देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी शिक्षक और डॉक्टर मैदानी इलाकों में ट्रांसफर के लिए तमाम हथकंडे अपनाते हैं लेकिन यहां मामला बिल्कुल अलग है. हम बात कर रहे हैं ऐसे शिक्षक की जो किसी पहचान के मोहताज नहीं. इन्होंने स्कूली छात्रों के साथ मिलकर बंद हो चुके घराटों को नया रूप देने का जिम्मा उठाया है. कुछ महीने पहले उत्तरकाशी से शिक्षक आशीष डंगवाल का ट्रांसफर हुआ था. उनके ट्रांसफर से दुखी होकर पूरा गांव रोया था. यही नहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी आशीष से मुलाकात कर उन्हें सम्मानित किया था. सीएम ने कहा था कि आशीष जैसे शिक्षकों की प्रदेश को जरूरत है.
अब नई बात ये है कि शिक्षक आशीष डंगवाल का एक नया हुनर सामने आया है, जिससे वे एक बार फिर सुर्खियो में आ गए हैं. इस बार आशीष ने पहाड़ों पर खत्म होते घराट को बचाने के लिए स्कूली छात्रों के साथ ऐसी मुहिम शुरू की है, जिसकी खूब सराहना की जा रही है. आशीष ने ये मुहिम शुरू की है टिहरी जिले के जौनपुर ब्लॉक स्थित राजकीय इंटर कॉलेज के स्कूली बच्चों के साथ. ये उस वक्त घराटों को नया रूप देते हैं, जब बच्चे खाली रहते हैं, या यूं कहें कि स्कूल से छुट्टी के बाद.
स्कूली छात्रों को इकठ्ठा कर आशीष आसपास बंद हो चुके या टूट गए घराटों को एक नया रूप दे रहे हैं. इसके लिए वे आसपास की ऐसी पौराणिक चीजें तलाश रहे हैं, जिसका ध्यान न तो प्रशासन रख पा रहा है और न ही सरकार. आशीष ने जौनपुर ब्लॉक के गैरखेत में पुराने और टूटे घराट यानी पनघट को चिन्नित कर उसकी मरम्मत करनी शुरू कर दी है. करीब एक महीने की मेहनत के बाद आशीष एक घराट को सुंदर रूप में तब्दील कर दिया है, जिसे देखने के लिए न केवल आसपास से ग्रामीण आ रहे हैं, बल्कि इलाकों से रोज से गुजरने वाले पर्यटक भी रुक कर सेल्फी खींच रहे हैं. ग्रामीण आशीष की इस मुहिम की काफी सराहना भी कर रहे हैं.