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त्रिवेंद्र सरकार का मास्टर स्ट्रोक, अनिवार्य सेवानिवृत्ति के विरोध को देखते हुए शुरू किया ये काम - उत्तराखंड में कर्मचारियों का विरोध

केंद्र सरकार के मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस के नक्शे कदम पर सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कवायद तेज हो गई है. इसको लेकर सरकार को कर्मचारियों का विरोध झेलना पड़ रहा था. इसके लिए सरकार ने मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार योजना के रूप में कर्मचारियों को साधने की कोशिश की है.

त्रिवेन्द्र सरकार का मास्टर स्ट्रोक.
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Published : Oct 19, 2019, 5:10 PM IST

देहरादून: त्रिवेंद्र सरकार ने सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने के लिए नकारा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता और कामकाजी कर्मियों को प्रोत्साहन देकर संतुलन बनाने का काम शुरू किया है. अनिवार्य सेवानिवृत्ति के फैसले से जहां शुरू में सरकार को कर्मचारी संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ रहा था. वहीं, कर्मचारियों को प्रोत्साहन के लिए लाई गई मुख्यमंत्री उत्कृष्टता और सुशासन पुरस्कार योजना से सरकार द्वारा संतुलन बनाने की कोशिश की गई है.

त्रिवेन्द्र सरकार का मास्टर स्ट्रोक.

उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार के मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस के नक्शे कदम पर सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कवायद तेज कर दी थी, लेकिन शुरू में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर कर्मचारियों में काफी असंतोष बढ़ा. इसके बाद सरकार को लगा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर विरोध हो सकता है और हालात बिगड़ सकते हैं. इसके कारण सरकार ने एक ओर दिन में कार्मिक विभाग ने लंबित अनिवार्य सेवानिवृत्ति की प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब की. वहीं, दूसरी ओर देर शाम सीएम ने मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार योजना के रूप में कर्मचारियों को साधने की कोशिश की. जिससे कार्मिकों को लग रहा है कि सरकार की मंशा कर्मचारी के विरोध में नहीं है.

ये भी पढ़ें: देहरादून शहर में नहीं थम रहा डेंगू का आतंक, 55 नये मरीजों में पुष्टि

इस मामले पर सचिवालय संघ के उपाध्यक्ष संदीप चमोला ने बताया कि सरकार की मंशा क्या है. ये वही जानती है. लेकिन, कर्मचारी संगठन के रूप में संघ का ये पक्ष है कि कर्मचारियों का किसी भी रूप में उत्पीड़न नहीं होना चाहिए. दूसरी तरफ कार्मिकों को प्रोत्साहन देने की बात पर संघ उपाध्यक्ष का कहना है कि वो सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं. मुख्यमंत्री उत्कृष्टता एवं सुशासन पुरस्कार योजना को लेकर सचिवालय संघ के उपाध्यक्ष संदीप चमोला का साफ तौर से कहना है कि सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने के हर प्रयास में कर्मचारी संगठन सरकार के साथ खड़ा है.

वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र नाथ कौशिक ने बताया कि सरकारी नौकरी को लेकर जो मानसिकता आज समाज में पैदा हुई है, उसे बदलने के लिए इस तरह के फैसले लेने जरूरी हैं, लेकिन इस तरह के फैसले लेना कई बार सरकार के लिए भारी भी पड़ते हैं. रविंद्र कौशिक का मानना है कि सरकारी ढर्रे को बेहतर बनाने के लिए लीक से बाहर निकलकर इस तरह के फैसला लेने जरूरी हैं क्योंकि सरकारी तंत्र में न तो कर्मचारियों के ऊपर इस तरह का कोई दबाव था और न ही प्रोत्साहन के लिए कोई कार्यक्रम था.

देहरादून: त्रिवेंद्र सरकार ने सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने के लिए नकारा कर्मचारियों को बाहर का रास्ता और कामकाजी कर्मियों को प्रोत्साहन देकर संतुलन बनाने का काम शुरू किया है. अनिवार्य सेवानिवृत्ति के फैसले से जहां शुरू में सरकार को कर्मचारी संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ रहा था. वहीं, कर्मचारियों को प्रोत्साहन के लिए लाई गई मुख्यमंत्री उत्कृष्टता और सुशासन पुरस्कार योजना से सरकार द्वारा संतुलन बनाने की कोशिश की गई है.

त्रिवेन्द्र सरकार का मास्टर स्ट्रोक.

उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार के मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस के नक्शे कदम पर सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने के लिए अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कवायद तेज कर दी थी, लेकिन शुरू में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर कर्मचारियों में काफी असंतोष बढ़ा. इसके बाद सरकार को लगा कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर विरोध हो सकता है और हालात बिगड़ सकते हैं. इसके कारण सरकार ने एक ओर दिन में कार्मिक विभाग ने लंबित अनिवार्य सेवानिवृत्ति की प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब की. वहीं, दूसरी ओर देर शाम सीएम ने मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार योजना के रूप में कर्मचारियों को साधने की कोशिश की. जिससे कार्मिकों को लग रहा है कि सरकार की मंशा कर्मचारी के विरोध में नहीं है.

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इस मामले पर सचिवालय संघ के उपाध्यक्ष संदीप चमोला ने बताया कि सरकार की मंशा क्या है. ये वही जानती है. लेकिन, कर्मचारी संगठन के रूप में संघ का ये पक्ष है कि कर्मचारियों का किसी भी रूप में उत्पीड़न नहीं होना चाहिए. दूसरी तरफ कार्मिकों को प्रोत्साहन देने की बात पर संघ उपाध्यक्ष का कहना है कि वो सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं. मुख्यमंत्री उत्कृष्टता एवं सुशासन पुरस्कार योजना को लेकर सचिवालय संघ के उपाध्यक्ष संदीप चमोला का साफ तौर से कहना है कि सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने के हर प्रयास में कर्मचारी संगठन सरकार के साथ खड़ा है.

वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र नाथ कौशिक ने बताया कि सरकारी नौकरी को लेकर जो मानसिकता आज समाज में पैदा हुई है, उसे बदलने के लिए इस तरह के फैसले लेने जरूरी हैं, लेकिन इस तरह के फैसले लेना कई बार सरकार के लिए भारी भी पड़ते हैं. रविंद्र कौशिक का मानना है कि सरकारी ढर्रे को बेहतर बनाने के लिए लीक से बाहर निकलकर इस तरह के फैसला लेने जरूरी हैं क्योंकि सरकारी तंत्र में न तो कर्मचारियों के ऊपर इस तरह का कोई दबाव था और न ही प्रोत्साहन के लिए कोई कार्यक्रम था.

Intro:Special Story---

Note- इस ख़बर में संदीप चमोला और रविन्द्र नाथ कौशिक की बाइट ओर विसुअल्स mojo से भेजे गए हैं सीएम की बाइट और वीसुअल FTP से (uk_deh_01_trivendr_government_master_strock_pkg_7205800) नाम से भेजे जा रहे हैं।


एंकर- उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने के लिए एक पंथ दो काज के फार्मूले से नाकारा कर्मचारियों को बाहर और कामकाजी कर्मियों को प्रोत्साहन कर संतुलन बनाने का काम किया है। अनिवार्य सेवानिवृत्ति के फैसले से जहां शुरू में सरकार को कर्मचारी संगठनों का विरोध करना विरोध का सामना करना पड़ रहा था तो वहीं कर्मचारियों को प्रोत्साहन के लिए लाई गई मुख्यमंत्री उत्कृष्टता एवं सुशासन पुरस्कार योजना से सरकार द्वारा संतुलन बनाने की कोशिश की गई है।


Body:वीओ- उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार शुरू से ही मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस के सिद्धांत पर चलने का प्रयास कर रही है और इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने

केंद्र सरकार के मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस के नक्शे कदम पर सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयासरत उत्तराखंड सरकार द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कवायद शुरू की गई थी लेकिन शुरू में अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर कर्मचारियों में काफी असंतोष बड़ा। हालांकि उसके बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति का मामला थोड़ा ठंडा जरूर पढ़ा लेकिन सरकार को इतना समझ आ गया था कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति के नाम पर विरोध हो सकता है और हालात बिगड़ सकते हैं। लेकिन तंत्र की दक्षता बढ़ाने की दिशा में सरकार ने गुरुवार को बेहतरीन रणनीति के तहत दो फैसले एक साथ लिए। इन फैसलों में जहां एक तरफ दिन में शासन के कार्मिक विभाग ने लंबित अनिवार्य सेवानिवृत्ति की प्रोग्रेस रिपोर्ट तलब की कोई दूसरी तरफ देर शाम सीएम ने मुख्यमंत्री उत्कृष्टता पुरस्कार योजना के रूप में कर्मचारियों को साधने की कोशिश की ताकि मामले में संतुलन बना रहे। अब जहां एक तरफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति से एकतरफा कर्मियों का असंतोष बढ़ रहा था तो वहीं अब प्रोत्साहन योजना से कर्मियों का ध्यान भटका है और कार्मिकों को लगा है कि सरकार की मंशा कर्मचारी के विरोध में नहीं है।

इस मामले पर सचिवालय संघ के उपाध्यक्ष संदीप चमोला का कहना है कि सरकार की मंशा क्या है यह वही जानती है। लेकिन कर्मचारी संगठन के रूप में संघ का यह पक्ष है कि कर्मचारियों का किसी भी रूप में उत्पीड़न नहीं होना। दूसरी तरफ कार्मिकों को प्रोत्साहन देने की बात पर संघ उपाध्यक्ष का कहना है कि वह सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं। मुख्यमंत्री उत्कृष्टता एवं सुशासन पुरस्कार योजना को लेकर सचिवालय संघ के उपाध्यक्ष संदीप चमोला का साफ तौर से कहना है कि सरकारी तंत्र की दक्षता बढ़ाने के हर प्रयास में कर्मचारी संगठन सरकार के साथ खड़ा है।

बाइट- संदीप चमोला, उपाध्यक्ष सचिवालय संघ

सरकार के इस फैसले को बुद्धिजीवी लोग एक सदी हुई रणनीति मान रहे हैं । वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र नाथ कौशिक का कहना है कि सरकारी नौकरी को लेकर जो मानसिकता आज समाज में पैदा हुई है उसे बदलने के लिए इस तरह के फैसले लेने जरूरी है, लेकिन इस तरह के फैसले लेना कई बार सरकार के लिए भारी भी पढ़ते हैं। वरिष्ठ पत्रकार रविंद्र कौशिक का मानना है कि सरकारी ढर्रे को बेहतर बनाने के लिए लीग से बाहर निकलकर इस तरह के फैसला लेने इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सरकारी तंत्र में ना तो कर्मचारियों के ऊपर इस तरह का कोई दबाव था और ना ही प्रोत्साहन के लिए कोई कार्यक्रम था तो ऐसे में सरकार द्वारा जहां एक तरफ कामकाजी कर्मियों के प्रोत्साहन को बढ़ावा दिया है तो वहीं नाकारा कर्मियों को भी साफ संदेश देने का काम किया गया है।

बाइट - रविन्द्र नाथ कौशिक, वरिष्ठ पत्रकार

पीटीसी धीरज सजवाण


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