देहरादूनः उत्तराखंड क्रांति दल (Uttarakhand Kranti Dal) के प्रतिनिधिमंडल ने उत्तराखंड विजिलेंस पुलिस अधीक्षक धीरेंद्र गुंज्याल (Uttarakhand Vigilance Superintendent of Police Dhirendra Gunjyal) से मिलकर पूर्व मुख्य सचिव आईएएस ओम प्रकाश (Former Chief Secretary IAS Om Prakash) की संपत्ति की जांच की मांग की है. यूकेडी प्रतिनिधिमंडल ने विजिलेंस एसपी को इस मामले में 4 पन्नों की फाइल सौंपी है, जिसमें पूर्व मुख्य सचिव की संपत्ति का लेखा जोखा है, जो कि यूकेडी के मुताबिक भ्रष्टाचार के जरिए कमाई गई है.
यूकेडी नेता त्रिवेंद्र पंवार का कहना है कि यह फाइल यूकेडी को एक उत्तराखंड के हित के लिए काम करने वाले शख्स ने दी है. अगर जरूरत पड़ी तो शख्स को मीडिया के सामने भी लाया जाएगा. उन्होंने कहा कि यूकेडी राज्य का प्रमुख क्षेत्रीय दल है और इस वजह से राज्य आंदोलन में सहभागिता निभाने वाले साथियों द्वारा यूकेडी को पूर्व मुख्य सचिव ओम प्रकाश की संभावित संपत्तियों का विवरण उपलब्ध कराया गया है.
त्रिवेंद्र पंवार का कहना है कि ओमप्रकाश ने अपने सेवाकाल में जबरदस्त भ्रष्टाचार करके विभिन्न राज्यों और विदेशों में अकूत चल अचल संपत्तियां अर्जित की हैं. इसकी जांच की जानी अत्यंत आवश्यक है. उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्य सचिव ओमप्रकाश का नाम उत्तराखंड के भ्रष्ट अधिकारियों में लिया जाता है. यह कागजात देखने के बाद ऐसा लगता है कि यह बिल्कुल सही और सटीक है.
4 पन्नों की फाइल में क्या-क्या? यूकेडी नेता त्रिवेंद्र पंवार ने बताया कि इस 4 पन्नों की फाइल में पूर्व मुख्य सचिव आईएएस ओम प्रकाश की 60 संपत्ति (जमीन, मकान) का जिक्र है, जो कि भ्रष्टाचार से बनाई गई हैं. यह संपत्तियां देहरादून समेत भारत के अलग-अलग राज्यों में स्थित हैं. त्रिवेंद्र पंवार का कहना है कि जिस शख्स ने यह फाइल उपलब्ध कराई है, उस शख्स ने मौके पर जाकर इन संपत्तियों की जांच की है.
कौन हैं ओम प्रकाशः 1987 बैच के आईएएस ओम प्रकाश को 15 मई 2017 को अपर मुख्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस दौरान कई महत्वपूर्ण विभाग भी उनके पास रहे हैं. ओमप्रकाश लंबे समय से उत्तराखंड में सेवाएं दे चुके हैं. मुख्य सचिव रहने के साथ ही ओम प्रकाश उत्तराखंड के सियासी गलियारों में हमेशा केंद्र बिंदु में रहे थे. राज्य गठन से पहले से लेकर राज्य गठन के बाद के 20 सालों तक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश का करियर सत्ता की चकाचौंध से भरा रहा, लेकिन करियर के आखिरी में ओम प्रकाश से सत्ता की कुछ इस तरह बेरुखी हुई की, उन्हें मुख्य सचिव पद से हटाकर राजस्व परिषद में चीफ कमिश्नर बना दिया गया.
त्रिवेंद्र रावत के करीबी ओम प्रकाश: दरअसल 2017 में भाजपा सत्ता में आई. भाजपा ने 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया. ओम प्रकाश त्रिवेंद्र सिंह रावत के बेहद करीबी माने जाते थे. हालांकि, वह उस वक्त अपर मुख्य सचिव थे, लेकिन ओम प्रकाश का डंका शासन में इतना बोलता था कि उन्हें बेहद मजबूत नौकरशाह माना जाता था. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी ओम प्रकाश को मुख्य सचिव बनाया, अचानक बदले सियासी घटना क्रम में त्रिवेंद्र रावत को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी. जिसके बाद तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के अगले सीएम बने.
तीरथ सरकार में नहीं बदले गए ओम प्रकाश: बता दें कि आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश को 30 जुलाई साल 2020 को तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में उत्तराखंड का मुख्य सचिव बनाया गया था. त्रिवेंद्र सिंह रावत के बदलते ही ओम प्रकाश के बदलने की कवायद भी तेज हो गई थी, लेकिन तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें नहीं हटाया.
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अहम पदों पर रहे ओम प्रकाश: आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश पिछले 20 सालों में उत्तराखंड ब्यूरोक्रेट्स की अमूमन सारी बड़ी जिम्मेदारियां संभाल चुके हैं. नौकरशाही में सबसे बड़ी जिम्मेदारी माने जाने वाली मुख्य सचिव की जिम्मेदारी भी ओम प्रकाश ने बखूबी निभाई थी, लेकिन प्रदेश में कुछ ऐसी घटनाक्रम घटी कि ओम प्रकाश के करियर के अंतिम समय में सत्ता की उनसे बेरुखी हो गई.
ओम प्रकाश की विदाई का कारण: मुख्य सचिव ओम प्रकाश को हटाए जाने के पीछे उनका रिजर्व नेचर, उनके कार्यकाल में हुए तमाम विवाद, सरकारी कामों में उनका ढीला रवैया भी अहम वजह माना गया था. यही नहीं मुख्य सचिव रहते ओम प्रकाश पर दबाव कम करने के लिए सरकार ने मुख्य सलाहकार के रूप में पूर्व आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को भी अप्वॉइंट किया. यह मुख्य सचिव ओम प्रकाश के लिए सबसे बड़ा फेल्योर था.
धामी और ओम प्रकाश की ट्यूनिंग में दिक्कत: सियासी गलियारों में एक और किस्सा बहुत तेजी से वायरल हुआ था. बताया जाता है कि जब खटीमा से विधायक पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री नहीं थे, तब वह विधायक के नाते मुख्य सचिव ओम प्रकाश से उनके विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित कुछ कार्यों से को लेकर मिलने गए थे, तो मुख्य सचिव से उनकी कुछ अनबन हो गई थी. जिसके बाद पुष्कर सिंह धामी गुस्से में मुख्य सचिव कार्यालय से चले गए थे. समय का पहिया ऐसा धूमा कि एक सप्ताह बाद ही पुष्कर सिंह धामी प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गये.
धामी ने ओम प्रकाश को हटाया: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 से कुछ महीने पहले पुष्कर सिंह धामी को बनाया मुख्यमंत्री गया. जिसके बाद धामी ने सबसे पहले मुख्य सचिव ओम प्रकाश को हटा दिया. वहीं ओम प्रकाश को राजस्व परिषद का अध्यक्ष बनाया गया. इसके अलावा उन्हें स्थानिक आयुक्त नई दिल्ली का अतिरिक्त प्रभार भी दिया गया था. ओम प्रकाश की जगह एनएचआई के निदेशक सुखबीर सिंह संधू को उत्तराखंड का मुख्य सचिव बनाया गया.