ऋषिकेश: इस्कॉन विवाद पिछले तीन दशकों से सुलझने का नाम नहीं ले रहा है. दो ट्रस्टी पिछले कुछ दशकों से इस्कॉन ट्रस्ट पर अपना हक जता रहे हैं. इसी विवाद को लेकर बीते रोज के अनेक ट्रस्टी बैठक करने के लिए मधुवन आश्रम मुनि की रेती पहुंचे थे. इस्कॉन के सभी सदस्यों का आरोप है कि आश्रम के कुछ कर्मचारियों ने उनकी बैठक में खलल डाल दिया, जिसकी ट्रस्टियों ने निंदा की है.
इस्कॉन के सदस्यों ने बताया कि आश्रम में रहने वाले संचालक और कर्मचारियों के विरुद्ध पूर्व में कई संगीन धाराओं में मुकदमा भी दर्ज है. बावजूद गलत तरीके से यहां पर कार्य किया जा रहा है. स्थिति को देखते हुए पुलिस भी परिसर में पहुंच गई. संवेदनशील कानून व्यवस्था की स्थिति का संज्ञान लेते हुए पुलिस ने शांति व्यवस्था बनाई.
आरोप है कि बैठक के दौरान कुछ कर्मचारियों की ओर से ट्रस्ट की बैठक में हंगामा किया गया. साथ ही कर्मचारियों ने बैठक में उपस्थित लोगों को गुमराह करना शुरू कर दिया गया. उनका कहना था कि ट्रस्टी उन्हें बलपूर्वक बेदखल करने और ट्रस्ट परिसर पर कब्जा करने आए हैं. ट्रस्ट परिसर हमेशा ट्रस्टियों के कब्जे में होता है. वे ट्रस्ट की संपत्ति और फंड के बेहतर प्रशासन और सुरक्षा की व्यवस्था करने के लिए बाध्य हैं.
हालांकि, स्थिति बद से बदतर होती चली गई और कुछ न्यासी जो वरिष्ठ नागरिक और अन्य न्यासी भी हैं, उन्हें अभद्र भाषा से आपराधिक रूप से धमकाया जा रहा था और अगर वे बैठक जारी रखते हैं या ट्रस्ट परिसर नहीं छोड़ते हैं, तो उन्हें नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जा रही है. स्थिति को देखते हुए पुलिस भी परिसर में पहुंच गई और संवेदनशील कानून व्यवस्था की स्थिति का संज्ञान लेते हुए अशांत तत्वों को शांत करने का प्रयास किया. लेकिन स्थिति नियंत्रण से बाहर होने लगी, जिससे बैठक को समाप्त करना पड़ा. वर्तमान स्थिति में न्यासियों की राय है कि इन आपराधिक तत्वों को मधुबन के परिसर में गतिविधियों के प्रशासन और प्रबंधन के साथ जारी रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
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इस्कॉन के मुख्य ट्रस्टी हेमंत कुमार ने बताया कि वर्तमान में जिन ट्रस्टियों द्वारा मधुबन आश्रम में बैठकर संचालन किया जा रहा है, उन पर न्यायालय में वाद दायर है. न्यायालय ने उनके खिलाफ अमानत में खयानत और षड्यंत्र रचना की धाराओं को सही मानते हुए न्यायालय में ट्रायल के आदेश दिए हैं. दरअसल, ट्रस्ट का खाता फ्रीज होने के बाद यहां पर आने वाले दान के पैसों का कोई भी हिसाब किताब नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान संचालक पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आश्रम को मिल रहे दान के पैसे निजी खाते में जमा कराये जा रहे हैं. इसके साथ ही पिछले लगभग 10 वर्षों से ऑडिट भी नहीं हुआ है. वहीं इस मामले में वर्तमान में मधुबन आश्रम के परमाध्यक्ष प्रेमानंद ने बताया कि उन पर लग रहे सभी आरोप बेबुनियाद हैं.