देहरादून: चारों धाम (बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) के तीर्थ पुरोहितों ने चारधाम श्राइन बोर्ड का विरोध करना शुरू कर दिया है. इस मामले में मंगलवार को चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों के साथ मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने सीएम आवास कूच किया. हालांकि पुलिस ने सभी को हाथी बड़कला पुलिस चौकी के पास बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.
राज्य सरकार ने वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी की व्यवस्थाओं का गहन अध्ययन करने के बाद चारधाम श्राइन बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया था. बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में इसको मंजूरी भी दे दी गई थी. चारधाम श्राइन बोर्ड प्रबंधन विधेयक 2019 को चार दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में सरकार लाएगी. लेकिन चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज और तमाम मंदिर समिति के लोग श्राइन बोर्ड को लेकर गुस्से में हैं.
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तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार श्राइन बोर्ड के नाम पर काला कानून लेकर आई है. जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके लिए उनका आंदोलन लगातार जारी रहेगा. वहीं, देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल का कहना है कि सरकार गुपचुप तरीके से चारधाम श्राइन बोर्ड का मसौदा कैबिनेट में पास करा चुकी है. सरकार इस कानून के जरिए राइट होल्डर्स के हकों पर कब्जा जमाना चाहती है. सेमवाल ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि जिस दिन चारों धामों के कपाट खोले जाएंगे उस दिन श्रद्धालुओं की भारी मौजूदगी के बावजूद सरकार को सबक सिखाने के लिए कपाट खुलने का विरोध किया जाएगा.
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देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि सरकार ने यह फैसला जल्दबाजी में लिया है. क्योंकि अनादि काल से शंकराचार्य पद्धति से चारों धामों की पूजा यहां के स्थानीय तीर्थ पुरोहित और यहां की हक हकूक धारी पंचायतें करती आ रही हैं. बावजूद तीर्थ पुरोहितों की अनदेखी करते हुए सरकार इस एक्ट को इसलिए ला रही है क्योंकि इन मंदिरों से अर्जित दान से सरकार चलाई जा सके. सरकार को इस मामले में इतनी जल्दबाजी क्यों है? उन्होंने ऐलान किया कि बुधवार को नाराज तीर्थ पुरोहित विधानसभा कूच करके अपना आक्रोश व्यक्त करेंगे.