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पलायन को रोकने के लिए रौंगपा यूथ सोसायटी की अनूठी पहल, भोटिया जनजातियों को करेंगे एकजुट - Himalayan Tribe Festival

उत्तराखंड की हिमालयी जनजातियां के पलायन को रोकने के लिए रौंगपा यूथ सोसायटी अनूठी द्वारा आगामी 27 से 29 सितंबर तक हिमालयन ट्राइब महोत्सव का आयोजन करा रही है. जिसमें पर्वतीय जिलों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों की रोंगपा, जाड़, शौका जनजातियां शामिल होगी. जिसमें भोटिया जनजातियों की हस्तशिल्प कारीगरी को प्रमोट किया जाएगा साथ ही कारीगरों को बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा. जिससे पलायन रोकने में मदद मिलेगी.

रौंगपा यूथ सोसायटी की अनूठी पहल.
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Published : Sep 9, 2019, 12:01 AM IST

देहरादून: प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों से लगातार भोटिया जनजातियां पलायन कर रही हैं. जिसे रोकने के लिए रौंगपा यूथ सोसायटी अनूठी पहल करने जा रही है. जिसके चलते आगामी 27 से 29 सितंबर तक हिमालयन ट्राइब महोत्सव का आयोजन करा रही है. जिसमें पर्वतीय जिलों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों की रोंगपा, जाड़, शौका जनजातियां शामिल होंगी. जिसका उद्देश्य सभी भोटिया जनजातियों को एक मंच पर एकत्रित करके उनकी भाषा, वेशभूषा और खानपान को प्रमोट करना है. जिससे उनके लिए आय के साधन बढ़े और पलायन रोकने मदद मिल सके.

रौंगपा यूथ सोसायटी की अनूठी पहल.

रौंगपा यूथ सोसाइटी के अध्यक्ष पंकज बड़वाल ने बताया कि उत्तराखंड की हिमालयी जनजातियां रोंगपा, जाड़, शौका जो सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे पिथौरागढ़, मुनस्यारी, नीति, माणा, धारचूला, हर्षिल और डुंडा में प्रवास करती हैं. जहां से लगातार इनका पलायन हो रहा है. जिसके चलते वहां की परंपरागत लोक शैलियां, सामाजिक सांस्कृतिक और खानपान के स्तर में बदलाव आने लगा है.

ये भी पढ़े: एक बार फिर से CM त्रिवेंद्र ने दिखाया बड़ा दिल, घायल युवती के इलाज के लिए दिए 3 लाख रुपए

वहीं, युवा पीढ़ी समय के साथ अपनी भाषा को भूलती जा रही है. जिसको देखते हुए गढ़वाल और कुमांऊ के रौंगपा सोसाइटी से जुड़े युवाओं द्वारा हिमालयन ट्राइब महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. महोत्सव में अपनी भाषा, पहनावे और खानपान का समावेश देखने को मिलेगा. इसके साथ ही वहां के भोटिया जनजातियों की हस्तशिल्प कारीगरी को प्रमोट किया जाएगा साथ ही कारीगरों को बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा.

देहरादून: प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों से लगातार भोटिया जनजातियां पलायन कर रही हैं. जिसे रोकने के लिए रौंगपा यूथ सोसायटी अनूठी पहल करने जा रही है. जिसके चलते आगामी 27 से 29 सितंबर तक हिमालयन ट्राइब महोत्सव का आयोजन करा रही है. जिसमें पर्वतीय जिलों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों की रोंगपा, जाड़, शौका जनजातियां शामिल होंगी. जिसका उद्देश्य सभी भोटिया जनजातियों को एक मंच पर एकत्रित करके उनकी भाषा, वेशभूषा और खानपान को प्रमोट करना है. जिससे उनके लिए आय के साधन बढ़े और पलायन रोकने मदद मिल सके.

रौंगपा यूथ सोसायटी की अनूठी पहल.

रौंगपा यूथ सोसाइटी के अध्यक्ष पंकज बड़वाल ने बताया कि उत्तराखंड की हिमालयी जनजातियां रोंगपा, जाड़, शौका जो सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे पिथौरागढ़, मुनस्यारी, नीति, माणा, धारचूला, हर्षिल और डुंडा में प्रवास करती हैं. जहां से लगातार इनका पलायन हो रहा है. जिसके चलते वहां की परंपरागत लोक शैलियां, सामाजिक सांस्कृतिक और खानपान के स्तर में बदलाव आने लगा है.

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वहीं, युवा पीढ़ी समय के साथ अपनी भाषा को भूलती जा रही है. जिसको देखते हुए गढ़वाल और कुमांऊ के रौंगपा सोसाइटी से जुड़े युवाओं द्वारा हिमालयन ट्राइब महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. महोत्सव में अपनी भाषा, पहनावे और खानपान का समावेश देखने को मिलेगा. इसके साथ ही वहां के भोटिया जनजातियों की हस्तशिल्प कारीगरी को प्रमोट किया जाएगा साथ ही कारीगरों को बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा.

Intro: प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों से वहां रह रही भोटिया जनजातियों का पलायन रोकने और वहां की हस्तशिल्प कारीगरी को बाजार उपलब्ध कराने की दिशा में रौंगपा यूथ सोसायटी द्वारा आगामी 27 से 29 सितंबर तक हिमालयन ट्राइब महोत्सव 2019 का आयोजन होने जा रहा है। जिसमें पर्वतीय जिलों के सुदूरवर्ती क्षेत्रों की रोंगपा,जाड़,शौका जनजातियां शामिल होकर महोत्सव को एक नया आयाम देंगी। दरअसल भोटिया जनजातियां हिमालय क्षेत्रों जैसे पिथौरागढ़, मुनस्यारी, नीति माणा, धारचूला,हर्षिल और डुंडा में प्रवास करती हैं, यह सभी भोटिया जनजातियां एक मंच पर एकत्रित होकर अपनी बोली भाषा, वेशभूषा और खानपान को प्रमोट करने के साथ ही पलायन को रोकने में सहायक सिद्ध होंगी।


Body:महोत्सव की जानकारी देते हुए रौंगपा यूथ सोसाइटी के अध्यक्ष पंकज बड़वाल ने कहा कि उत्तराखंड के हिमालयी जनजातियां जिसमें रोंगपा,जाड़, शौका शामिल है। और जो सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे पिथौरागढ़, मुनस्यारी नीति माणा आदि क्षेत्रों में रहती हैं। उन क्षेत्रों से लगातार जबरदस्त पलायन हो रहा है, जिसका असर यह हो रहा है कि जो वहां की परंपरागत लोक शैलियां थी, चाहे वो सामाजिक, सांस्कृतिक और वहां के खानपान के स्तर से जुड़ी भी हैं, उन सब में बदलाव आने लग गए हैं। वहीं युवा पीढ़ी समय के साथ साथ अपनी मातृभाषा को भूलती जा रही है।जिसको देखते हुए गढ़वाल और कुमाऊं के रौंगपा सोसाइटी से जुड़े युवाओं द्वारा हिमालयन ट्राइब महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव मे अपनी भाषा, पहनावे और खानपान का समावेश देखने को मिलेगा। इसके साथ ही वहां के भोटिया जनजातियों के हाथों से बनाए गए हस्तशिल्प कारीगरी को प्रमोट करने के अलावा उन कारीगरों को बाजार भी उपलब्ध कराया जाएगा, जिन्हे वहां के निर्मित शॉल, कम्बल, मेट,कालीन इत्यादि के लिए मार्केट उपलब्ध नहीं था।
बाईट- पंकज बड़वाल अध्यक्ष,रौंगपा यूथ सोसाइटी।
बाईट- दरबान सिंह नेथवाल, आयोजक।


Conclusion:आगामी 27 से 29 नवंबर तक रौंगपा यूथ सोसाइटी द्वारा आयोजित किए जा रहे हिमालयन ट्राइब फेस्टिवल में लोगों को सुदूरवर्ती सीमावर्ती क्षेत्रों में बने उत्पादों को देखने और खरीदने का मौका मिलेगा इसके साथ ही टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उन क्षेत्रों की मार्केटिंग भी की जाएगी, जिन क्षेत्रों में टूरिज्म विकसित हो सकता है। आयोजकों का मानना है कि जब उत्तराखंड की सभी गोटिया जनजातियां एक मंच पर एकत्रित होंगी, तो उन जनजातियों के लिए एक नया आयाम जुड़ जाएगा। फेस्टिवल में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें प्रतिभागियों को सम्मानित भी किया जाएगा।
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