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त्रिवेंद्र सरकार ने दूसरी बार 250 करोड़ रुपए का लिया कर्ज, जानिए क्या है वजह

राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में दोबारा कर्ज लिया है. इससे पहले भी सरकार ने अप्रैल महीने में 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था.

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Published : Jul 16, 2019, 10:18 PM IST

त्रिवेंद्र सरकार

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में दूसरी बार फिर से 250 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, जो मंगलवार को सरकार के खाते में पहुंच गया है. हालांकि इससे पहले भी राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 शुरू होते ही अप्रैल महीने में 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था. इसके साथ ही चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार के कर्ज का आंकड़ा बढ़कर 750 करोड़ पहुंच गया है.

सरकार ने 250 करोड़ रुपए का लिया कर्ज.

मौजूदा समय से वेतन, भत्ते, पेंशन, मानदेय और एरियर के बढ़ते बोझ के चलते तत्कालिक तौर पर निजात पाने के लिए ही राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में दोबारा कर्ज लिया है. उत्तराखंड राज्य अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है.

यही वजह है कि कम आमदनी और ज्यादा खर्च के इस संकट से अमूमन उत्तराखंड राज्य जूझता रहता है और हर महीने राज्य सरकार के सामने बड़ी वित्तीय समस्या कर्मियों के वेतन, मानदेय भुगतान की होती है. लेकिन अपने संसाधनों के बूते राज्य सरकार इस समस्या का समाधान नहीं कर पा रही है. लिहाजा राज्य हर वित्तीय वर्ष में भारी-भरकम कर्ज लेकर कर्मचारियों का पेट भरने के लिए बाध्य है.

यह भी पढ़ेंः चंपावत में भारी बारिश से जनजीवन प्रभावित, 6 घंटे तक हाई-वे पर फंसे रहे यात्री

गौर हो की राज्य सरकार ने पिछले महीने, साल 2005 के बाद नियुक्त किए गए, राज्य कर्मियों को अंशदायी पेंशन योजना में बतौर नियोक्ता अपनी हिस्सेदारी को 10 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया था. इसके साथ ही राज्य कर्मचारियों, राज्य विश्वविद्यालयों, सरकारी और सहायता प्राप्त अशासकीय डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को 1 जनवरी 2016 से 31 मार्च 2019 तक केंद्र सरकार की हिस्सेदार वाली 50 फीसदी राशि का भुगतान करने का निर्णय लिया था, जिसमें करीब 67 करोड़ 52 लाख का भार पड़ेगा.

वहीं 250 करोड़ रुपये लोन लेने के सवाल पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि यह निरंतर प्रक्रिया है जिसमें सरकार जरूरत पड़ने पर कर्ज लेती है और इसे सामान्य प्रक्रिया के रूप में ही लेना चाहिए.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में दूसरी बार फिर से 250 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है, जो मंगलवार को सरकार के खाते में पहुंच गया है. हालांकि इससे पहले भी राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 शुरू होते ही अप्रैल महीने में 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था. इसके साथ ही चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार के कर्ज का आंकड़ा बढ़कर 750 करोड़ पहुंच गया है.

सरकार ने 250 करोड़ रुपए का लिया कर्ज.

मौजूदा समय से वेतन, भत्ते, पेंशन, मानदेय और एरियर के बढ़ते बोझ के चलते तत्कालिक तौर पर निजात पाने के लिए ही राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में दोबारा कर्ज लिया है. उत्तराखंड राज्य अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है.

यही वजह है कि कम आमदनी और ज्यादा खर्च के इस संकट से अमूमन उत्तराखंड राज्य जूझता रहता है और हर महीने राज्य सरकार के सामने बड़ी वित्तीय समस्या कर्मियों के वेतन, मानदेय भुगतान की होती है. लेकिन अपने संसाधनों के बूते राज्य सरकार इस समस्या का समाधान नहीं कर पा रही है. लिहाजा राज्य हर वित्तीय वर्ष में भारी-भरकम कर्ज लेकर कर्मचारियों का पेट भरने के लिए बाध्य है.

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गौर हो की राज्य सरकार ने पिछले महीने, साल 2005 के बाद नियुक्त किए गए, राज्य कर्मियों को अंशदायी पेंशन योजना में बतौर नियोक्ता अपनी हिस्सेदारी को 10 फीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया था. इसके साथ ही राज्य कर्मचारियों, राज्य विश्वविद्यालयों, सरकारी और सहायता प्राप्त अशासकीय डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को 1 जनवरी 2016 से 31 मार्च 2019 तक केंद्र सरकार की हिस्सेदार वाली 50 फीसदी राशि का भुगतान करने का निर्णय लिया था, जिसमें करीब 67 करोड़ 52 लाख का भार पड़ेगा.

वहीं 250 करोड़ रुपये लोन लेने के सवाल पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि यह निरंतर प्रक्रिया है जिसमें सरकार जरूरत पड़ने पर कर्ज लेती है और इसे सामान्य प्रक्रिया के रूप में ही लेना चाहिए.

Intro:उत्तराखंड सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में दूसरी बार फिर से 250 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। जो मंगलवार को सरकार के खाते में पहुच गया है। हालांकि इससे पहले भी राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 शुरू होते ही अप्रैल महीने में 500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया था। इसके साथ ही चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार के कर्ज का आंकड़ा बढ़कर 750 करोड़ पहुंच गया है। मौजूदा समय में वेतन, भत्ते, पेंशन, मानदेय और एरियर के बढ़ते बोझ के चलते तत्कालिक तौर पर निजात पाने के लिए ही राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में दोबारा कर्ज लिया है।


Body:उत्तराखंड राज्य अपनी विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते सीमित संसाधनों में सिमटा हुआ है और यही वजह है कि कम आमदनी और ज्यादा खर्च के इस संकट से अमूमन उत्तराखंड राज्य झूझता रहता है। और हर महीने राज्य सरकार के सामने बड़ी वित्तीय समस्या कर्मियों के वेतन, मानदेय भुगतान की होती है लेकिन अपने संसाधनों के बूते राज्य सरकार इस समस्या का समाधान नहीं कर पा रहा है। लिहाजा राज्य हर वित्तीय वर्ष में भारी-भरकम कर्ज लेकर कर्मचारियों का पेट भरने के लिए बाध्य हैं।

गौर हो की राज्य सरकार ने पिछले महीने, साल 2005 के बाद नियुक्त किए गए, राज्य कर्मियों को अंशदायी पेंशन योजना में बतौर नियोक्ता अपनी हिस्सेदारी को 10 फ़ीसदी से बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया था। इसके साथ ही राज्य कर्मचारियों, राज्य विश्वविद्यालयो, सरकारी और सहायता प्राप्त अशासकीय डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को 1 जनवरी 2016 से 31 मार्च 2019 तक केंद्र सरकार की हिस्सेदार वाली 50 फ़ीसदी राशि को भुगतान करने का निर्णय लिया था। जिसमें करीब 67 करोड़ 52 लाख का भार पड़ेगा। 

वही 250 करोड़ रुपये लोन लेने के सवाल पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि यह निरंतर प्रक्रिया है जिसमें सरकार जरूरत पड़ने पर कर्ज लेती है और इसे सामान्य प्रक्रिया के रूप में ही लेना चाहिए।

बाइट - त्रिवेंद्र सिंह रावत, सीएम



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