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CM धामी ने घर-घर जाकर मांगा वोट, प्रियंका गांधी लॉन्च करेंगी मेनिफेस्टो, जानें दिनभर की चुनावी हलचल

उत्तराखंड में इन दिनों चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है. सभी दलों के कई प्रत्याशी नामांकन के बाद चुनावी प्रचार प्रसार मेें जुट गए हैं. वहीं चुनाव नजदीक आते ही बीजेपी, कांग्रेस और आप के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से जुड़ी दिनभर की खबरों पर एक नजर...

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सीएम धामी ने घर-घर जाकर मांगा वोट
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Published : Jan 30, 2022, 9:59 PM IST

देहरादून: रविवार 30 जनवरी 2022...धीरे-धीरे 14 फरवरी का वो दिन करीब आ रहा है, जब पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की जनता अपने मनपसंद उम्मीदवार के नाम पर वोट डालेगी. जैसे-जैसे वो दिन करीब आ रहा है, प्रत्याशियों की धड़कन भी तेज हो रही है और उसी के साथ तेज हो रहे हैं, उनके प्रचार-प्रसार के तरीके. अभी तक केवल बीजेपी और आम आदमी पार्टी ही ऐसी रही हैं, जिन्होंने अपने वरिष्ठ नेताओं को या कहें अपने स्टार कैंपेनर्स को उत्तराखंड में उतारा है.

कांग्रेस स्टार प्रचारक उत्तराखंड से दूर: कांग्रेस की ओर से भी कई वरिष्ठ नेता उत्तराखंड आए हैं, लेकिन इन दोनों पार्टियों की तुलना में वो कम ही हैं. केवल हरीश रावत ही एक ऐसा चेहरा नजर आते हैं जिससे उत्तराखंड की जनता कनेक्ट कर पाती है. अभी तक उन्होंने ही असल मायने में कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान की कमान संभाली हुई है.

प्रियंका गांधी वर्चुअली उत्तराखंड की जनता से जुडेंगी: अब कांग्रेस के दिग्गज उत्तराखंड पहुंचने वाले हैं. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी आखिरकार 2 फरवरी को उत्तराखंड की जनता से वर्चुअल तौर पर जुड़ेंगी. प्रियंका का यह दौरा पहले जनवरी के पहले हफ्ते में ही प्रस्तावित था, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए उनका दौरा रद्द करना पड़ा था. हालांकि अब भी वो डिजिटल तौर पर ही उत्तराखंड की जनता से जुड़ेंगी, लेकिन कांग्रेस प्रियंका गांधी के नाम से ही काफी उत्साहित है. सभी 70 विधानसभाओं में प्रियंका की इस रैली को पहुंचाया जाएगा और कांग्रेस इसकी तैयारियों में भी जुट गई है.

कांग्रेस जारी करेगी प्रतिज्ञा पत्र: वहीं, आगामी 2 फरवरी को कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी देहरादून के कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में प्रतिज्ञा पत्र जारी करेंगी. कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि 70 विधानसभाओं में कोरोना प्रोटोकॉल की बाध्यता को ध्यान में रखते हुए प्रतिज्ञा पत्र को डिजिटल माध्यम से लॉन्च किया जाएगा.

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उत्तराखंड में क्या होगा प्रियंका का रुख: हालांकि, इससे पहले केवल राहुल गांधी की बीते 16 दिसंबर 2021 को देहरादून में एक रैली हुई थी, इसके बाद से कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा यहां दिखाई नहीं दिया है. वहीं, प्रियंका गांधी आखिरकार उत्तराखंड की जनता को संबोधित कर तो रही हैं. लेकिन यह सवाल यहां बरकरार है कि जो वादा प्रियंका ने उत्तर प्रदेश की जनता से किया था. यानी 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का, वो उत्तराखंड में पूरा नहीं हो सका है. इस बार कांग्रेस ने कुल 5 महिलाओं को टिकट दिए हैं. देखते हैं अपनी रैली में प्रियंका का इसको लेकर क्या रुख रहने वाला है.

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बीजेपी ने जारी किया थीम सॉन्ग: तो जहां कांग्रेस अपनी राष्ट्रीय महासचिव और स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी को मैदान में उतार रही है तो बीजेपी पहले से ही स्टार प्रचारकों के मामले में आगे है. इसी कड़ी में आज बीजेपी के दो स्टार प्रटारक- बीजेपी के राज्यसभा सांसद व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी और बीजेपी चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी पार्टी का थीम सॉन्ग लॉन्च करने देहरादून पहुंचे थे. दोनों ने एक साथ मिलकर कांग्रेस को खूब खरी-खोटी सुनाई.

प्रह्लाद जोशी नहीं दे पाए जवाब: उनका कहना है कि कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो ऑल इंडिया कन्फ्यूज्ड है. हरीश रावत पर भी उन्होंने तंज कसा और कहा कि पार्टी की तरह वो भी कंफ्यूज नेता है. इसी बीच जब प्रह्लाद जोशी से पूछा गया कि भैया आप आए तो हैं दिल्ली से बीजेपी का प्रचार करने. लेकिन आपकी सरकार के 5 सालों में किए गए कामों का सारा ब्यौरा तो दे दें, तो प्रह्लाद जोशी असहज हो गए. उन्होंने केवल इतना जवाब दिया कि यहां उनका एग्जाम नहीं हो रहा है और वो बीजेपी सरकार की एक भी उपलब्धि नहीं गिनवा पाए और कन्नी काटते हुए नजर आए. वो केवल केंद्र की उपलब्धियों का ही बखान करते रहे.

कांग्रेस ने प्रह्लाद जोशी पर ली चुटकी: अब ऐसी बात थी तो कांग्रेस कहां चुप रहने वाली थी. कांग्रेस ने प्रह्लाद जोशी के जवाब पर खूब चुटकी ली. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी को खुद नहीं पता उसने 5 सालों में आखिर काम क्या किया है, तो उनके पास कहने को कुछ है ही नहीं. वो केवल केंद्र सरकार की योजनाओं पर चल रही है और इस बार भी मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है.

बीजेपी शुरू करेगी मेगा चुनावी कैंपेन: फिलहाल बीजेपी थीम सॉन्ग लॉन्चिंग मामले में तो कांग्रेस से पिछड़ी ही नजर आई. कांग्रेस इस मामले में आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों को ही पीछे छोड़ चुकी है. कांग्रेस ने बीते दिनों ही खूब जोर शोर से अपना थीम सॉन्ग लांच किया था- चार धाम चार काम. हालांकि, बीजेपी एक फरवरी से जरूर उत्तराखंड में मेगा चुनावी कैंपेन शुरू करने जा रही है.

इस मेगा कैंपन को 70 विधानसभाओं में चलाया जाएगा और बीजेपी जनता से जुड़ने के साथ ही मतदाताओं को अपने पक्ष में वोट करने को कहेगी. सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में 10 से 15 स्थानों पर एलईडी टीवी लगाए जाएंगे. ताकि लोग नेताओं का संबोधन सुन सकें. बीजेपी के बड़े नेताओं में केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पीएम मोदी भी शामिल होंगे. बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी उत्तराखंड के दौरे पर आएंगे.

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सीएम धामी ने किया डोर टू डोर प्रचार: यह तो रही राष्ट्रीय लेवल के नेताओं की बात. वहीं, राज्य में भी पार्टियों का चुनाव प्रचार लगातार जारी रहा. बीजेपी की कमान संभाले हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज अल्मोड़ा पहुंचे और यहां जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने हाथ जोड़कर डोर टू डोर जनता से बीजेपी प्रत्याशी मोहन सिंह मेहरा के पक्ष में वोट मांगे. अब सीएम कहीं पहुंचे और उनसे कांग्रेस को लेकर सवाल ना हो ये कैसे हो सकता था.

तो भई मीडिया ने सीएम से हरीश रावत के उस तंज को लेकर सवाल पूछ लिया जिसमें हरीश रावत ने ये कहा था कि पहले वो धामी जैसे चार को बूढ़ा बनाएंगे उसके बाद ही खुद बूढ़ा बनेंगे. इस तंज पर हंसते हुए सीएम धामी ने जवाब दिया कि हरीश रावत को कोई सीरियसली नहीं लेता, वो बूढ़े हो चुके हैं और उनको तो उनकी पार्टी ही सीरियसली नहीं लेती तो, इसलिए वो उनकी बात का बुरा नहीं मानते. उनकी तो कांग्रेस में ये हालत है कि कभी पार्टी उन्हें रामनगर भेजती है तो कभी लालकुआं और इससे पता चलता है कि उनको वहां भी कोई नहीं पूछता तो इसलिए वो क्या कह रहे हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

बगावती नेता बने गले की फांस: मुख्यमंत्री धामी कुछ भी कहें, कितने भी कॉन्फिडेंस के साथ बीजेपी के प्रचंड बहुमत के जीत की भविष्यवाणी करें, लेकिन सच्चाई तो यह है बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए ही बगावती नेता गले की फांस बने हुए हैं. दरअसल, कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही अपने कई नेता-विधायकों के टिकट काट दिए हैं, जिसमें विधायक रुद्रपुर से प्रसिद्ध विधायक राजकुमार ठुकराल का नाम भी शामिल है.

अब ठुकराल ने पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान तो कर दिया लेकिन उनके दिल में भाजपा की बेरुखी की टीस बार-बार उठ रही है और ये टीस इतनी गहरी हो गई है कि वो रह-रहकर उनकी आंखों से आंसू बनकर झलक रही है. आज रुद्रपुर में अपने चुनाव कार्यालय के शुभारंभ के मौके पर ठुकराल ने साफ कहा कि वो निर्दलीय चुनाव ही लड़ेंगे. क्योंकि वो अपने समर्थकों और रुद्रपुर की जनता को धोखा नहीं दे सकते.

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दो भागों में बटी कांग्रेस: यह तो रही रुद्रपुर की बात लेकिन बाबा रुद्रनाथ की नगरी रुद्रप्रयाग में भी बगावती नेता बीजेपी-कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी ने यहां बगावती तेवरों से कांग्रेस प्रत्याशी की चिंता बढ़ा दी है. हो ये रहा है कि कांग्रेस का एक धड़ा कंडारी के लिए काम कर रहा है. कांग्रेस सीधे-सीधे दो भागों में बंटती नजर आ रही है और अगर ऐसा हुआ तो ये नेता वोट काटने वाले नेता बन जाएंगे और इसका फायदा बीजेपी को होगा.

कोटद्वार सीट पर बढ़ी बीजेपी की टेंशन: कोटद्वार सीट भी कुछ अलग नहीं है. यहां बीजेपी प्रत्याशी ऋतु खंडूड़ी के लिए पार्टी से बागी हुए निर्दलीय प्रत्याशी धीरेंद्र चौहान मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. हालांकि, बीजेपी इन सभी नेताओं के साथ बात करके डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर रही है लेकिन नामांकन का आखिरी दिन कल (31 जनवरी) है और ऐसे में बीजेपी जोर शोर से अपने रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटी है. पौड़ी जिले की 3 विधानसभा सीटों- लैंसडाउन, यमकेश्वर और कोटद्वार में बीजेपी से खफा हुए कार्यकर्ताओं से पार्टी को कोई नुकसान न पहुंचे इसके लिए पूर्व राज्य मंत्री और बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट को रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने की जिम्मेदारी दी गई है.

प्रत्याशियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज: अब इन चुनाव प्रचार से इतर थोड़ी बात कर लेते हैं. चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुसार नामांकन करते वक्त अपने हलफनामे में प्रत्याशियों को उनके खिलाफ कितने आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, उसका भी पूरा ब्यौरा देना होता है. यहां आपको बताते हैं कि उत्तराखंड चुनाव में मैदान में उतरने वाले अधिकतर प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. अगर बार केवल देहरादून की करें तो यहां की 10 विधानसभा सीटों पर चकराता से कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह पर दो मुकदमे दर्ज हैं.

चकराता से ही निर्दलीय उम्मीदवार गणेश दत्त जोशी के ऊपर भी एक मुकदमा दर्ज है. विकासनगर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी संदीप दुबे पर 5 मुकदमे दर्ज हैं तो इसी सीट से समाजवादी पार्टी प्रत्याशी रघुवीर मेहता के खिलाफ भी एक मुकदमा दर्ज है. सहसपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी अकील अहमद के खिलाफ सात मुकदमे दर्ज है. अकील अहमद आपराधिक पृष्ठभूमि के होने के चलते पुलिस रिकॉर्ड में हिस्ट्रीशीटर भी हैं.

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जावेद खान के खिलाफ दो मुकदमा: धर्मपुर क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी जावेद खान के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज हैं. रायपुर विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ देहरादून कोतवाली में गंभीर किस्म के अपराधों में मुकदमा दर्ज है, इसमें धोखाधड़ी जान से मारने की धमकी और कई गंभीर आरोप शामिल हैं. कैंट विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सूर्यकांत धस्माना पर 1994 में थाना डालनवाला में वार्ड नंबर 129 और साल 1998 में गंभीर किस्म की धाराओं में मुकदमा दर्ज है, ये धाराएं गैर इरादतन हत्या जैसे गंभीर मामलों की है.

मसूरी विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी मनीष गुनियाल पर भी थाना डालनवाला में कई धाराओं और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है जो कोर्ट में विचाराधीन है. डोईवाला विधानसभा सीट से यूकेडी के प्रत्याशी शिव प्रसाद के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हैं.

हरदा और मोहन विष्ट की संपत्ति का ब्यौरा: हलफनामे की बात हो ही रही है तो कल हमने आपको बताया था कि हरीश रावत के हलफनामे से कितनी अनोखी बातें निकलकर सामने आई थीं और आज लालकुआं विधानसभा सीट से ही हरीश रावत के सामने खड़े बीजेपी प्रत्याशी मोहन बिष्ट की संपत्ति के मामले को लेकर हम आपको रोचक बातें बताएंगे. मोहन सिंह बिष्ट किसी भी मामले में हरीश रावत से कम नहीं है.

उनके पास चल संपत्ति ₹50,40,114 है. उनकी पत्नी चंद्रिका बिष्ट के पास एक करोड़ 36 लाख से ज्यादा रुपए की संपत्ति है. अचल संपत्ति के तौर पर जमीन, खेत, मकान, प्लॉट आदि के नाम पर उनके पास 83 लाख से ज्यादा रुपए हैं और पत्नी के नाम 65 लाख. मोहन सिंह बिष्ट के नाम पर एक निसान कार है जिसकी कीमत 9 लाख से ज्यादा की है, एक इनोवा कार भी है जिसे कीमत 3 लाख 50 हजार है. पत्नी के नाम पर एक ट्रक है, जिसकी कीमत 5 लाख रुपये है.

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यहां थोड़ा आपको हरीश रावत की संपत्ति के बारे में भी याद दिला देते हैं. हरीश रावत ने हलफनामा जमा कराने के दौरान बताया था कि उनके पास चल संपत्ति के तौर पर 43,72,822 रुपए हैं, उनकी पत्नी के पास तीन करोड़ 90 लाख से ज्यादा की संपत्ति है. 36 लाख से ज्यादा की हरीश रावत के पास अचल संपत्ति है जबकि पत्नी के पास अचल संपत्तियां दो करोड़ 99 लाख से ज्यादा हैं. हरीश रावत के पास कोई वाहन नहीं है लेकिन उनकी पत्नी के पास एक मर्सिडीज कार और एक टोयोटा फॉर्च्यूनर कार है.

चुनाव के अनोखे रंग: चुनाव में अनोखे रंग देखने को मिल रहे हैं. उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए तो बकायदा लोक गायिका माया उपाध्याय जनता के बीच जा-जाकर गीतों के जरिए हरीश रावत के लिए वोट मांग रही हैं तो बीजेपी भी जाने-माने चेहरों को अपने लिए प्रचार करवा रही है, इस बीच चुनावी माहौल में कंप्यूटर बाबा की एंट्री हो गई है. कांग्रेस ने प्रदेश में इन कंप्यूटर बाबा को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है. इसी कड़ी में यह कंप्यूटर बाबा आज श्रीनगर गढ़वाल पहुंचे थे. ये वो क्षेत्र है जहां से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल चुनावी मैदान में हैं और उनके सामने वर्तमान कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत खड़े हैं.

गोदियाल के लिए कंप्यूटर बाबा मांगेगे वोट: ये कंप्यूटर बाबा श्रीनगर में गणेश गोदियाल के लिए घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं. उनका कहना है कि प्रदेश में आएगी तो कांग्रेसी ही, क्योंकि भाजपा की भ्रष्ट सरकार से जनता त्रस्त हो चुकी है. उनका कहना है कि भाजपा सरकार ने साधुओं के साथ अत्याचार किया है, हरिद्वार में कुंभ समाप्त होने के बाद उनके आश्रमों को तोड़ा गया. कंप्यूटर बाबा का असली नाम नामदेव दास त्यागी है. इनका दिमाग काफी तेज होने की वजह से इनको कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने कंप्यूटर बाबा का नाम दिया था. त्यागी जी का कंप्यूटर से बस इतना ही नाता है बाकी उनके लिए उनका स्टाफ कंप्यूटर चलाता है.

कौन हैं कंप्यूटर बाबा: सबसे पहले इनका नाम 2018 में सुर्खियों में आया था तब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही शिवराज सरकार ने इनको राज्यमंत्री का दर्जा दिया था. लोकसभा चुनाव में उन्होंने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का ही विरोध कर दिया था और कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के समर्थन में मिर्ची यज्ञ किया था. कंप्यूटर बाबा को भाजपा कांग्रेस दोनों ही सरकारों में राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है.

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हरीश रावत का अनोखा चुनावी स्टंट: अनोखे चुनाव अभियान की चुनावी प्रचार की बात हो ही रही है तो आज की चुनावी हलचल को हम हरीश रावत के अनोखे चुनावी स्टंट से संपन्न करेंगे. हरीश रावत लालकुआं विधानसभा सीट पर जोरों शोरों से प्रचार कर रहे हैं. आज वो प्रचार के लिए बिंदुखत्ता पहुंचे थे, जहां उन्होंने स्कूल में बच्चों को कबड्डी खेलता देख खुद भी उनके बीच जाकर कबड्डी खेलना शुरू कर दिया, और कबड्डी कबड्डी बोलते हुए युवाओं के साथ दो-दो हाथ भी किए.

पार्टियों से इतर अगर हम बात करें तो हरीश रावत एक ऐसे नेता है जो कांग्रेस की ओर से या कहें कि उत्तराखंड के सबसे प्रचलित नेता है. उनकी वाकपटुता से सभी वाकिफ हैं. तंज स्वरूपी रूप में अपनी बात को रखना उनसे बेहतर शायद ही कोई नेता जानता हो. हरीश रावत एक ऐसे नेता हैं जो अपने अनोखे चुनावी स्टंट्स के लिए जाने जाते हैं, कभी वो सड़कों पर जलेबी तलते हैं, कभी वह चाऊमीन बनाने लगते हैं, कभी चाय पी लो-चाय पी लो कहकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और आज कबड्डी-कबड्डी कहकर वो अपने लिए वोट मांगते दिखे. सच है हरदा के ये अनोखे रंग हैं लेकिन ये रंग इन चुनावों में उनकी कितनी मदद करेंगे ये बस 15 दिनों में पता चल ही जाएगा.

देहरादून: रविवार 30 जनवरी 2022...धीरे-धीरे 14 फरवरी का वो दिन करीब आ रहा है, जब पहाड़ी प्रदेश उत्तराखंड की जनता अपने मनपसंद उम्मीदवार के नाम पर वोट डालेगी. जैसे-जैसे वो दिन करीब आ रहा है, प्रत्याशियों की धड़कन भी तेज हो रही है और उसी के साथ तेज हो रहे हैं, उनके प्रचार-प्रसार के तरीके. अभी तक केवल बीजेपी और आम आदमी पार्टी ही ऐसी रही हैं, जिन्होंने अपने वरिष्ठ नेताओं को या कहें अपने स्टार कैंपेनर्स को उत्तराखंड में उतारा है.

कांग्रेस स्टार प्रचारक उत्तराखंड से दूर: कांग्रेस की ओर से भी कई वरिष्ठ नेता उत्तराखंड आए हैं, लेकिन इन दोनों पार्टियों की तुलना में वो कम ही हैं. केवल हरीश रावत ही एक ऐसा चेहरा नजर आते हैं जिससे उत्तराखंड की जनता कनेक्ट कर पाती है. अभी तक उन्होंने ही असल मायने में कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान की कमान संभाली हुई है.

प्रियंका गांधी वर्चुअली उत्तराखंड की जनता से जुडेंगी: अब कांग्रेस के दिग्गज उत्तराखंड पहुंचने वाले हैं. कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी आखिरकार 2 फरवरी को उत्तराखंड की जनता से वर्चुअल तौर पर जुड़ेंगी. प्रियंका का यह दौरा पहले जनवरी के पहले हफ्ते में ही प्रस्तावित था, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए उनका दौरा रद्द करना पड़ा था. हालांकि अब भी वो डिजिटल तौर पर ही उत्तराखंड की जनता से जुड़ेंगी, लेकिन कांग्रेस प्रियंका गांधी के नाम से ही काफी उत्साहित है. सभी 70 विधानसभाओं में प्रियंका की इस रैली को पहुंचाया जाएगा और कांग्रेस इसकी तैयारियों में भी जुट गई है.

कांग्रेस जारी करेगी प्रतिज्ञा पत्र: वहीं, आगामी 2 फरवरी को कांग्रेस की राष्ट्रीय महामंत्री प्रियंका गांधी देहरादून के कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में प्रतिज्ञा पत्र जारी करेंगी. कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा कि 70 विधानसभाओं में कोरोना प्रोटोकॉल की बाध्यता को ध्यान में रखते हुए प्रतिज्ञा पत्र को डिजिटल माध्यम से लॉन्च किया जाएगा.

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उत्तराखंड में क्या होगा प्रियंका का रुख: हालांकि, इससे पहले केवल राहुल गांधी की बीते 16 दिसंबर 2021 को देहरादून में एक रैली हुई थी, इसके बाद से कांग्रेस का कोई बड़ा चेहरा यहां दिखाई नहीं दिया है. वहीं, प्रियंका गांधी आखिरकार उत्तराखंड की जनता को संबोधित कर तो रही हैं. लेकिन यह सवाल यहां बरकरार है कि जो वादा प्रियंका ने उत्तर प्रदेश की जनता से किया था. यानी 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने का, वो उत्तराखंड में पूरा नहीं हो सका है. इस बार कांग्रेस ने कुल 5 महिलाओं को टिकट दिए हैं. देखते हैं अपनी रैली में प्रियंका का इसको लेकर क्या रुख रहने वाला है.

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बीजेपी ने जारी किया थीम सॉन्ग: तो जहां कांग्रेस अपनी राष्ट्रीय महासचिव और स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी को मैदान में उतार रही है तो बीजेपी पहले से ही स्टार प्रचारकों के मामले में आगे है. इसी कड़ी में आज बीजेपी के दो स्टार प्रटारक- बीजेपी के राज्यसभा सांसद व राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी और बीजेपी चुनाव प्रभारी प्रह्लाद जोशी पार्टी का थीम सॉन्ग लॉन्च करने देहरादून पहुंचे थे. दोनों ने एक साथ मिलकर कांग्रेस को खूब खरी-खोटी सुनाई.

प्रह्लाद जोशी नहीं दे पाए जवाब: उनका कहना है कि कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जो ऑल इंडिया कन्फ्यूज्ड है. हरीश रावत पर भी उन्होंने तंज कसा और कहा कि पार्टी की तरह वो भी कंफ्यूज नेता है. इसी बीच जब प्रह्लाद जोशी से पूछा गया कि भैया आप आए तो हैं दिल्ली से बीजेपी का प्रचार करने. लेकिन आपकी सरकार के 5 सालों में किए गए कामों का सारा ब्यौरा तो दे दें, तो प्रह्लाद जोशी असहज हो गए. उन्होंने केवल इतना जवाब दिया कि यहां उनका एग्जाम नहीं हो रहा है और वो बीजेपी सरकार की एक भी उपलब्धि नहीं गिनवा पाए और कन्नी काटते हुए नजर आए. वो केवल केंद्र की उपलब्धियों का ही बखान करते रहे.

कांग्रेस ने प्रह्लाद जोशी पर ली चुटकी: अब ऐसी बात थी तो कांग्रेस कहां चुप रहने वाली थी. कांग्रेस ने प्रह्लाद जोशी के जवाब पर खूब चुटकी ली. कांग्रेस का कहना है कि बीजेपी को खुद नहीं पता उसने 5 सालों में आखिर काम क्या किया है, तो उनके पास कहने को कुछ है ही नहीं. वो केवल केंद्र सरकार की योजनाओं पर चल रही है और इस बार भी मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है.

बीजेपी शुरू करेगी मेगा चुनावी कैंपेन: फिलहाल बीजेपी थीम सॉन्ग लॉन्चिंग मामले में तो कांग्रेस से पिछड़ी ही नजर आई. कांग्रेस इस मामले में आम आदमी पार्टी और बीजेपी दोनों को ही पीछे छोड़ चुकी है. कांग्रेस ने बीते दिनों ही खूब जोर शोर से अपना थीम सॉन्ग लांच किया था- चार धाम चार काम. हालांकि, बीजेपी एक फरवरी से जरूर उत्तराखंड में मेगा चुनावी कैंपेन शुरू करने जा रही है.

इस मेगा कैंपन को 70 विधानसभाओं में चलाया जाएगा और बीजेपी जनता से जुड़ने के साथ ही मतदाताओं को अपने पक्ष में वोट करने को कहेगी. सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में 10 से 15 स्थानों पर एलईडी टीवी लगाए जाएंगे. ताकि लोग नेताओं का संबोधन सुन सकें. बीजेपी के बड़े नेताओं में केंद्रीय मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पीएम मोदी भी शामिल होंगे. बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी उत्तराखंड के दौरे पर आएंगे.

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सीएम धामी ने किया डोर टू डोर प्रचार: यह तो रही राष्ट्रीय लेवल के नेताओं की बात. वहीं, राज्य में भी पार्टियों का चुनाव प्रचार लगातार जारी रहा. बीजेपी की कमान संभाले हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज अल्मोड़ा पहुंचे और यहां जागेश्वर विधानसभा क्षेत्र में उन्होंने हाथ जोड़कर डोर टू डोर जनता से बीजेपी प्रत्याशी मोहन सिंह मेहरा के पक्ष में वोट मांगे. अब सीएम कहीं पहुंचे और उनसे कांग्रेस को लेकर सवाल ना हो ये कैसे हो सकता था.

तो भई मीडिया ने सीएम से हरीश रावत के उस तंज को लेकर सवाल पूछ लिया जिसमें हरीश रावत ने ये कहा था कि पहले वो धामी जैसे चार को बूढ़ा बनाएंगे उसके बाद ही खुद बूढ़ा बनेंगे. इस तंज पर हंसते हुए सीएम धामी ने जवाब दिया कि हरीश रावत को कोई सीरियसली नहीं लेता, वो बूढ़े हो चुके हैं और उनको तो उनकी पार्टी ही सीरियसली नहीं लेती तो, इसलिए वो उनकी बात का बुरा नहीं मानते. उनकी तो कांग्रेस में ये हालत है कि कभी पार्टी उन्हें रामनगर भेजती है तो कभी लालकुआं और इससे पता चलता है कि उनको वहां भी कोई नहीं पूछता तो इसलिए वो क्या कह रहे हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता.

बगावती नेता बने गले की फांस: मुख्यमंत्री धामी कुछ भी कहें, कितने भी कॉन्फिडेंस के साथ बीजेपी के प्रचंड बहुमत के जीत की भविष्यवाणी करें, लेकिन सच्चाई तो यह है बीजेपी-कांग्रेस दोनों के लिए ही बगावती नेता गले की फांस बने हुए हैं. दरअसल, कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही अपने कई नेता-विधायकों के टिकट काट दिए हैं, जिसमें विधायक रुद्रपुर से प्रसिद्ध विधायक राजकुमार ठुकराल का नाम भी शामिल है.

अब ठुकराल ने पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान तो कर दिया लेकिन उनके दिल में भाजपा की बेरुखी की टीस बार-बार उठ रही है और ये टीस इतनी गहरी हो गई है कि वो रह-रहकर उनकी आंखों से आंसू बनकर झलक रही है. आज रुद्रपुर में अपने चुनाव कार्यालय के शुभारंभ के मौके पर ठुकराल ने साफ कहा कि वो निर्दलीय चुनाव ही लड़ेंगे. क्योंकि वो अपने समर्थकों और रुद्रपुर की जनता को धोखा नहीं दे सकते.

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दो भागों में बटी कांग्रेस: यह तो रही रुद्रपुर की बात लेकिन बाबा रुद्रनाथ की नगरी रुद्रप्रयाग में भी बगावती नेता बीजेपी-कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं. पूर्व मंत्री मातबर सिंह कंडारी ने यहां बगावती तेवरों से कांग्रेस प्रत्याशी की चिंता बढ़ा दी है. हो ये रहा है कि कांग्रेस का एक धड़ा कंडारी के लिए काम कर रहा है. कांग्रेस सीधे-सीधे दो भागों में बंटती नजर आ रही है और अगर ऐसा हुआ तो ये नेता वोट काटने वाले नेता बन जाएंगे और इसका फायदा बीजेपी को होगा.

कोटद्वार सीट पर बढ़ी बीजेपी की टेंशन: कोटद्वार सीट भी कुछ अलग नहीं है. यहां बीजेपी प्रत्याशी ऋतु खंडूड़ी के लिए पार्टी से बागी हुए निर्दलीय प्रत्याशी धीरेंद्र चौहान मुश्किलें बढ़ा रहे हैं. हालांकि, बीजेपी इन सभी नेताओं के साथ बात करके डैमेज कंट्रोल की कोशिश कर रही है लेकिन नामांकन का आखिरी दिन कल (31 जनवरी) है और ऐसे में बीजेपी जोर शोर से अपने रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटी है. पौड़ी जिले की 3 विधानसभा सीटों- लैंसडाउन, यमकेश्वर और कोटद्वार में बीजेपी से खफा हुए कार्यकर्ताओं से पार्टी को कोई नुकसान न पहुंचे इसके लिए पूर्व राज्य मंत्री और बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता वीरेंद्र बिष्ट को रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने की जिम्मेदारी दी गई है.

प्रत्याशियों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज: अब इन चुनाव प्रचार से इतर थोड़ी बात कर लेते हैं. चुनाव आयोग की गाइडलाइन के अनुसार नामांकन करते वक्त अपने हलफनामे में प्रत्याशियों को उनके खिलाफ कितने आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, उसका भी पूरा ब्यौरा देना होता है. यहां आपको बताते हैं कि उत्तराखंड चुनाव में मैदान में उतरने वाले अधिकतर प्रत्याशियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. अगर बार केवल देहरादून की करें तो यहां की 10 विधानसभा सीटों पर चकराता से कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह पर दो मुकदमे दर्ज हैं.

चकराता से ही निर्दलीय उम्मीदवार गणेश दत्त जोशी के ऊपर भी एक मुकदमा दर्ज है. विकासनगर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी संदीप दुबे पर 5 मुकदमे दर्ज हैं तो इसी सीट से समाजवादी पार्टी प्रत्याशी रघुवीर मेहता के खिलाफ भी एक मुकदमा दर्ज है. सहसपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी अकील अहमद के खिलाफ सात मुकदमे दर्ज है. अकील अहमद आपराधिक पृष्ठभूमि के होने के चलते पुलिस रिकॉर्ड में हिस्ट्रीशीटर भी हैं.

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जावेद खान के खिलाफ दो मुकदमा: धर्मपुर क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी जावेद खान के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज हैं. रायपुर विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ देहरादून कोतवाली में गंभीर किस्म के अपराधों में मुकदमा दर्ज है, इसमें धोखाधड़ी जान से मारने की धमकी और कई गंभीर आरोप शामिल हैं. कैंट विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सूर्यकांत धस्माना पर 1994 में थाना डालनवाला में वार्ड नंबर 129 और साल 1998 में गंभीर किस्म की धाराओं में मुकदमा दर्ज है, ये धाराएं गैर इरादतन हत्या जैसे गंभीर मामलों की है.

मसूरी विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी मनीष गुनियाल पर भी थाना डालनवाला में कई धाराओं और आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है जो कोर्ट में विचाराधीन है. डोईवाला विधानसभा सीट से यूकेडी के प्रत्याशी शिव प्रसाद के खिलाफ भी मुकदमे दर्ज हैं.

हरदा और मोहन विष्ट की संपत्ति का ब्यौरा: हलफनामे की बात हो ही रही है तो कल हमने आपको बताया था कि हरीश रावत के हलफनामे से कितनी अनोखी बातें निकलकर सामने आई थीं और आज लालकुआं विधानसभा सीट से ही हरीश रावत के सामने खड़े बीजेपी प्रत्याशी मोहन बिष्ट की संपत्ति के मामले को लेकर हम आपको रोचक बातें बताएंगे. मोहन सिंह बिष्ट किसी भी मामले में हरीश रावत से कम नहीं है.

उनके पास चल संपत्ति ₹50,40,114 है. उनकी पत्नी चंद्रिका बिष्ट के पास एक करोड़ 36 लाख से ज्यादा रुपए की संपत्ति है. अचल संपत्ति के तौर पर जमीन, खेत, मकान, प्लॉट आदि के नाम पर उनके पास 83 लाख से ज्यादा रुपए हैं और पत्नी के नाम 65 लाख. मोहन सिंह बिष्ट के नाम पर एक निसान कार है जिसकी कीमत 9 लाख से ज्यादा की है, एक इनोवा कार भी है जिसे कीमत 3 लाख 50 हजार है. पत्नी के नाम पर एक ट्रक है, जिसकी कीमत 5 लाख रुपये है.

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यहां थोड़ा आपको हरीश रावत की संपत्ति के बारे में भी याद दिला देते हैं. हरीश रावत ने हलफनामा जमा कराने के दौरान बताया था कि उनके पास चल संपत्ति के तौर पर 43,72,822 रुपए हैं, उनकी पत्नी के पास तीन करोड़ 90 लाख से ज्यादा की संपत्ति है. 36 लाख से ज्यादा की हरीश रावत के पास अचल संपत्ति है जबकि पत्नी के पास अचल संपत्तियां दो करोड़ 99 लाख से ज्यादा हैं. हरीश रावत के पास कोई वाहन नहीं है लेकिन उनकी पत्नी के पास एक मर्सिडीज कार और एक टोयोटा फॉर्च्यूनर कार है.

चुनाव के अनोखे रंग: चुनाव में अनोखे रंग देखने को मिल रहे हैं. उत्तराखंड में कांग्रेस के लिए तो बकायदा लोक गायिका माया उपाध्याय जनता के बीच जा-जाकर गीतों के जरिए हरीश रावत के लिए वोट मांग रही हैं तो बीजेपी भी जाने-माने चेहरों को अपने लिए प्रचार करवा रही है, इस बीच चुनावी माहौल में कंप्यूटर बाबा की एंट्री हो गई है. कांग्रेस ने प्रदेश में इन कंप्यूटर बाबा को चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी है. इसी कड़ी में यह कंप्यूटर बाबा आज श्रीनगर गढ़वाल पहुंचे थे. ये वो क्षेत्र है जहां से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल चुनावी मैदान में हैं और उनके सामने वर्तमान कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत खड़े हैं.

गोदियाल के लिए कंप्यूटर बाबा मांगेगे वोट: ये कंप्यूटर बाबा श्रीनगर में गणेश गोदियाल के लिए घर-घर जाकर वोट मांग रहे हैं. उनका कहना है कि प्रदेश में आएगी तो कांग्रेसी ही, क्योंकि भाजपा की भ्रष्ट सरकार से जनता त्रस्त हो चुकी है. उनका कहना है कि भाजपा सरकार ने साधुओं के साथ अत्याचार किया है, हरिद्वार में कुंभ समाप्त होने के बाद उनके आश्रमों को तोड़ा गया. कंप्यूटर बाबा का असली नाम नामदेव दास त्यागी है. इनका दिमाग काफी तेज होने की वजह से इनको कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने कंप्यूटर बाबा का नाम दिया था. त्यागी जी का कंप्यूटर से बस इतना ही नाता है बाकी उनके लिए उनका स्टाफ कंप्यूटर चलाता है.

कौन हैं कंप्यूटर बाबा: सबसे पहले इनका नाम 2018 में सुर्खियों में आया था तब मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले ही शिवराज सरकार ने इनको राज्यमंत्री का दर्जा दिया था. लोकसभा चुनाव में उन्होंने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का ही विरोध कर दिया था और कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के समर्थन में मिर्ची यज्ञ किया था. कंप्यूटर बाबा को भाजपा कांग्रेस दोनों ही सरकारों में राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है.

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हरीश रावत का अनोखा चुनावी स्टंट: अनोखे चुनाव अभियान की चुनावी प्रचार की बात हो ही रही है तो आज की चुनावी हलचल को हम हरीश रावत के अनोखे चुनावी स्टंट से संपन्न करेंगे. हरीश रावत लालकुआं विधानसभा सीट पर जोरों शोरों से प्रचार कर रहे हैं. आज वो प्रचार के लिए बिंदुखत्ता पहुंचे थे, जहां उन्होंने स्कूल में बच्चों को कबड्डी खेलता देख खुद भी उनके बीच जाकर कबड्डी खेलना शुरू कर दिया, और कबड्डी कबड्डी बोलते हुए युवाओं के साथ दो-दो हाथ भी किए.

पार्टियों से इतर अगर हम बात करें तो हरीश रावत एक ऐसे नेता है जो कांग्रेस की ओर से या कहें कि उत्तराखंड के सबसे प्रचलित नेता है. उनकी वाकपटुता से सभी वाकिफ हैं. तंज स्वरूपी रूप में अपनी बात को रखना उनसे बेहतर शायद ही कोई नेता जानता हो. हरीश रावत एक ऐसे नेता हैं जो अपने अनोखे चुनावी स्टंट्स के लिए जाने जाते हैं, कभी वो सड़कों पर जलेबी तलते हैं, कभी वह चाऊमीन बनाने लगते हैं, कभी चाय पी लो-चाय पी लो कहकर लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं और आज कबड्डी-कबड्डी कहकर वो अपने लिए वोट मांगते दिखे. सच है हरदा के ये अनोखे रंग हैं लेकिन ये रंग इन चुनावों में उनकी कितनी मदद करेंगे ये बस 15 दिनों में पता चल ही जाएगा.

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