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उत्तराखंड में इगास पर्व पर रहेगा राजकीय अवकाश, CM पुष्कर सिंह धामी ने किया ऐलान

प्रदेश में बूढ़ी दीवाली यानी इगास पर्व पर राजकीय अवकाश रहेगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर लोक पर्व इगास पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की.

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Published : Oct 25, 2022, 3:00 PM IST

Updated : Oct 25, 2022, 3:28 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में बूढ़ी दीवाली यानी इगास पर्व पर राजकीय अवकाश रहेगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर लोक पर्व इगास पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की. उत्तराखंड में दीपावली के 11 दिन बाद लोक पर्व इगास मनाया जाता है. वहीं, यह दूसरा मौका होगा जब उत्तराखंड में लोकपर्व इगास को लेकर अवकाश घोषित किया गया हो. इससे पहले पिछले साल भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इगास बग्वाल पर राजकीय अवकाश की घोषणा की थी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इगास बग्वाल उत्तराखंड वासियों के लिए एक विशेष स्थान रखती है. यह हमारी लोक संस्कृति का प्रतीक है. हम सब का प्रयास होना चाहिए कि अपनी सांस्कृतिक विरासत और परंपरा को जीवित रखें. नई पीढ़ी हमारी लोक संस्कृति और पारम्परिक त्योहारों से जुड़ी रहे, ये हमारा उद्देश्य है.

  • आवा! हम सब्बि मिलके इगास मनोला
    नई पीढ़ी ते अपणी लोक संस्कृति से जुड़ोला

    लोकपर्व 'इगास' हमारु लोक संस्कृति कु प्रतीक च। ये पर्व तें और खास बनोण का वास्ता ये दिन हमारा राज्य मा छुट्टी रालि, ताकि हम सब्बि ये त्योहार तै अपणा कुटुंब, गौं मा धूमधाम सै मने सको।

    — Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) October 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पढ़ें- गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर सूर्यग्रहण का प्रभाव, जानिए कब व कैसे होगी पूजा

ट्वीट द्वारा यह जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ''आवा! हम सब्बि मिलके इगास मनोला नई पीढ़ी ते अपणी लोक संस्कृति से जुड़ोला. लोकपर्व 'इगास' हमारु लोक संस्कृति कु प्रतीक च. ये पर्व तें और खास बनोण का वास्ता ये दिन हमारा राज्य मा छुट्टी रालि, ताकि हम सब्बि ये त्योहार तै अपणा कुटुंब, गौं मा धूमधाम से मने सको. हमारि नई पीढ़ी भी हमारा पारंपरिक त्योहारों से जुणि रौ, यु हमारु उद्देश्य च."

क्या है इगास पर्व: उत्तराखंड में बग्वाल, इगास मनाने की परंपरा है. दीपावली को यहां बग्वाल कहा जाता है, जबकि बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहते हैं. पहाड़ की लोकसंस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. साथ ही गाय व बैलों की पूजा की जाती है. शाम के वक्त गांव के किसी खाली खेत अथवा खलिहान में नृत्य के साथ भैलो खेला जाता है. भैलो एक प्रकार की मशाल होती है, जिसे नृत्य के दौरान घुमाया जाता है.

देहरादून: उत्तराखंड में बूढ़ी दीवाली यानी इगास पर्व पर राजकीय अवकाश रहेगा. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट कर लोक पर्व इगास पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की. उत्तराखंड में दीपावली के 11 दिन बाद लोक पर्व इगास मनाया जाता है. वहीं, यह दूसरा मौका होगा जब उत्तराखंड में लोकपर्व इगास को लेकर अवकाश घोषित किया गया हो. इससे पहले पिछले साल भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इगास बग्वाल पर राजकीय अवकाश की घोषणा की थी.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इगास बग्वाल उत्तराखंड वासियों के लिए एक विशेष स्थान रखती है. यह हमारी लोक संस्कृति का प्रतीक है. हम सब का प्रयास होना चाहिए कि अपनी सांस्कृतिक विरासत और परंपरा को जीवित रखें. नई पीढ़ी हमारी लोक संस्कृति और पारम्परिक त्योहारों से जुड़ी रहे, ये हमारा उद्देश्य है.

  • आवा! हम सब्बि मिलके इगास मनोला
    नई पीढ़ी ते अपणी लोक संस्कृति से जुड़ोला

    लोकपर्व 'इगास' हमारु लोक संस्कृति कु प्रतीक च। ये पर्व तें और खास बनोण का वास्ता ये दिन हमारा राज्य मा छुट्टी रालि, ताकि हम सब्बि ये त्योहार तै अपणा कुटुंब, गौं मा धूमधाम सै मने सको।

    — Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) October 25, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पढ़ें- गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर सूर्यग्रहण का प्रभाव, जानिए कब व कैसे होगी पूजा

ट्वीट द्वारा यह जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ''आवा! हम सब्बि मिलके इगास मनोला नई पीढ़ी ते अपणी लोक संस्कृति से जुड़ोला. लोकपर्व 'इगास' हमारु लोक संस्कृति कु प्रतीक च. ये पर्व तें और खास बनोण का वास्ता ये दिन हमारा राज्य मा छुट्टी रालि, ताकि हम सब्बि ये त्योहार तै अपणा कुटुंब, गौं मा धूमधाम से मने सको. हमारि नई पीढ़ी भी हमारा पारंपरिक त्योहारों से जुणि रौ, यु हमारु उद्देश्य च."

क्या है इगास पर्व: उत्तराखंड में बग्वाल, इगास मनाने की परंपरा है. दीपावली को यहां बग्वाल कहा जाता है, जबकि बग्वाल के 11 दिन बाद एक और दीपावली मनाई जाती है, जिसे इगास कहते हैं. पहाड़ की लोकसंस्कृति से जुड़े इगास पर्व के दिन घरों की साफ-सफाई के बाद मीठे पकवान बनाए जाते हैं और देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. साथ ही गाय व बैलों की पूजा की जाती है. शाम के वक्त गांव के किसी खाली खेत अथवा खलिहान में नृत्य के साथ भैलो खेला जाता है. भैलो एक प्रकार की मशाल होती है, जिसे नृत्य के दौरान घुमाया जाता है.

Last Updated : Oct 25, 2022, 3:28 PM IST
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