देहरादून: उत्तराखंड की नैसर्गिक खूबसूरती का दीदार करने हर साल देश ही नहीं विदेशों से भी सैकड़ों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं. उत्तर भारत में स्थित उत्तराखंड एक शांत पर्यटन प्रदेश है. उत्तराखंड का नाम उन जगहों में शुमार है, जो अपनी सुंदरता के चलते लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. 'देवताओं की भूमि' के रूप में माना जाने वाला उत्तराखंड अपने शांत वातावरण, मनमोहक दृश्यों के चलते धरती का स्वर्ग माना जाता है.
कुछ सालों पहले तक चारधाम के साथ ही पर्यटक नैनीताल, मसूरी, टिहरी, अल्मोड़ा, धनोल्टी जैसी जगहों का टूरिस्ट डेस्टिनेशन का रुख किया करते थे. वहीं बीते कुछ सालों से अब पर्यटकों की पसंद बदलने सी लगी है. अब देवभूमि उत्तराखंड का रुख करने वाले पर्यटक यहां के कुछ नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन का रुख करने लगे हैं. उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की बात करें तो मुनस्यारी, लैंसडाउन, चोपता, औली पहली पसंद बनती जा रही है.
दरअसल प्रसिद्ध पर्यटक स्थल होने की वजह से नैनीताल, मसूरी, धनोल्टी जैसे पर्यटक स्थलों में साल भर भीड़-भाड़ रहती है. ऐसे में शांति और सुकून की तलाश में अब पर्यटक मुनस्यारी, लैंसडाउन, चोपता, और औली जैसे पर्यटक स्थलों का रुख करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. राज्य सरकार और पर्यटन विभाग भी प्रदेश के सभी 13 जिलों में नए पर्यटक स्थल तलाशने में जुटा है. यही कारण है कि अब पर्यटक नैनीताल, मसूरी, अल्मोड़ा जैसे पर्यटक स्थलों के साथ ही मुनस्यारी, चौकुड़ी, चोपता जैसे पर्यटक स्थलों का लुफ्त लेना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. यहां की बर्फ से ढकी पहाड़ियां, खूबसूरत झरने और बुग्याल पर्यटकों को अपनी ओर खूब आकर्षित करते हैं.
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उत्तराखंड में विकसित होते नए टूरिस्ट डेस्टिनेशन
रुद्रनाथ की खूबसूरती स्वर्ग से सुंदरः कुदरत ने उत्तराखंड को नैसर्गिक खूबसूरती से संवारा है. जिसे देख जन्नत का एहसास होता है. अगर आप भी सुकून के पल प्रकृति के गोद में बिताना चाहते हैं तो चमोली का रुख कर सकते हैं. यहां पर कई खूबसूरत धार्मिक और पर्यटन स्थल मौजूद हैं. जिनमें रुद्रनाथ मंदिर और रास्ते में पड़ने वाला बुग्याल है. जहां आपको कुदरत की करिश्मा का दीदार होगा.
मुनस्यारी से पहाड़ों का नजारा देख नहीं हटेंगी नजरेंः उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित मुनस्यारी एक खूबसूरत पर्वतीय स्थल है, जो एक तरफ तिब्बत सीमा और दूसरी तरह नेपाल सीमा से लगा हुआ है. यहां पहुंच आप हिमालय पर्वत श्रृंखला के विश्व प्रसिद्ध पंचुली पर्वत के दीदार कर सकते हैं. हिंदू मान्यता के अनुसार इस पर्वत को पांडवों के स्वर्गारोहण का प्रतीक माना गया है.
बिर्थी फॉल के पास बैठकर होगा ताजगी का एहसासः कुदरत की नेमत का दीदार करना हो तो आपके लिए मुनस्यारी सबसे मुफीद जगह है. यहां की वादियां देश-विदेश के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. इनमें मुनस्यारी मार्ग पर स्थित बिर्थी फॉल भी शामिल है. जो किसी पहचान का मोहताज नहीं है. यह फॉल करीब 125 मीटर ऊंचाई से गिरता है. जो हर सैलानियों के मन को मोह लेता है. झरने के पास बैठकर मन को अद्भुत शांति के साथ ही ताजगी का एहसास होता है.
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चोपता की खूबसूरती कर देगी मदहोशः पर्यटकों को अगर भीड़-भाड़ से दूर प्रकृति की गोद में अकेले शांति में समय बिताना हो, तो चोपता आ सकते हैं. हिमालय पर्वत की तलहटी पर बसे इस छोटे से हिल स्टेशन को छोटा स्विजरलैंड भी कहा जाता है. यहां आकर आप खूबसूरत हरे- बुग्यालों का दीदार करने के साथ ही ट्रैकिंग का लुत्फ भी उठा सकते हैं.
औली में स्नो स्कीइंग का लुत्फः अगर पर्यटक स्कीइंग का शौक रखते हैं, तो औली उनके लिए एक बेहतरीन जगह है. यहां गढ़वाल हिमालय की बर्फ से ढकी खूबसूरत वादियों का दीदार करने के साथ ही ट्रैकिंग पर भी जा सकते हैं. यहां बर्फ से ढके पर्वतों और स्नो स्कीइंग का मजा लिया जा सकता है. जोशीमठ के रास्ते औली पहुंचा जाता है, जो कि लगभग 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहां सर्दियों में कई प्रतियोगिताएं आयोजन की जाती हैं.
तुंगनाथ की खूबसूरती का आप हो जाएंगे कायलः तुंगनाथ मंदिर भोलेनाथ के पंच केदारों में से एक है. तुंगनाथ में नवंबर के बाद से ही बर्फ का सुंदर नजारा दिखने लगता है. जहां तक नजरें जाती हैं, वहां तक मखमली घास, पर्वत और आसपास बर्फ देखकर यूं लगता है, जैसे बर्फ की चादर बिछी हो. यह नजारा इस जगह को और भी ज्यादा खूबसूरत बना देता है. साथ ही खिले हुए बुरांश के फूल जिन्हें देखकर आपकी नजरें ही नहीं हटेंगी.
चौकोड़ी की खूबसूरती: चौकोड़ी के खूबसूरत हरे-भरे बागों के साथ चाय के बागान और यहां के सुंदर पहाड़ आपके जीवन में एक अलग अनुभव कराते हैं. शांतिपूर्ण भौगोलिक संरचना से चौकोड़ी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है. यहां से सूर्याोदय का दृश्य देखने लायक होता है, जिस वक्त सूर्य की किरणें हिमालय की बर्फीली सफेद पहाड़ियों को सुनहरा करने का काम करती हैं. एक शानदार अवकाश बिताने के लिए यह एक आदर्श विकल्प है. गर्मियों और सर्दियों के मौसम में चौकोड़ी आना सबसे अनुकूल टाइम है.
हर साल 27 सितंबर को हम विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाते हैं. संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन ने 1980 में इसकी शुरुआत की थी. यह विशेष दिन इसलिए चुना गया, क्योंकि इस दिन 1970 में यूएनडब्ल्यूटीओ का कानून प्रभाव में आया था. इसे विश्व पर्यटन के क्षेत्र में बहुत बड़ा मील का पत्थर माना जाता है. संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन का लक्ष्य विश्व पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में अंतर्राष्ट्रीय समुदायों के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक मूल्यों को वैश्विक स्तर पर यह कैसे प्रभावित करता है, इसके बारे में लोगों को जागरूक करना है.
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