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स्कूली बच्चों के साथ उत्तराखंड की सभ्यता बचा रहे आशीष डंगवाल, इनकी विदाई पर रोया था पूरा गांव - देहरादून न्यूज

शिक्षक आशीष डंगवाल तो आपको याद ही होंगे. ये वही हैं, जिनके ट्रांसफर के बाद उत्तरकाशी के ग्रामीण खूब रोए थे. इस बार इन्होंने ऐसा काम शुरू किया है, जिसकी खूब सराहना की जा रही है.

शिक्षक आशीष डंगवाल
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Published : Nov 11, 2019, 2:52 PM IST

Updated : Nov 11, 2019, 3:14 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी शिक्षक और डॉक्टर मैदानी इलाकों में ट्रांसफर के लिए तमाम हथकंडे अपनाते हैं लेकिन यहां मामला बिल्कुल अलग है. हम बात कर रहे हैं ऐसे शिक्षक की जो किसी पहचान के मोहताज नहीं. इन्होंने स्कूली छात्रों के साथ मिलकर बंद हो चुके घराटों को नया रूप देने का जिम्मा उठाया है. कुछ महीने पहले उत्तरकाशी से शिक्षक आशीष डंगवाल का ट्रांसफर हुआ था. उनके ट्रांसफर से दुखी होकर पूरा गांव रोया था. यही नहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी आशीष से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित किया था. सीएम ने कहा था कि आशीष जैसे शिक्षकों की प्रदेश को जरूरत है.

शिक्षक आशीष डंगवाल की नई मुहिम

अब नई बात ये है कि शिक्षक आशीष डंगवाल का एक नया हुनर सामने आया है, जिससे वे एक बार फिर सुर्खियो में आ गए हैं. इस बार आशीष ने पहाड़ों पर खत्म होते घराट को बचाने के लिए स्कूली छात्रों के साथ ऐसी मुहिम शुरू की है, जिसकी खूब सराहना की जा रही है. आशीष ने ये मुहिम शुरू की है टिहरी जिले के जौनपुर ब्लॉक स्थित राजकीय इंटर कॉलेज के स्कूली बच्चों के साथ. ये उस वक्त घराटों को नया रूप देते हैं, जब बच्चे खाली रहते हैं, या यूं कहें कि स्कूल से छुट्टी के बाद.

पढ़ेंः सीएम बोले-हिमालयी क्षेत्र की वनाऔषधि पर शोध की जरूरत, लागू होगी मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास परियोजना

स्कूली छात्रों को इकठ्ठा कर आशीष आसपास बंद हो चुके या टूट गए घराटों को एक नया रूप दे रहे हैं. इसके लिए वे आसपास की ऐसी पौराणिक चीजें तलाश रहे हैं, जिसका ध्यान न तो प्रशासन रख पा रहा है और न ही सरकार. आशीष ने जौनपुर ब्लॉक के गैरखेत में पुराने और टूटे घराट यानी पनघट को चिन्नित कर उसकी मरम्मत करनी शुरू कर दी है. करीब एक महीने की मेहनत के बाद आशीष एक घराट को सुंदर रूप में तब्दील कर दिया है, जिसे देखने के लिए न केवल आसपास से ग्रामीण आ रहे हैं, बल्कि इलाकों से रोज से गुजरने वाले पर्यटक भी रुक कर सेल्फी खींच रहे हैं. ग्रामीण आशीष की इस मुहिम की काफी सराहना भी कर रहे हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी शिक्षक और डॉक्टर मैदानी इलाकों में ट्रांसफर के लिए तमाम हथकंडे अपनाते हैं लेकिन यहां मामला बिल्कुल अलग है. हम बात कर रहे हैं ऐसे शिक्षक की जो किसी पहचान के मोहताज नहीं. इन्होंने स्कूली छात्रों के साथ मिलकर बंद हो चुके घराटों को नया रूप देने का जिम्मा उठाया है. कुछ महीने पहले उत्तरकाशी से शिक्षक आशीष डंगवाल का ट्रांसफर हुआ था. उनके ट्रांसफर से दुखी होकर पूरा गांव रोया था. यही नहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी आशीष से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित किया था. सीएम ने कहा था कि आशीष जैसे शिक्षकों की प्रदेश को जरूरत है.

शिक्षक आशीष डंगवाल की नई मुहिम

अब नई बात ये है कि शिक्षक आशीष डंगवाल का एक नया हुनर सामने आया है, जिससे वे एक बार फिर सुर्खियो में आ गए हैं. इस बार आशीष ने पहाड़ों पर खत्म होते घराट को बचाने के लिए स्कूली छात्रों के साथ ऐसी मुहिम शुरू की है, जिसकी खूब सराहना की जा रही है. आशीष ने ये मुहिम शुरू की है टिहरी जिले के जौनपुर ब्लॉक स्थित राजकीय इंटर कॉलेज के स्कूली बच्चों के साथ. ये उस वक्त घराटों को नया रूप देते हैं, जब बच्चे खाली रहते हैं, या यूं कहें कि स्कूल से छुट्टी के बाद.

पढ़ेंः सीएम बोले-हिमालयी क्षेत्र की वनाऔषधि पर शोध की जरूरत, लागू होगी मुख्यमंत्री राज्य कृषि विकास परियोजना

स्कूली छात्रों को इकठ्ठा कर आशीष आसपास बंद हो चुके या टूट गए घराटों को एक नया रूप दे रहे हैं. इसके लिए वे आसपास की ऐसी पौराणिक चीजें तलाश रहे हैं, जिसका ध्यान न तो प्रशासन रख पा रहा है और न ही सरकार. आशीष ने जौनपुर ब्लॉक के गैरखेत में पुराने और टूटे घराट यानी पनघट को चिन्नित कर उसकी मरम्मत करनी शुरू कर दी है. करीब एक महीने की मेहनत के बाद आशीष एक घराट को सुंदर रूप में तब्दील कर दिया है, जिसे देखने के लिए न केवल आसपास से ग्रामीण आ रहे हैं, बल्कि इलाकों से रोज से गुजरने वाले पर्यटक भी रुक कर सेल्फी खींच रहे हैं. ग्रामीण आशीष की इस मुहिम की काफी सराहना भी कर रहे हैं.

Intro:वायरल शिक्षक आशीष का एक और कमाल


उत्तराखंड में सरकारी शिक्षक और डाक्टर हमेसा से ही इस बात के लिए भी जाने जाते है की वो मैदानी इलाको में ट्रांसफर के लिए वो सभी हथकंडे अपनाते है जो कोई सोच भी नहीं सकता है लेकिन आपको चदन महीने पहले सोशल मिडिया पर वायरल हुए उस शिक्षक की तश्वीरे याद होगी जिसके ट्रांसफर के बाद पूरा गाँव फुट फुट कर रोया था और कई छात्रों की तबियत खराब हो गई थी अब उसी शिक्षक आशीष डंगवाल  एक और नया काम किया है जिसके बाद एक बार फिर से वो सुर्ख़ियो में है Body:इस  बार आशीष ने पहाड़ो में ख़त्म होते घराट को बचाने के लिए स्कूली छात्रों का वो समय मांगा है जिसमे वो स्कुल के बाद खाली रहते है या खेलते है ठीक  उसी समय में आशीष छात्रों को इकठ्ठा कर आसपास में बंद हो चुके या टूट गए घराटों को एक नया स्वरुप दे रहे है इसके लिए  कुछ स्कूली छात्र उनके साथ आसपास की ऐसी ही पुराणिक चीजे तलाश रहे है जिसका ध्यान ना तो प्रसासन रख पा रहा  है और ना ही सरकार आशीष ने जौनपुर ब्लॉक के गेरखेत में पुराने और टूटे घराट   यानी पनघट को चिन्नित किया और उसके बाद उसकी मरमत सुरु कर दी स्कुल के बाद जब भी आशीष को समय मिलता वो इस घर्राट पर छात्रों को लेकर पहुँच जाते | Conclusion:आशीष द्वारा लगभग एक महीने की मेहनत के बाद इस घराट को एक सुन्दर घराट में तब्दील कर दिया है जिसको देखने के लिए ना केवल आसपास से ग्रामीण आ रहे है बल्कि रोज से गुजरने वाले पर्यटक भी रुक कर सेल्फी खींच रहे है  
Last Updated : Nov 11, 2019, 3:14 PM IST
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