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चारधाम श्राइन बोर्ड के विरोध में तीर्थ पुरोहितों ने किया सीएम आवास कूच, अब घेरेंगे विधानसभा

चारधाम श्राइन बोर्ड के खिलाफ बुधवार को सभी तीर्थ पुरोहित उत्तराखंड विधानसभा कूच कर अपना विरोध जताएंगे.

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चारधाम श्राइन बोर्ड
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Published : Dec 3, 2019, 10:50 PM IST

Updated : Dec 3, 2019, 11:07 PM IST

देहरादून: चारों धाम (बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) के तीर्थ पुरोहितों ने चारधाम श्राइन बोर्ड का विरोध करना शुरू कर दिया है. इस मामले में मंगलवार को चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों के साथ मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने सीएम आवास कूच किया. हालांकि पुलिस ने सभी को हाथी बड़कला पुलिस चौकी के पास बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

राज्य सरकार ने वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी की व्यवस्थाओं का गहन अध्ययन करने के बाद चारधाम श्राइन बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया था. बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में इसको मंजूरी भी दे दी गई थी. चारधाम श्राइन बोर्ड प्रबंधन विधेयक 2019 को चार दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में सरकार लाएगी. लेकिन चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज और तमाम मंदिर समिति के लोग श्राइन बोर्ड को लेकर गुस्से में हैं.

चारधाम श्राइन बोर्ड का विरोध

पढ़ें- 20 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड संवैधानिक अधिकार संरक्षण मंच का अनिश्चितकालीन धरना शुरू

तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार श्राइन बोर्ड के नाम पर काला कानून लेकर आई है. जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके लिए उनका आंदोलन लगातार जारी रहेगा. वहीं, देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल का कहना है कि सरकार गुपचुप तरीके से चारधाम श्राइन बोर्ड का मसौदा कैबिनेट में पास करा चुकी है. सरकार इस कानून के जरिए राइट होल्डर्स के हकों पर कब्जा जमाना चाहती है. सेमवाल ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि जिस दिन चारों धामों के कपाट खोले जाएंगे उस दिन श्रद्धालुओं की भारी मौजूदगी के बावजूद सरकार को सबक सिखाने के लिए कपाट खुलने का विरोध किया जाएगा.

पढ़ें- दून यूनिवर्सिटी के कुलपति डीके नौटियाल की नियुक्ति को हाई कोर्ट ने किया रद्द

देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि सरकार ने यह फैसला जल्दबाजी में लिया है. क्योंकि अनादि काल से शंकराचार्य पद्धति से चारों धामों की पूजा यहां के स्थानीय तीर्थ पुरोहित और यहां की हक हकूक धारी पंचायतें करती आ रही हैं. बावजूद तीर्थ पुरोहितों की अनदेखी करते हुए सरकार इस एक्ट को इसलिए ला रही है क्योंकि इन मंदिरों से अर्जित दान से सरकार चलाई जा सके. सरकार को इस मामले में इतनी जल्दबाजी क्यों है? उन्होंने ऐलान किया कि बुधवार को नाराज तीर्थ पुरोहित विधानसभा कूच करके अपना आक्रोश व्यक्त करेंगे.

देहरादून: चारों धाम (बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) के तीर्थ पुरोहितों ने चारधाम श्राइन बोर्ड का विरोध करना शुरू कर दिया है. इस मामले में मंगलवार को चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों के साथ मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने सीएम आवास कूच किया. हालांकि पुलिस ने सभी को हाथी बड़कला पुलिस चौकी के पास बैरिकेडिंग लगाकर रोक दिया. इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

राज्य सरकार ने वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी की व्यवस्थाओं का गहन अध्ययन करने के बाद चारधाम श्राइन बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया था. बीते दिनों हुई कैबिनेट बैठक में इसको मंजूरी भी दे दी गई थी. चारधाम श्राइन बोर्ड प्रबंधन विधेयक 2019 को चार दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में सरकार लाएगी. लेकिन चारों धाम के तीर्थ पुरोहितों, पंडा समाज और तमाम मंदिर समिति के लोग श्राइन बोर्ड को लेकर गुस्से में हैं.

चारधाम श्राइन बोर्ड का विरोध

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तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार श्राइन बोर्ड के नाम पर काला कानून लेकर आई है. जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसके लिए उनका आंदोलन लगातार जारी रहेगा. वहीं, देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल का कहना है कि सरकार गुपचुप तरीके से चारधाम श्राइन बोर्ड का मसौदा कैबिनेट में पास करा चुकी है. सरकार इस कानून के जरिए राइट होल्डर्स के हकों पर कब्जा जमाना चाहती है. सेमवाल ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि जिस दिन चारों धामों के कपाट खोले जाएंगे उस दिन श्रद्धालुओं की भारी मौजूदगी के बावजूद सरकार को सबक सिखाने के लिए कपाट खुलने का विरोध किया जाएगा.

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देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी ने कहा कि सरकार ने यह फैसला जल्दबाजी में लिया है. क्योंकि अनादि काल से शंकराचार्य पद्धति से चारों धामों की पूजा यहां के स्थानीय तीर्थ पुरोहित और यहां की हक हकूक धारी पंचायतें करती आ रही हैं. बावजूद तीर्थ पुरोहितों की अनदेखी करते हुए सरकार इस एक्ट को इसलिए ला रही है क्योंकि इन मंदिरों से अर्जित दान से सरकार चलाई जा सके. सरकार को इस मामले में इतनी जल्दबाजी क्यों है? उन्होंने ऐलान किया कि बुधवार को नाराज तीर्थ पुरोहित विधानसभा कूच करके अपना आक्रोश व्यक्त करेंगे.

Intro: वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर उत्तराखंड के चारों धामों सहित 47 मंदिरों को उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक के प्रस्ताव का विरोध करते हुए चारों धामों के तीर्थ पुरोहितों और तमाम मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने सीएम आवास कूच किया।पुलिस ने सीएम आवास से पहले न्यू कैंट रोड स्थित हाथीबड़कला पुलिस चौकी के पास बैरिकेडिंग लगाकर आंदोलनरत तीर्थ पुरोहितों को वहीं रोक दिया। रोके जाने से नाराज तीर्थ पुरोहितों ने वहीं धरना देकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।


Body: वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की तर्ज पर उत्तराखंड में भी सरकार ने साइन बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया है ऐसे में तीर्थ पुरोहितों पंडा समाज और तमाम मंदिर समिति के लोगों के भीतर आक्रोश उत्पन्न हो गया है तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि सरकार इस काले कानून को लेकर आई है जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा इसके लिए उनका आंदोलन लगातार जारी रहेगा।
वही देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल का कहना है कि सरकार गुपचुप तरीके से चारधाम को लेकर साइन बोर्ड का मसौदा कैबिनेट में पास कर चुकी है उसमें चार धाम से संबंधित हकूक धारियों, पुजारियों और जो वहां की व्यवस्थाओं से पौराणिक काल से जुड़े रहे हैं, सरकार उनकी अनदेखी करते हुए इस काले कानून को लाकर राइट होल्डर्स के हकों पर कब्जा जमाना चाहती है। उन्होंने चेतावनी देते कहा कि जिस दिन चारों धामों के कपाट खोले जाएंगे उस दिन श्रद्धालुओं की भारी मौजूदगी के बावजूद सरकार को सबक सिखाने के लिए कपाट खुलने का विरोध किया जाएगा।
बाइट सुरेश सेमवाल, अध्यक्ष गंगोत्री मंदिर समिति और संयोजक देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूक धारी महापंचायत।

दूसरी ओर देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हुकुम तारी मां पंचायत के महामंत्री हरीश डिमरी ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार ने यह फैसला जल्दबाजी में लिया है। क्योंकि अनादि काल से शंकराचार्य पद्धति से चारों धामों की पूजा यहां के स्थानीय तीर्थ पुरोहित और यहां की हक हकूकधारी पंचायतें करती आ रही हैं। उसके बावजूद तीर्थ पुरोहितों की अनदेखी करते हुए सरकार इस एक्ट को इसलिए ला रही है क्योंकि इन मंदिरों से अर्जित दान से सरकार चलाई जा सके आखिर सरकार को इस मामले में इतनी जल्दबाजी क्यों है। उन्होंने ऐलान किया कि कल नाराज तीर्थ पुरोहित विधानसभा कुछ करके अपना आक्रोश व्यक्त करने जा रहे हैं
बाइट- हरीश डिमरी,महामंत्री, देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हुकुम तारी महापंचायत



Conclusion:दरअसल विधानसभा कूच के दौरान नाराज तीर्थ पुरोहितों ने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को एक ज्ञापन भी सौंपा है। चारों धामों से आए तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि कैबिनेट बैठक में चार धाम श्राइन बोर्ड से संबंधित प्रस्ताव को सरकार ने पारित किया है। जिसके तहत उत्तराखंड में चारों धामों के अलावा ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के 47 मंदिरों को इस एक्ट के अधीन लाने की योजना है। इस संबंध में कोई भी जानकारी तीर्थ पुरोहित और हक हकूक धारियों को उपलब्ध नहीं कराई है, जिससे चारों धामों की महापंचायत में असंतोष व्याप्त है। नाराज तीर्थपुरी तो का कहना है कि राज्य सरकार का यह निर्णय सदियों एवं अनादि काल से चली आ रही परंपरा व मान्यताओं के विरुद्ध है, जिसका आगामी समय में इससे भी बड़ा विरोध किया जाएगा

क्यों हैं चारों धामों के तीर्थ पुरोहित नाराज-
दरअसल उत्तराखंड सरकार ने कैबिनेट मैं अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में उत्तराखंड चारधाम श्राइन बोर्ड विधेयक 2019 को मंजूरी दी है जिसमें गंगोत्री, यमुनोत्री ,बद्रीनाथ, केदारनाथ समेत 47 मंदिरों की व्यवस्थाएं अब वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के तर्ज पर संचालित करने का फैसला लिया है। इसके विरोध में चार धाम श्राइन बोर्ड के गठन को लेकर तीर्थ पुरोहितों में नाराजगी व्याप्त है, और वो खुलकर इस फैसले के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं।



Last Updated : Dec 3, 2019, 11:07 PM IST
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