिन वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए और ढाई साल बाद ही उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी. उसके बाद तो जैसे मुख्यमंत्रियों का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाने का सिलसिला ही चल पड़ा.
ऐसे उड़ी अफवाहें: पूर्व सीएम निशंक और बाद में विजय बहुगुणा को उनका कार्यकाल पूरा होने से पहले हटा दिया गया था. जिसके बाद इस आवास के अपशकुनी होने की चर्चाएं होने लगीं. पूर्व सीएम हरीश रावत भी इसी वजह से सरकारी आवास में शिफ्ट नहीं हुए और स्टेट गेस्ट हाउस में रहना पसंद किया. साल 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बंगले में शिफ्ट हुए और बाद में उन्हें भी सीएम पद से हटा दिया गया. दिलचस्प बात यह है कि पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत यहां नहीं रहे पर सीएम पद उन्हें तब भी छोड़ना पड़ा.
बता दें कि, मुख्यमंत्री रहते हुए बीसी खंडूड़ी, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा या फिर त्रिवेंद्र सिंह रावत जो भी इस आवास में रहा है किसी का कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है. इसके बावजूद एक बार फिर से सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस मिथक को चुनौती दी है और मुख्यमंत्री आवास में रहने का निर्णय लिया है.