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देवभूमि की इस गुफा में रहते हैं नाग देवता, सांप के काटने पर लोग नहीं कराते इलाज

पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों का इतिहास चार युगों से रहा है. जिनकी भूलोक में आज भी पूजा की जाती है. ऐसा ही एक क्षेत्र उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के तहसील कालसी का सुरेऊ गांव हैं. जहां सांप काटने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती.

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Published : Jul 8, 2019, 8:39 AM IST

विकासनगर: आज के वैज्ञानिक युग ने असंभव को संभव कर दिखाया है. लेकिन कई बार विज्ञान भी आस्था और चमत्कार के आगे नतमस्तक दिखाई देता है. भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां आस्था विज्ञान को चुनौती देती दिखाई देती है. देवभूमि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव है, जहां जहरीले सांप के काटने पर भी लोगों पर उसके जहर का असर नहीं होता. स्थानीय लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं.

देवभूमि की इस गुफा में रहते हैं नाग देवता.
सांप के काटने पर नहीं होता असर

पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों का इतिहास चार युगों से रहा है. जिनकी भूलोक में आज भी पूजा की जाती है. ऐसा ही एक क्षेत्र उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के तहसील कालसी का सुरेऊ गांव हैं. जहां सांप काटने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती. स्थानीय लोगों का कहना है कि नाग देवता के स्मरण मात्र से ही सांप के काटने पर जहर उतर जाता है और पीड़ित को अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती.

पढ़ें- हेली कंपनियों की मनमानी, बुग्यालों के नजदीक भर रहे उड़ान, हरकत में आया वन प्रभाग

लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं. स्थानीय लोग मानते हैं कि सांप तभी काटते हैं जब नाग नाराज होते हैं, जिसे लोग दोष मानते हैं. प्रत्येक साल अगस्त माह में लोग नाग देवता की उपासना के लिए तीन दिन का व्रत रखते हैं. जिसमें लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं. वहीं नाग देवता के बारे में लोगों में क्या धारण हैं आप भी सुन लीजिए.

गुफा में भी होती नाग देवता की पूजा

नाग देवता की प्रसाद के रूप में जो भोग बनाया जाता है उसमें विशेष आटे का प्रयोग किया जाता है. जिसमें रोट दाल शुद्ध घी से भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के उपरांत व्रत खोला जाता है. वहीं, सुरेऊ गांव के करीब 60 परिवारों में ये परंपरा अतीत से चली आ रही है. साथ ही गांव से लगते दूसरे गांव भी नाग देवता की महिमा सुनकर मंदिर में पूजा- अर्चना के लिए आते हैं.

स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गांव की बसायत से पहले यहां नाग देवता का वास नगाया गुफा में था. जहां पहुंचने के लिए लगभग दो किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. स्थानीय लोगों में मान्यता है कि जो सच्चे मन से गुफा में पूजा-अर्चना करता है उसे नाग देवता अपने दर्शन देते हैं.

विकासनगर: आज के वैज्ञानिक युग ने असंभव को संभव कर दिखाया है. लेकिन कई बार विज्ञान भी आस्था और चमत्कार के आगे नतमस्तक दिखाई देता है. भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां आस्था विज्ञान को चुनौती देती दिखाई देती है. देवभूमि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव है, जहां जहरीले सांप के काटने पर भी लोगों पर उसके जहर का असर नहीं होता. स्थानीय लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं.

देवभूमि की इस गुफा में रहते हैं नाग देवता.
सांप के काटने पर नहीं होता असर

पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों का इतिहास चार युगों से रहा है. जिनकी भूलोक में आज भी पूजा की जाती है. ऐसा ही एक क्षेत्र उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के तहसील कालसी का सुरेऊ गांव हैं. जहां सांप काटने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती. स्थानीय लोगों का कहना है कि नाग देवता के स्मरण मात्र से ही सांप के काटने पर जहर उतर जाता है और पीड़ित को अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती.

पढ़ें- हेली कंपनियों की मनमानी, बुग्यालों के नजदीक भर रहे उड़ान, हरकत में आया वन प्रभाग

लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं. स्थानीय लोग मानते हैं कि सांप तभी काटते हैं जब नाग नाराज होते हैं, जिसे लोग दोष मानते हैं. प्रत्येक साल अगस्त माह में लोग नाग देवता की उपासना के लिए तीन दिन का व्रत रखते हैं. जिसमें लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं. वहीं नाग देवता के बारे में लोगों में क्या धारण हैं आप भी सुन लीजिए.

गुफा में भी होती नाग देवता की पूजा

नाग देवता की प्रसाद के रूप में जो भोग बनाया जाता है उसमें विशेष आटे का प्रयोग किया जाता है. जिसमें रोट दाल शुद्ध घी से भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के उपरांत व्रत खोला जाता है. वहीं, सुरेऊ गांव के करीब 60 परिवारों में ये परंपरा अतीत से चली आ रही है. साथ ही गांव से लगते दूसरे गांव भी नाग देवता की महिमा सुनकर मंदिर में पूजा- अर्चना के लिए आते हैं.

स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गांव की बसायत से पहले यहां नाग देवता का वास नगाया गुफा में था. जहां पहुंचने के लिए लगभग दो किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. स्थानीय लोगों में मान्यता है कि जो सच्चे मन से गुफा में पूजा-अर्चना करता है उसे नाग देवता अपने दर्शन देते हैं.

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देवभूमि के इस गुफा में  हैं नाग देवता का वास, सांप के काटने ऐसे उतर जाता है लोगों का जहर



विकासनगर: आज के वैज्ञानिक युग ने असंभव को संभव कर दिखाया है. लेकिन कई बार विज्ञान भी आस्था और चमत्कार के आगे नतमस्तक दिखाई देता है. भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां आस्था विज्ञान को चुनौती देती दिखाई देती है. देवभूमि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव है, जहां जहरीले सांप के काटने पर भी लोगों पर उसके जहर का असर नहीं होता. स्थानीय लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं.

सांप के काटने पर नहीं होता असर

पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों का इतिहास चार युगों से रहा है. जिनकी भूलोक में आज भी पूजा की जाती है. ऐसा ही एक क्षेत्र उत्तराखंड के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर के तहसील कालसी का सुरेऊ गांव हैं. जहां सांप काटने पर इलाज की जरूरत नहीं पड़ती. स्थानीय लोगों का कहना है कि  नाग देवता के स्मरण मात्र से ही सांप के काटने पर जहर उतर जाता है और पीड़ित को अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं पड़ती. लोग इसे नाग देवता का आशीर्वाद मानते हैं. स्थानीय लोग मानते हैं कि सांप तभी काटते हैं जब नाग नाराज होते हैं, जिसे लोग दोष मानते हैं. प्रत्येक साल अगस्त माह में लोग नाग देवता की उपासना के लिए तीन दिन का व्रत रखते हैं. जिसमें लोग बढ़-चढ़ कर भाग लेते हैं. वहीं नाग देवता के बारे में लोगों में क्या धारण हैं आप भी सुन लीजिए. 

गुफा में भी होती नाग देवता की पूजा

नाग देवता की प्रसाद के रूप में जो भोग बनाया जाता है उसमें विशेष आटे का प्रयोग किया जाता है. जिसमें रोट दाल शुद्ध घी से भोग लगाया जाता है. भोग लगाने के उपरांत व्रत खोला जाता है. वहीं, सुरेऊ गांव के करीब 60 परिवारों में ये परंपरा अतीत से चली आ रही है. साथ ही गांव से लगते दूसरे गांव भी नाग देवता की महिमा सुनकर मंदिर में पूजा- अर्चना के लिए आते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि इस गांव की बसायत से पहले यहां नाग देवता का वास नगाया गुफा में था. जहां पहुंचने के लिए लगभग दो किलोमीटर की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है. स्थानीय लोगों में मान्यता है कि जो सच्चे मन से गुफा में पूजा-अर्चना करता है उसे नाग देवता अपने दर्शन देते हैं.

 


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