देहरादूनः इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन (Indian Mountaineering Foundation) ने ओम पर्वत समेत ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों में प्रदूषण को लेकर हाल ही में एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी है. रिपोर्ट में हिमालयी क्षेत्रों में पर्यटकों से पड़ने वाले असर को लेकर सर्वे किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमालयी क्षेत्रों में बढ़ रहे पर्यटकों के कारण पर्यावरण को खतरनाक नुकसान हो रहा है. वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने IMF की रिपोर्ट पर गंभीर चिंता जाहिर की है. सतपाल महाराज ने कहा है कि रिपोर्ट का अध्ययन कर पॉलिसी में सभी बातों का ध्यान रखा जाएगा.
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि इस तरह के जो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौजूद धार्मिक स्थल हैं, वहां पर सस्टेनेबल टूरिज्म मॉडल को लेकर विभाग पूरी तरह से एहतियात बरतेगा. साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी पूरी कोशिश है कि ऐसी जगहों पर सतत विकास के आधार पर ही डेवलपमेंट हो.
बता दें कि वायु सेना से सेवानिवृत्त एवं देश की प्रतिष्ठित संस्था इंडियन माउंटेनियरिंग फाउंडेशन के सदस्य सुधीर कुट्टी ने एक विशेषज्ञ दल के साथ उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पर्यटकों से पड़ने वाले असर को लेकर सर्वे किया है. इस विशेषज्ञ दल ने ओम पर्वत (Om Parvat), दारमा (Darma) और व्यास (Vyas) वैली समेत उत्तराखंड के कई ऐसे ऊंचे हिमालयी क्षेत्रों का दौरा किया और वहां की स्थानीय बायो डायवर्सिटी पर शोध करके उत्तराखंड सरकार को 3 पन्नों की रिपोर्ट भेजी है.
सस्टेनेबल मॉडल ऑफ टूरिज्म की जरूरतः सुधीर कुट्टी के मुताबिक, इन जगहों पर धीरे-धीरे पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है और अभी यहां पर पर्यटन एक शुरुआती चरण पर है. उत्तराखंड सरकार को इन जगहों पर सस्टेनेबल मॉडल ऑफ टूरिज्म की शुरुआत करनी चाहिए. उन्होंने बताया कि अगर अभी से ओम पर्वत और आदि कैलाश जैसे इलाकों में सस्टेनेबल मॉडल ऑफ टूरिज्म को डेवलप नहीं किया गया तो इसका खामियाजा केदारनाथ जैसी बड़ी विपदा के रूप में भी देखने को मिल सकता है.