देहरादून: टिहरी जिले के सकलाना पट्टी के सेमवाल गांव में रहने वाला भट्ट परिवार इन दिनों दोहरे दुख से गुजर रहा है. एक ओर संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी अबु धाबी में बेटे की मौत का दुख और दूसरा बेटे के शव के लिए किया जाने वाला इंतजार. बीते कई दिनों से बेटे के शव का इंतजार करते परिवार की उम्मीदों को तब और झटका लगा जब दूर देश से बमुश्किल भारत आया बेटे का शव बिना उनकी जानकारी के वापस भेज दिया गया. अब ईटीवी भारत के प्रयासों के बाद शव को वापस लाने की प्रक्रिया में तेजी आई है. प्रवासी समाजसेवियों, सरकारों और प्रशासन के साथ मिलने के बाद केंद्र सरकार की ओर से भी विदेश से लाये जाने वाले शवों के संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया गया है.
अबु धाबी में मृतक कमलेश के शव को लेकर सरकार और मंत्रालय लगातार उहापोह की स्थिति बनी हुई थी. 25 अप्रैल शाम तक इस मामले में किसी तरह का कोई स्पष्टीकरण सामने नहीं आ पा रहा था. लॉकडाउन के कारण देश में बनी स्थितियों के कारण बड़ी मुश्किलों से भारत पहुंचे कमलेश के शव को दिल्ली एयरपोर्ट से वापस लौटा दिया गया था. हालांकि, ईटीवी भारत की पड़ताल के बाद विदेश मंत्रालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाला इमीग्रेशन ऑफिस इस मामले को ट्रैक करने में जुट गया और शाम होते-होते उसका असर भी दिखा.
पढ़ें-अंतिम दर्शन को तरसे परिवार, सर्कुलर में उलझा मंत्रालय
कमलेश के शव को बिना परिजनों को सूचित किये वापस अबु धाबी भेजने पर ईटीवी भारत ने दोनों केंद्रीय मंत्रालयों से संपर्क साधा. हमने विदेश मंत्रालय से पूछा कि क्या आबू धाबी स्थित भारतीय दूतावास और कमलेश के परिवार वालों के बीच ठीक से सूचना का आदान-प्रदान नहीं हुआ था? इसके जवाब में मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि वे इस बाबत जानकारी जुटा रहे हैं. इसक अलावा इस तरह के मामलों में प्रोटोकॉल क्या हैं और किस तरह की प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं इसे लेकर भी जानकारी ली जा रही है.
पढ़ें- टिहरी DM ने राज्य सरकार को लिखा पत्र, कमलेश का शव जल्द वापस लाने की मांग
बता दें इस तरह के मामलों में गृह मंत्रालय का ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन विभाग मुख्य भूमिका निभाता है. ईटीवी भारत ने जब गृह मंत्रालय से जानकारी चाही, तो सूत्रों ने बताया कि इस मामले का पूरा ब्योरा संबंधित विभाग को भेजा जा चुका है. वहां के वरिष्ठ अधिकारी इसका अध्ययन कर रहे हैं.
उधर, कमलेश भट्ट के मामा मनीष उनियाल ने बताया कि जब उन्होंने कार्गो टर्मिनल पर स्टाफ से पूछा तो उन्हें बताया गया कि उस दिन गृह मंत्रालय द्वारा जारी किये गए एक नये सर्कुलर के कारण, डेड बॉडी भारत में रिसीव नहीं की जा सकी. उन्होंने सर्कुलर की कॉपी साझा करने से इनकार कर दिया. उन्होंने मंत्रालय का नंबर दिया जो काम नहीं कर रहा था.
वहीं, कमलेश के चचेरे भाई विमलेश भट्ट ने कहा कि यह दोनों मंत्रालयों के बीच तालमेल की कमी का एक स्पष्ट मामला है, अगर भारतीय दूतावास ने भारत में मृतक को लाने की अनुमति दी थी, तो भारत सरकार की किसी भी शाखा को इस बात को खारिज नहीं करना चाहिए. कमलेश भट्ट के रिश्तेदारों की यह भी शिकायत है कि कमलेश की मृत्यु के बारे में संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय दूतावास से कोई संवाद नहीं हुआ था. मनीष उनियाल ने बताया कि उन्हें 17 अप्रैल को कमलेश की मौत के बारे में अबू धाबी में उनके नियोक्ता के मानव संसाधन विभाग से कॉल आया था लेकिन उन्हें अपने दूतावास से कोई सूचना नहीं मिली.
क्या-क्या रहा घटनाक्रम
16 अप्रैल को सकलाना पट्टी के सेमवाल गांव के रहने वाले कमलेश भट्ट की अबु धाबी में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. परिवारवालों की कोशिशों के बाद कुछ प्रवासी उत्तराखंडियों की मदद से बीती गुरुवार (23 अप्रैल) रात को कमलेश का शव अबु धाबी से भारत भेजा गया था. मगर इससे पहले कमलेश भट्ट के परिजन दिल्ली पहुंचते, किन्हीं कारणों से अधिकारियों ने शव को वापस भेज दिया, जिसके बाद कमलेश के लाचार परिजन 24 अप्रैल सुबह 5 बजे निराश होकर घर वापस लौट आए थे.
पढ़ें- मौत के बाद भी दुर्दशा : दुबई में मृत कमलेश का शव दिल्ली लाकर वापस भेजा गया
ईटीवी भारत ने इस परिवार की पीड़ा को समझते हुए इस खबर को प्रमुखता से उठाया. हमने मामले को लेकर सबसे पहले सीएम के मीडिया सलाहकार रमेश भट्ट और मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से बात की. उन्होंने कहा कि उन्हें मामले में किसी तरह की जानकारी नहीं है. जिसके बाद हमने इस मामले को जिला प्रशासन के संज्ञान में लाने का प्रयास करते हुये टिहरी जिलाधिकारी वी. षणमुगम को मामले से अवगत करवाया, जिस पर उन्होंने जांच करने की बात कही.
पढ़ें- अहमदाबाद नया हॉट स्पॉट, मई के अंत तक हो सकते हैं 8 लाख कोरोना संक्रमित केस
इस बीच, जबतक जिला प्रशासन मामले में कोई एक्शन लेता तबतक हमारे ब्यूरो हेड किरनकांत शर्मा ने दुबई में रह रहे प्रवासी उत्तराखंडी और सामाजिक कार्यकर्ता गिरीश पंत और रोशन रतूड़ी से बात की, जिन्होंने हमें मामले की पूरी जानकारी और मदद का भरोसा देते हुए अबु धाबी स्थित इंडियन एंबेसी के पासपोर्ट विभाग में कार्यरत काउंसलेट के. सुरेश से बात करने को कहा.
ब्यूरो हेड किरनकांत शर्मा से बातचीत में काउंसलेट के. सुरेश ने बताया कि जितने भी शव थे उनको भारत भेजा गया था लेकिन पेपरवर्क में कमी होने के चलते उन्हें रिसीव नहीं किया गया और लौटा दिया गया. अब दोबारा अबु धाबी स्थित इंडियन एंबेसी भारत सरकार से संपर्क कर रही है और फ्री अप्रूवल के लिए पत्र भेजा गया है. जैसे ही वहां से एनओसी मिलती है, शवों को दोबारा भारत भेज दिया जाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि शनिवार (25 अप्रैल) तक इसपर कार्रवाई हो जाएगी और रविवार तक शवों को भारत भेज दिया जाएगा. उन्होंने ये भी बताया कि उत्तराखंड के साथ पंजाब और केरल के भी शव वापस आए हैं, जिनकी कागजी कार्यवाही जल्द ही पूरी कर ली जाएगी.
इस बीच शाम होते-होते टिहरी जिलाधिकारी ने मामले की जांच पड़ताल करते हुए उत्तराखंड राज्य के गृह विभाग को कमलेश के शव को वापस लाने के बाबत पत्र लिखा, जिसके बाद राज्य का गृह विभाग की ओर से भी इस मामले में केंद्र से बात करने का आश्वासन मिला.
ईटीवी भारत से बातचीत में जिलाधिकारी डॉ. वी षणमुगम ने कहा कमलेश के शव को लाने से लेकर वापस भेजने तक यूएई और भारत सरकार से संपर्क नहीं हुआ था, इसलिए शव वापस भेजा गया. शव जल्द भारत लाने के लिये उन्होंने राज्य सरकार को पत्र दे दिया है. काफी जद्दोजहद के बाद आखिर 25 अप्रैल की शाम होते-होते केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी लेटर में ये साफ कर दिया गया कि किसी भी व्यक्ति की विदेश में अगर मौत हो जाती है, तो उसका शव लाने में अब दिक्कत नहीं होगी. गृह मंत्रालय ने उसकी प्रक्रियाएं स्पष्ट कर दी हैं. उन्हें विदेश मंत्रालय और स्वास्थ्य विभाग से मंजूरी मिलने के बाद शव मिल जाएगा.
मामले को लेकर ईटीवी भारत लगातार कमलेश के परिवार से संपर्क बनाये हुए है. हमसे बातचीत करते हुए कमलेश के परिजनों ने सरकार से मांग की है कि वो कमलेश के शव को घर तक पहुंचाये या फिर ऋषिकेश तक. उन्होंने अपनी आर्थिकी स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि उनके पास दिल्ली से शव लाने के लिए न तो पैसे हैं और न ही वाहन. उम्मीद है कि अब सरकार उनकी जरूर सुनेगी.