ऋषिकेश: एम्स ऋषिकेश में पोर्टेबल वेंटिलेटर प्राण-वायु का सफल परीक्षण किया गया है. कई राउंड के परीक्षण के बाद एम्स के चिकित्सकों ने इसे सफल करार दिया है. कोरोना महामारी को देखते हुए आईआईटी ने रुड़की ने एम्स ऋषिकेश के सहयोग से पोर्टेबल वेंटिलेटर सिस्टम प्राण-वायु को विकसित किया है.
एम्स की 5 सदस्यीय विशेषज्ञों की टीम ने एडवांस सिमुलेशन लैब में 'प्राण-वायु' वेंटिलेटर का परीक्षण किया. इस दौरान टीम ने वेंटिलेटर की तकनीकी और मेडिकली प्रणाली की उपयोगिता की बारीकी से जांच की. जिसके बाद मेडिकल टीम ने वायु-प्राण को मरीजों के लिए फीट घोषित कर दिया. एम्स निदेशक ने परीक्षण की सफलता पर टीम के सभी चिकित्सकों को बधाई दी है. एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रोफेसर यूबी मिश्रा ने कहा कि प्राण-वायु वेंटिलेटर से मरीजों को बड़ा फायदा पहुंचेगा.
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प्राण-वायु की विशेषता
अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित पोर्टेबल वेंटिलेटर को प्राण-वायु नाम दिया गया है. इसकी अनुमानित निर्माण लागत 25 हजार रुपए के आसपास रखा गया है. इसकी एक विशेषता यह भी है कि वेंटिलेटर सांस नली के बड़े अवरोधों में उपयोगी होने के साथ ही सभी आयुवर्ग के रोगियों, खासकर बुजुर्गों के लिए विशेष लाभदायी है. रियल टाइम स्पायरोमेट्री और अलार्म से सुसज्जित होने के कारण यह सुरक्षित और विश्वसनीय है, जो स्वचालित रूप से एक अलार्म सिस्टम के साथ उच्च दबाव को सीमित कर सकता है.
विफलता की स्थिति में चोकिंग को रोकने के साथ ही सर्किट वातावरण में खुलता है. पोर्टेबल वेंटिलेटर मरीज को आवश्यक मात्रा में हवा पहुंचाने के लिए प्राइम मूवर के नियंत्रित ऑपरेशन पर आधारित है. इसकी स्वचालित प्रक्रिया दबाव और प्रवाह की दर को सांस लेने व छोड़ने के अनुरूप नियंत्रित करती है. वेंटिलेटर में ऐसी व्यवस्था भी है, जो टाइडल वॉल्यूम और प्रति मिनट सांस को नियंत्रित कर सकती है.