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लाइब्रेरी घोटाले में HC के नोटिस पर बोले मदन कौशिक- मामले में कुछ नया नहीं है

हरिद्वार लाइब्रेरी घोटाले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि इस विषय में अब कुछ भी नया नहीं है.

मदन कौशिक की सफाई
मदन कौशिक की सफाई
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Published : Jun 23, 2021, 6:50 PM IST

Updated : Jun 23, 2021, 7:11 PM IST

देहरादून: 2010 में हरिद्वार में हुए चर्चित लाइब्रेरी घोटाले में आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने मदन कौशिक सहित कई अधिकारियों को नोटिस भेजा है. साथ ही सभी लोगों से एक सप्ताह में जवाब मांगा है. वहीं, मदन कौशिक ने इस मामले अपनी सफाई दी है.

2010 में भाजपा सरकार में बतौर मंत्री मदन कौशिक ने हरिद्वार में तकरीबन डेढ़ करोड़ की लागत से 1 दर्जन से अधिक पुस्तकालय बनाने के लिए बजट जारी किया था. लेकिन पुस्तकालय ना बनने के चलते यह घोटाला सामने आया था. जिस पर 2014 में आरटीआई कार्यकर्ता सच्चिदानंद ने कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी. वहीं, एक बार फिर लाइब्रेरी घोटाले में बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने एक सप्ताह के अंदर इससे जुड़े सभी लोगों को जवाब देने को कहा है.

ये भी पढ़ें: हरिद्वार पुस्तकालय घोटाले में HC ने सरकार और मदन कौशिक समेत कईयों को भेजा नोटिस

वहीं, मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि इस विषय में अब कुछ भी नया नहीं है. वर्ष 2014 में भी इसको लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल दर्ज की गई थी, जिसमें कोर्ट ने पाया था कि जिस कार्य के लिए बजट आवंटित किया गया है, उसकी जगह पर कुछ अन्य उपयोग किए जा रहे हैं. जिसको हाईकोर्ट ने सीज करके नगर निगम हरिद्वार के हवाले कर दिया था. अब इस भूमि पर नगर निगम अपनी जरूरत के अनुरूप उपयोग कर रहा है. वहीं, इस मामले को एक बार फिर से कोर्ट में ले जाया गया है, जिसमें नया कुछ नहीं है.

मदन कौशिक की सफाई

ये भी पढ़ें: हरिद्वार पुस्तकालय घोटाले में HC ने सरकार और मदन कौशिक समेत कईयों को भेजा नोटिस

याचिकाकर्ता का आरोप

याचिकाकर्ता सचिन डबराल के अनुसार पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेज को दिया गया. विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण के बाद ही फाइनल पेमेंट होती है. ऐसे में विभाग के अधिशासी अभियंता के द्वारा बिना पुस्तकालय निर्माण के ही अपनी फाइनल रिपोर्ट लगा दी. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है.

याचिकाकर्ता सचिन डबराल का कहना है कि जनता का पैसा जनता के लिए खर्च होना चाहिए. पुस्तकालय का निर्माण ऐसे लोगों के लिए होना चाहिए था जो लोग पुस्तकालय में जाकर पठन-पाठन का कार्य कर सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

दूसरी बार विवादों में पुस्तकालय

हरिद्वार में 2010 में शहर विधायक मदन कौशिक की विधायक निधि से 16 पुस्तकालयों का निर्माण कराने के लिए पैसा आवंटित किया गया था. इनके निर्माण को लेकर उस समय भी विवाद हुआ था. घोटाले के आरोप भी लगे थे. जिसकी क्षतिपूर्ति जिला अधिकारी और अन्य अधिकारियों के वेतन से की गई थी. पुस्तकालय निर्माण का यह मामला एक बार सुर्खियों में है. याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल ने उक्त घोटाले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल में अपील की है.

देहरादून: 2010 में हरिद्वार में हुए चर्चित लाइब्रेरी घोटाले में आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने मदन कौशिक सहित कई अधिकारियों को नोटिस भेजा है. साथ ही सभी लोगों से एक सप्ताह में जवाब मांगा है. वहीं, मदन कौशिक ने इस मामले अपनी सफाई दी है.

2010 में भाजपा सरकार में बतौर मंत्री मदन कौशिक ने हरिद्वार में तकरीबन डेढ़ करोड़ की लागत से 1 दर्जन से अधिक पुस्तकालय बनाने के लिए बजट जारी किया था. लेकिन पुस्तकालय ना बनने के चलते यह घोटाला सामने आया था. जिस पर 2014 में आरटीआई कार्यकर्ता सच्चिदानंद ने कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी. वहीं, एक बार फिर लाइब्रेरी घोटाले में बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने एक सप्ताह के अंदर इससे जुड़े सभी लोगों को जवाब देने को कहा है.

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वहीं, मामले में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि इस विषय में अब कुछ भी नया नहीं है. वर्ष 2014 में भी इसको लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल दर्ज की गई थी, जिसमें कोर्ट ने पाया था कि जिस कार्य के लिए बजट आवंटित किया गया है, उसकी जगह पर कुछ अन्य उपयोग किए जा रहे हैं. जिसको हाईकोर्ट ने सीज करके नगर निगम हरिद्वार के हवाले कर दिया था. अब इस भूमि पर नगर निगम अपनी जरूरत के अनुरूप उपयोग कर रहा है. वहीं, इस मामले को एक बार फिर से कोर्ट में ले जाया गया है, जिसमें नया कुछ नहीं है.

मदन कौशिक की सफाई

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याचिकाकर्ता का आरोप

याचिकाकर्ता सचिन डबराल के अनुसार पुस्तकालय निर्माण का जिम्मा ग्रामीण अभियंत्रण सर्विसेज को दिया गया. विभाग के अधिशासी अभियंता के फाइनल निरीक्षण के बाद ही फाइनल पेमेंट होती है. ऐसे में विभाग के अधिशासी अभियंता के द्वारा बिना पुस्तकालय निर्माण के ही अपनी फाइनल रिपोर्ट लगा दी. जिससे स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की मिलीभगत से बड़ा घोटाला हुआ है.

याचिकाकर्ता सचिन डबराल का कहना है कि जनता का पैसा जनता के लिए खर्च होना चाहिए. पुस्तकालय का निर्माण ऐसे लोगों के लिए होना चाहिए था जो लोग पुस्तकालय में जाकर पठन-पाठन का कार्य कर सकते हैं. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

दूसरी बार विवादों में पुस्तकालय

हरिद्वार में 2010 में शहर विधायक मदन कौशिक की विधायक निधि से 16 पुस्तकालयों का निर्माण कराने के लिए पैसा आवंटित किया गया था. इनके निर्माण को लेकर उस समय भी विवाद हुआ था. घोटाले के आरोप भी लगे थे. जिसकी क्षतिपूर्ति जिला अधिकारी और अन्य अधिकारियों के वेतन से की गई थी. पुस्तकालय निर्माण का यह मामला एक बार सुर्खियों में है. याचिकाकर्ता सच्चिदानंद डबराल ने उक्त घोटाले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल में अपील की है.

Last Updated : Jun 23, 2021, 7:11 PM IST
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